वन्यजीव प्रेमियों के लिए कोटा से अच्छी खबर है. अब कोई भी व्यक्ति या संस्था बॉयोलॉजिकल पार्क में रह रहे शेर, बाघ, लेपर्ड, भालू जैसे जानवरों को गोद ले सकती है. इसके लिए उन्हें जानवरों का सालाना खर्च उठाना होगा जिसमें खाने, पीने, इलाज और देखरेख शामिल है.
वन्यजीव विभाग के डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि कैप्टिव एनिमल स्पॉन्सरशिप योजना को लागू किया गया है. इस योजना के तहत कोटा के चिड़ियाघर में रहने वाले 13 प्रजातियों के 85 से ज्यादा जानवरों को गोद लेने की सुविधा दी गई है.
13 प्रजातियों के 85 से ज्यादा जानवरों को गोद लेने की सुविधा
कोई भी व्यक्ति, संस्था, एनजीओ या ग्रुप इन जानवरों को अडॉप्ट कर सकता है. गोद लेने वालों को विशेष पहचान दी जाएगी. संबंधित जानवर के पिंजरे पर उनके नाम का बोर्ड लगाया जाएगा. वो इस बोर्ड को अपने पब्लिसिटी या फोटोग्राफ्स में भी उपयोग कर सकेंगे. साथ ही पार्क विजिट में भी उन्हें छूट दी जाएगी.
गोद लेने वालों को विशेष पहचान दी जाएगी
अब तक एनटीपीसी अंता ने सात जानवरों को गोद लेने का प्रस्ताव भेजा है. विभाग ने इसकी स्वीकृति के लिए जवाब भी भेज दिया है. विभाग ने हर जानवर का खर्च तय किया है. जैसे बाघ के रख-रखाव का सालाना खर्च 6.72 लाख रुपये है, यानी महीने का 50 हजार. शेरनी के लिए 5.16 लाख सालाना, लैपर्ड के लिए 3.84 लाख और भेड़िए के लिए 1.8 लाख रुपये सालाना खर्च तय किया गया है.
चेतन गुर्जर