झालावाड़ स्कूल हादसे में बच्चों को खोने वाली दो महिलाएं फिर से बन सकेंगी मां, खुलवाई नसबंदी

झालावाड़ के पिपलोदी स्कूल हादसे में अपने बच्चों को खोने वाली दो माताओं बिंती बाई और राजू बाई ने नसबंदी समाप्त करने वाली सर्जरी कराई है, जिसके बाद भविष्य में उनके घरों में फिर से किलकारियां गूंजने की उम्मीद जागी है.

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नसबंदी खोलने का ऑपरेशन सफल.(Photo: Representational) नसबंदी खोलने का ऑपरेशन सफल.(Photo: Representational)

फिरोज अहमद खान

  • झालावाड़ ,
  • 31 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 10:24 AM IST

Rajasthan News: झालावाड़ के पिपलोदी गांव में हुए दुखद स्कूल हादसे में जिन परिवारों ने अपने बच्चे खो दिए थे, उन्हें राजस्थान सरकार और प्रशासन ने एक नई उम्मीद दी है. खासकर उन महिलाओं को जिन्होंने हादसे से पहले ही परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत नसबंदी (Sterilization) करवा रखी थी.  अब उनका नसबंदी ऑपरेशन खोलकर (Re-canalization) उन्हें फिर से मातृत्व सुख प्राप्त करने योग्य बनाया गया है.

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दरअसल, पिपलोदी हादसे में राजू बाई और बिनती बाई ने अपने बच्चे खो दिए. चूंकि उन्होंने पहले ही नसबंदी करवा रखी थी, इसलिए उनके लिए दोबारा माता-पिता बनना असंभव था.

प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और सांसद दुष्यंत सिंह ने इन परिवारों के दुख को समझते हुए जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ को दोनों महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन खुलवाने  के निर्देश दिए.

कलेक्टर राठौड़ ने तुरंत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. साजिद खान को मेडिकल टीम गठित कर री-ऑपरेशन (Re-canalization) करने का निर्देश दिया ताकि परिजन फिर से मातृ-पितृ सुख पा सकें.

बता दें कि राजू बाई के बेटे कार्तिक (10) की इस हादसे में मौत हो गई थी. उन्होंने पिछले महीने नसबंदी समाप्त कराने संबंधी सर्जरी कराई थी. वहीं बिनती बाई की बुधवार को सर्जरी हुई जिन्होंने स्कूल हादसे में अपने बेटे कान्हा (7) और बेटी मीना (10) को खो दिया था.

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CMHO  ने प्रेस नोट जारी कर ऑपरेशन की सफलता की जानकारी दी. इसमें बताया गया कि हीरा कुंवर बा जनाना अस्पताल में डॉक्टर मधुरिमा वर्मा की निगरानी में यह उपचार किया जा रहा है. 

डॉ. खान ने बताया कि जिला कलेक्टर के निर्देश पर दोनों महिलाओं को कोटा और जयपुर में IVF केन्द्रों से संपर्क कराया जाएगा.

बता दें कि बीती 25 जुलाई को झालावाड़ के पिपलोदी में सरकारी स्कूल का एक हिस्सा उस समय ढह गया था जब छात्र सुबह की प्रार्थना करने जा रहे थे. इस हादसे में 7 बच्चों की मौत हो गई थी और 28 घायल हो गए थे.

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