राजस्थान के हनुमानगढ़ में एथेनॉल फैक्ट्री पर बवाल... आगजनी–पथराव के बाद इंटरनेट बंद, किसान आज भी जुटे

हनुमानगढ़ के टिब्बी इलाके में एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर विवाद जारी है. पुलिस और किसानों के बीच एक बार फिर से झड़प हुई है, जिससे माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है. स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसबलों की तैनाती कई गई है. साथ ही इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई है.

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हनुमानगढ़ में फैक्ट्री विवाद एक बार फिर भड़का (Photo: ITG/Sharat Kumar) हनुमानगढ़ में फैक्ट्री विवाद एक बार फिर भड़का (Photo: ITG/Sharat Kumar)

शरत कुमार

  • हनुमानगढ़,
  • 11 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:02 AM IST

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी कस्बे में एथेनॉल फैक्ट्री निर्माण को लेकर शुरू हुआ विवाद अब गंभीर तनाव में बदल गया है. एक दिन पहले बड़ी संख्या में किसान और स्थानीय लोग फैक्ट्री साइट पर पहुंचे और विरोध के दौरान दीवार तोड़कर अंदर चले गए. गुस्साई भीड़ ने ऑफिस में आग लगा दी, जिसके बाद पूरे इलाके में अफरा–तफरी मच गई.

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स्थिति संभालने पहुंची पुलिस पर पथराव शुरू हो गया. हालात बिगड़ते देख पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े. हिंसा के दौरान करीब 14 वाहन जला दिए गए. कांग्रेस विधायक और यूथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया के सिर में चोट आई, जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल हुए.

प्रशासन ने क्षेत्र में धारा 163 लागू कर दी है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं ताकि अफवाहें न फैलें और भीड़ फिर न जुटे. 

गांवों में दहशत, लोग घर छोड़कर निकले

फैक्ट्री के आसपास रहने वाले लगभग 30 परिवार सुरक्षा के डर से घर छोड़कर चले गए. टिब्बी कस्बे में स्कूल, कॉलेज और बाजार खुले जरूर हैं, लेकिन भारी पुलिस मौजूदगी से माहौल भारी बना हुआ है. टिब्बी और राठीखेड़ा क्षेत्रों में 1500 से ज्यादा पुलिसकर्मी, RAC और होमगार्ड तैनात हैं.

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किसानों का आरोप और विरोध का कारण

किसान और कांग्रेस नेता दावा कर रहे हैं कि फैक्ट्री जमीन और पर्यावरण दोनों के लिए नुकसानदायक है. उनका कहना है कि स्थानीय लोगों की सहमति के बिना फैक्ट्री को मंजूरी दी गई. विरोध को देखकर किसान सुबह से ही पास के गुरुद्वारे में जुट रहे हैं और स्पष्ट कर चुके हैं कि मांगें माने जाने तक आंदोलन जारी रहेगा.

इस एथेनॉल प्लांट का एमओयू 2022 में अशोक गहलोत सरकार ने हरियाणा की कंपनी ड्यून्स इथनॉल प्राइवेट लिमिटेड के साथ किया था. उसी समय परियोजना को मंजूरी मिली थी, लेकिन अब इसके खिलाफ ग्रामीणों का विरोध तेज़ हो गया है. परिस्थिति अभी भी अतिसंवेदनशील है और प्रशासन हालात काबू में लाने की कोशिश कर रहा है.

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