झालावाड़ जिले में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने का बड़ा मामला सामने आया है. पुलिस ने ऑपरेशन शटरडाउन 2 के तहत एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश कर सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस नेटवर्क में सीएमएचओ ऑफिस के आपरेटर, तहसील कार्यालय का रीडर और कई ई मित्र संचालक शामिल थे. यह लोग आपसी मिलीभगत से अपात्र लोगों को दिव्यांग दिखाकर पेंशन, मुफ्त स्कूटी और अन्य योजनाओं का लाभ दिला रहे थे.
जिला पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करने से लेकर फार्म की सत्यापन प्रक्रिया और पेंशन राशि को अप्रूवल कराने तक पूरे सिस्टम की भूमिका का खुलासा हो गया है. पुलिस ने आरोपियों से कई डिजिटल डिवाइस, संदिग्ध डेटा और एक फर्जी दिव्यांग बनकर प्राप्त की गई स्कूटी भी बरामद की है. अब तक ऑपरेशन शटरडाउन के तहत कुल 47 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि तहसील अकलेरा में कार्यरत कनिष्ठ सहायक और रीडर पंकज कुमार ने आरोपी कुलदीप को आधिकारिक आईडी और ओटीपी उपलब्ध करवाए. यह वही आईडी थी, जिससे तहसील स्तर पर फर्जी दिव्यांगों का बल्क डेटा अनुमोदित किया जाता था. पंकज कुमार द्वारा यह गोपनीय जानकारी देने के बदले आर्थिक लाभ प्राप्त करना पाया गया. जांच के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाकर लाभ उठाने का मामला
अनुसंधान के दौरान सामने आया कि आरोपी रविन्द्र कुमार पूरी तरह से स्वस्थ था, लेकिन दस्तावेजों में खुद को दिव्यांग दिखाकर पेंशन ले रहा था. वह न सिर्फ दिव्यांग पेंशन ले रहा था बल्कि वृद्धा पेंशन और विधवा पेंशन जैसी अन्य योजनाओं का भी गलत फायदा ले रहा था. यही नहीं, उसने फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर राज्य सरकार की मुफ्त स्कूटी योजना से स्कूटी भी हासिल कर ली थी. पुलिस ने स्कूटी को जब्त कर लिया. रविन्द्र कुमार को यह फर्जी प्रमाण पत्र सीएमएचओ ऑफिस के आपरेटर युवराज सिंह ने दिया था.
अनुसंधान से सामने आया कि सीएमएचओ ऑफिस का संविदा ऑपरेटर युवराज सिंह हजारों फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी कर चुका था. वह अपने एजेंटों से अनुचित धन लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की अधिकृत आईडी का दुरुपयोग करता था. इसी के आधार पर अपात्र लोगों को दिव्यांग पेंशन, पालनहार योजना और स्कूटी योजना का लाभ दिलाया जाता था. पुलिस ने युवराज सिंह को गिरफ्तार कर लिया.
इसी तरह तहसील अकलेरा में संविदा पर कार्यरत ऑपरेटर हेमंत कुमार और उसका एजेंट राकेश भी इस फर्जीवाड़े में शामिल पाए गए. हेमंत कुमार द्वारा तहसीलदार अकलेरा की आधिकारिक आईडी का दुरुपयोग कर अपात्र लोगों की पेंशन अप्रूवल की जाती थी. दोनों को जांच के बाद गिरफ्तार कर लिया गया.
पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया
पुलिस ने बताया कि पेंशन योजनाओं के अलावा आपदा प्रबंधन सूचना प्रणाली यानी DMIS पोर्टल में भी फर्जीवाड़ा किया जा रहा था. इसमें आरोपी जीतमल की भूमिका सामने आई जिसके बाद उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने बताया कि आरोपी फसल खराबा मुआवजा योजना में भी गलत तरीके से लाभ लेते थे. ऑपरेशन शटरडाउन के दौरान अब तक रैकेट के मुख्य सरगना रामावतार सैनी और मास्टरमाइंड विक्रम सैनी सहित कुल 47 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें से 40 लोगों को जेल भेजा जा चुका है. नवीन गिरफ्तार सात आरोपियों के नाम इस प्रकार हैं.
कुलदीप ढोली, ई मित्र संचालक
पंकज कुमार, कनिष्ठ सहायक और रीडर, तहसील अकलेरा
रविन्द्र कुमार, ई मित्र संचालक और फर्जी दिव्यांग लाभार्थी
युवराज सिंह, संविदा ऑपरेटर, सीएमएचओ ऑफिस
हेमन्त कुमार, संविदा ऑपरेटर, तहसील अकलेरा
राकेश कुमार, एजेंट
जीतमल, फसल खराबा और पेंशन फर्जीवाड़ा आरोपी
पुलिस का कहना है कि अभी भी कई दस्तावेज, डेटा और अन्य सहयोगियों की भूमिका की जांच की जा रही है. कुछ अन्य सरकारी कर्मचारियों की भी भूमिका संदिग्ध मिली है जिनसे पूछताछ जारी है. पुलिस ने बताया कि पूरे रैकेट ने सरकारी योजनाओं में बड़ी राशि का नुकसान किया है. ऑपरेशन शटरडाउन आगे भी जारी रहेगा और इस फर्जीवाड़े से जुड़े हर व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी. जिला पुलिस अधीक्षक ने लोगों से अपील की कि अगर किसी को इस तरह की गतिविधियों की जानकारी हो तो तुरंत पुलिस को सूचित करें. उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करना पुलिस की प्राथमिकता है.
फिरोज अहमद खान