क्या वोट के लिए धर्म पर सियासत की लव स्टोरी का नया एंगल अभी चल रहा है? बाजार में आपने देखा होगा कि जहां लिखा रहता था नक्कालों से सावधान. शुद्ध सामान की दुकान इधर है. क्या ऐसी ही दुकानदारी अब राजनीति के मैदान में देश की बहुसंख्यक आबादी को वोटबैंक बनाकर की जा रही है? वीएचपी, बजरंग दल समेत तमाम हिंदुवादी संगठन ये नारा पहले देते थे कि जो हिंदू हित की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा? क्या अब तुष्टिकरण की राजनीति के आरोप में घिरे रहने वाले नेता भी वोट के लिए हिंदू सियासत की ब्रैंडिंग करने लगे हैं? अपना हिंदू असली, दूसरे का समर्थक हिंदू नकली बताने वाली इस राजनीतिक सोच का नुकसान क्या है? इससे आपका नुकसान क्या है? देखें दस्तक, चित्रा त्रिपाठी के साथ.