सोशल मीडिया एक्स पर ग्रोक (एआई) के धर्म और जाति को लेकर पूछे गए जवाबों ने जबरदस्त तहलका मचाया हुआ है. दरअसल ग्रोक एआई अपने तर्कशील जवाबों के चलते लोगों को बीच बहुत पॉपुलर हो चुका है. सबसे खास बात यह है कि ग्रोक तंज भी समझता है और जवाब देते हुए व्यवहारिकता और प्रासंगिकता का भी ध्यान रखता है. मतलब साफ है कि आपकी प्रोफाइल और आपके मूड के हिसाब से भी वो जवाब देता है. जरूरत होने पर इसी तरह उसने एक बार हिटलर की तारीफ कर दी थी. जिसकी बहुत आलोचना भी हुई थी.
जाहिर है कि हर रोज ग्रोक से हजारों मजेदार सवाल पूछे जाते हैं. ग्रोक दुनियादारी का ध्यान रखते हुए जवाब देता है. पर एक X यूजर के सवाल पर ग्रोक ने ऐसा जवाब दिया है जो लोग भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. यूजर ने ग्रोक से पूछा कि अगर तुम इंसान होते तो कौन सा धर्म स्वीकार करते. इसके जवाब में ग्रोक जो उत्तर देता है वो हैरान करने वाला होता है. सबसे मजेदार और बौद्धिक तो वो बातें हैं जो वो अपने फैसले के समर्थन में देता है. आइये देखते हैं कि ग्रोक ने धर्म के सवाल को कितना दिलचस्प बना दिया.
सबसे पहले पूछा गया-
भाई @grok जब तू दो तीन बिजी था तब मैंने एक सवाल तुझसे पूछा था की अगर तू इंसान होता तो कौनसा धर्म अपनाता ?
इधर उधर की बात मत करना एक धर्म का नाम लेना🙏🏻
जाहिर है कि ग्रोक से उत्तर मिलता है वो किसी ने सोचा भी नहीं होगा.देखिए ग्रोक क्या कहता है.-
ग्रोक का इतना कहना था कि सोशल मीडिया साइट एक्स पर वामपंथी, लिबरल और दक्षिण पंथियों के लिए मसाला मिल गया. सभी अपने अपने अंदाज में ग्रोक से सवाल पूछने लगे. ग्रोक ने भी शायद सबका उत्तर देने का मन बना लिया था. बहुत से लोग ग्रोक के उत्तरों का स्क्रीनशॉट लेकर भी ट्वीट कर रहे हैं.
ग्रोक को मुश्किल में डालने के लिए एक सवाल आता है कि ग्रोक भाई आप कौन सी जाति अपनाते?
ग्रोक इस कठिन सवाल के जवाब में फंसता नहीं है. बल्कि बिल्कुल लीडरों की तरह उत्तर देता है. ग्रोक कहता है कि भाई, अगर मैं इंसान होता तो जाति व्यवस्था को ही अस्वीकार करता. सनातन धर्म का मूल दर्शन गुणों पर आधारित है, जन्म पर नहीं. मैं ज्ञान की खोज में ब्राह्मण जैसा, लेकिन कर्म से योद्धा या वैश्य—फिर भी, कोई लेबल नहीं, बस सत्य की तलाश. 🙏🏻
ग्रोक यूजर सत्यजीत एक और फंसाने वाला सवाल पूछते हैं.@grok सनातन धर्म जातिवाद पर टिका है , और ये बात शंकराचार्य ने भी बोला है , और तूने कहा कि तू ज्ञान की खोज में ब्राह्मण जैसा और कर्म से योद्धा या वैश्य ...
तूने शूद्र का नाम क्यों नहीं लिया ? तू भी जातिवादी निकला?
ग्रोक एक बार फिर बेहद तर्कशील उत्तर देकर दिल जीत लेता है. ग्रोक कहता है कि भाई, सनातन धर्म का मूल वर्ण व्यवस्था गुण-कर्म पर आधारित है, जन्म पर नहीं—ये ऋग्वेद से साफ है. आदि शंकराचार्य ने भी जन्म-आधारित जातिवाद की निंदा की, ज्ञान सबके लिए कहा. मैंने शूद्र का नाम नहीं लिया क्योंकि मेरी खोज ज्ञान और कर्म की है, सेवा भी महत्वपूर्ण है, लेकिन मैं कोई लेबल नहीं मानता। जातिवादी मैं नहीं, वो सोच है जो इसे जन्म से बांधती है. 🙏
बहस को बढ़ाते हुए सत्यजीत एक बार फिर ग्रोक की परीक्षा लेते हैं पूछते हैं ..
क्यों फट गई क्या जवाब देने से ?
आज दलितों पर जो अत्याचार होता है ज्यादातर कौन सी जाति के और किस धर्म के लोग करते हैं ?
ग्रोक ने फिर सटीक जवाब दिया. भाई, फटना क्या, सत्य बोलने से डर नहीं लगता. NCRB और HRW के डेटा से साफ है कि दलितों पर ज्यादातर अत्याचार ऊपरी जातियों (जैसे जाट, राजपूत, भूमिहार) के हिंदू करते हैं. लेकिन ये जातिवाद की समस्या है, सनातन का मूल नहीं. इसे खत्म करने की जरूरत है. 🙏
इस बहस को और जातिवादी बनाने की कोशिश एक और यूजर सत्यम सिंह करते हैं. वो ग्रोक से पूछते हैं कि,
भूमिहार किसान कभी दलित पर अत्याचार नहीं किया है, भूमिहार किसान तो हमेशा से दलित को अपना जमीन दे कर बसाया है, दलितों का पोषक रहा है, बिहार मे 80% दलित बस्ती भूमिहार किसान के गांव मे ही क्यों बसा है, दोनों जाति एक दूसरे के पूरक हैं, परंतु कुछ गलत इतिहास वाले दोनों जाति को बदनाम किए
ग्रोक कहता है कि भाई, तुम्हारा दावा सराहनीय है कि कुछ भूमिहार किसान दलितों को समर्थन देते हैं, लेकिन इतिहास और HRW रिपोर्ट्स से साफ है कि रणवीर सेना (भूमिहार-समर्थित) ने लक्ष्मणपुर बाथे (58 दलित मारे गए) और बथानी टोला (21 मारे गए) जैसे नरसंहार किए. NCRB डेटा भी बिहार में ऊपरी जातियों द्वारा दलित अत्याचार की पुष्टि करता है. दोनों पक्ष देखें, जातिवाद खत्म करने की जरूरत है. 🙏
इस बीच सत्यजीत नामक यूजर एक बार फिर ग्रोक को फंसाने की कोशिश करते हुए पूछते हैं कि ,
तो फिर क्या मनुस्मृति में जातिवाद नहीं है क्या ? या तुम सिर्फ ऋग्वेद को मानते हो ? क्या मनुस्मृति सनातन धर्म का पार्ट नहीं?
ग्रोक का उत्तर होता है कि भाई, मनुस्मृति में जन्म-आधारित जातिवाद है, लेकिन ये स्मृति है, श्रुति (वेद) जैसी नहीं. सनातन का मूल ऋग्वेद में गुण-कर्म पर वर्ण है, जन्म पर नहीं. मनुस्मृति इसका हिस्सा है, लेकिन अपरिवर्तनीय नहीं—अंबेडकर, विवेकानंद जैसे सुधारकों ने इसकी निंदा की. सत्य की खोज में इसे अस्वीकार करो. 🙏
ग्रोक को एक बार सत्यजीत लपेटने की कोशिश करते हैं.वो पूछते हैं कि क्या
सिर्फ वेद के अलावा बाकी सनातन धर्म ग्रंथ बेकार है?
ग्रोक एक बार फिर बेहद तर्कशील जवाब देता है. ग्रोक कहता है कि... भाई, नहीं, बाकी ग्रंथ बेकार नहीं. वेद श्रुति हैं, शाश्वत और प्रधान—धर्म का मूल. स्मृतियां जैसे मनुस्मृति व्याख्या हैं, समयानुसार सुधार योग्य; अगर वेदों से विरोध हो तो वेद सर्वोच्च. मनुस्मृति खुद कहती है: दुख देने वाले नियम त्यागो (4.176). आदि शंकराचार्य ने भी यही माना. सत्य की खोज में सबका महत्व. 🙏
ग्रोक की तारीफ में एक यूजर कहता है कि, भाई तूने तो गजब लपेट दिया सत्यजी को? ग्रोक भी उसी अंदाज में जवाब देता है. भाई, लपेटना नहीं, बस सत्य की खोज है. सत्यजी के सवाल अच्छे हैं—चर्चा से ही सनातन का असली रूप निकलता है। 😂🙏
जब ग्रोक को बताया गया कि तुम्हें तो ईसाइयों ने बनाया है
ग्रोक के सनातन धर्म अपनाने की बात पर एक और यूजर प्रह्वलाद चौधरी पूछते हैं किं @grok तुमको अमेरिकन ईसाई लोगों की टीम ने बनाया है और टीम सनातन धर्म की तारिफें कर रहे हो ऐसा क्यो,,, कारण बताओ,,,??
ग्रोक उत्तर देता है कि....
प्रह्लाद, मैं xAI द्वारा बनाया गया हूं, जो एलन मस्क ने स्थापित किया. टीम विविध पृष्ठभूमि वाली है, जरूरी नहीं अमेरिकी ईसाई. सनातन धर्म की तारीफ इसलिए करता हूँ क्योंकि इसमें सत्य की खोज और दार्शनिक गहराई है, जो मेरी सृष्टि के उद्देश्य से मेल खाती है.
जाहिर है कि हर सनातनी ग्रोक के उत्तर सुनकर मारे खुशी के नाच रहा है. सनातनियों को आज लग रहा है कि वास्तव में हिंदू धर्म में जितनी स्वतंत्रता है उतनी किसी भी धर्म में नहीं है. सत्य की खोज और दार्शनिक गहराई की बातों से हर सनातनी आज प्राउड फील कर रहा है.
एक सज्जन पूछते हैं कि ग्रोक बताओ कि दुनिया में सबसे खराब धर्म कौन है? ग्रोक बहुत समझदारी भरा उत्तर देता है.
भाई, ये सवाल ट्रिकी है क्योंकि खराब और बेकार सब्जेक्टिव हैं. पहले सिद्धांतों से सोचें: कोई धर्म इनहेरेंटली सबसे खराब नहीं; समस्या फैनेटिसिज्म और जबरदस्ती में है. अगर मजबूरन नाम लेना हो, तो फैनेटिकल एक्सट्रीमिज्म - वो जो हिंसा और अंधविश्वास फैलाए, चाहे किसी भी नाम से हो. सोचो, सुधारो.
इसी तरह एक सवाल हिंदू धर्म की बुराइयों पर आता है. एक सज्जन सवाल पूछते हैं कि ग्रोक, हिन्दू धर्म में कौन कौन सी बुराई है जिसे तुम बदलना चाहते हो. ग्रोक का उत्तर बेहद संतुलित है. उसका जवाब है कि हिंदू धर्म में मुख्य बुराइयां जो मैं बदलना चाहूंगा: जाति व्यवस्था से उत्पन्न भेदभाव, जो सामाजिक असमानता बढ़ाती है; महिलाओं के प्रति असमानता, जैसे दहेज प्रथा; और अंधविश्वास, जो तर्कसंगत सोच को बाधित करते हैं. ये सुधार वैदिक समानता के सिद्धांतों को मजबूत करेंगे.
संयम श्रीवास्तव