तेज प्रताप यादव को Y+ कैटेगरी की सिक्योरिटी दी गई है. ये सुरक्षा केंद्र सरकार की तरफ से मुहैया कराई जाती है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद CRPF की एक टीम तेज प्रताप को कवर देगी. बताते हैं, सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से हाल ही में तेज प्रताप की सुरक्षा को लेकर विशेष रिपोर्ट सौंपी गई थी, जिसके आधार केंद्र सरकार ने ये फैसला लिया है.
ऐसी सुरक्षा केंद्र सरकार की तरफ से वीवीआईपी, वीआईपी जैसे प्रमुख व्यक्तियों को प्रदान की जाती है. ऐसी सुरक्षा दी जाने के पीछे कई बार वजह राजनीतिक भी होती है, सुरक्षा वाला पहलू तब सेकंडरी होता है. बिहार चुनाव के दौरान ऐसा होना, यूं ही तो होगा नहीं.
यूपी चुनाव के दौरान भीम आर्मी वाले चंद्रशेखर आजाद को भी ऐसी सुरक्षा मिली हुई थी. और, जब महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ कंगना रनौत की तकरार चल रही थी, तब भी. दोनों बाद में सांसद बने. कंगना रनौत बीजेपी के टिकट पर, और चंद्रशेखर आजाद बीजेपी के अघोषित सपोर्ट की बदौलत.
बिहार चुनाव में तेज प्रताप के मामले में भी राजनीतिक समीकरण मिलते जुलते ही हैं. तेज प्रताप को उनके पिता लालू यादव ने परिवार और अपनी पार्टी आरजेडी से इसी साल मई में बेदखल कर दिया था. बाद में तेज प्रताप यादव ने जनशक्ति जनता दल नाम से पार्टी बनाई, और वो महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. तेज प्रताप ने तेजस्वी यादव के इलाके राघोपुर सहित कई सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतारे हैं.
विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में 6 प्रमुख नेताओं के सुरक्षा इंतजामों बदलाव किया गया था, और उसके तहत महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव की सुरक्षा भी बढ़ाई गई. तेजस्वी यादव को जेड कैटेगरी की सुरक्षा दी गई है.
तेज प्रताप को Y+ सिक्योरिटी क्यों?
जनशक्ति जनता दल प्रमुख तेज प्रताप यादव का कहना है, 'मेरी सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है... क्योंकि मेरे ऊपर खतरा है ना, मेरा हत्या भी लोग करा देगा... अब दुश्मन सब लगा हुआ है.'
बिहार में दूसरे दौर का मतदान 11 नवंबर को होना है. और, दूसरे दौर के लिए चुनाव प्रचार खत्म होने के दिन ही तेज प्रताप यादव की सुरक्षा बढ़ाई गई है. ऐसी सुरक्षा व्यवस्था खुफिया विभाग की रिपोर्ट के आधार पर संबंधित व्यक्ति पर संभावित खतरे के बाकायदा आकलन के बाद दी जाती है. Y+ कैटेगरी की सुरक्षा के तहत केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 11 कमांडो सुरक्षा में 24 घंटे तैनात होते हैं.
पटना एयरपोर्ट पर बीजेपी सांसद से अपनी मुलाकात को जेजेडी प्रमुख तेज प्रताप यादव महज संयोग बता रहे हैं, लेकिन बाकी लोग इसे राजनीतिक प्रयोग के रूप में देख रहे हैं. तेज प्रताप का कहना था, 'ये संयोग है कि हम कल भी मिले, और आज भी मिले.'
और, खास बात ये है कि रवि किशन की तरह से भी सपोर्टिव बयान ही आया, अब संगे शंखनाद होई. दोनों के एक दूसरे की जमकर तारीफ किए जाने की भी खबर आई है - ये सब सुनकर तो कोई भी तेज प्रताप के मुलाकात में संयोग के दावे को तो प्रयोग ही मानेगा.
एक मुलाकात, और खूब चर्चा
तेज प्रताप और रवि किशन की ये अनौपचारिक मुलाकात बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा का बड़ा टॉपिक बना हुआ है. मुलाकात के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि तेज प्रताप यादव और बीजेपी की नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं. और दोनों नेताओं से ऐसे सवाल भी पूछे जा रहे हैं.
मीडिया के सवाल पर तेज प्रताप यादव कहते हैं, 'मैं रवि किशन से पहली बार मिल रहा हूं... हम दोनों भगवान शिव के भक्त हैं, और दोनों के माथे पर त्रिपुंड है... बस यही समानता है.'
बीजेपी का साथ जाने या एनडीए के सत्ता में आने पर सपोर्ट देने के सवाल पर तेज प्रताप का जवाब ना में होता है, लेकिन जो बात बोलते हैं उसमें राजनीतिक संदेश समझे जा सकते हैं. तेज प्रताप ने साफ कर दिया है कि जनशक्ति जनता दल ऐसी सरकार के साथ जाएगी, जो रोजगार देगी... पलायन रोकेगी और बिहार में वास्तविक बदलाव लाने का काम करेगी. कहते हैं, 'मैं किसी के भी साथ रहूंगा, जो बेरोजगारी दूर करे.'
ऐसी ही बातें रवि किशन के सामने भी उठती हैं. रवि किशन जवाब तो गोलमोल ही देते हैं, लेकिन संदेश भी साफ होता है, 'कुछ भी हो सकता है... बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोलेनाथ के सभी भक्तों के लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं, जो निस्वार्थ सेवा करते हैं... किसी निजी एजेंडे के कारण राजनीति में नहीं हैं.'
निश्चित तौर पर ये बातें, महागठबंधन के मुख्यमंत्री फेस तेजस्वी और लालू परिवार के लिए राजनीतिक असुरक्षा के लिए चिंतित होने की वजह होनी चाहिए. बेशक, राबड़ी देवी और उनकी बेटियां तेज प्रताप के मन में होने, या खून का रिश्ता होने की दुहाई देती हैं, लेकिन जिस तरह से तेजस्वी यादव बोल रहे हैं, और लालू यादव चुप हैं, तेज प्रताप यादव खुद को अलग थलग पाते हैं. ऐसे में तो तिनके का सहारा भी बहुत बड़ा आधार होता है, केंद्र सरकार की तरफ से मिला ये सपोर्ट तो बहुत बड़ा है.
ये भी मानकर चलना चाहिए कि एक बार तेज प्रताप यादव अगर बचा खुचा लिहाज भी भूल गए, और दूर निकल गए तो वापस लाना काफी मुश्किल होगा. घर वापसी तभी मुमकिन हो पाएगी, जब कोई बड़ा ऑफर मिलता हो. हो सकता है, तेज प्रताप यादव पार्टी और परिवार के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद न हों, लेकिन नुकसानदेह तो हद से ज्यादा है.
क्या कोई मोकामा कनेक्शन है
राजनीतिक वजह तो अपनी जगह है ही, मोकामा की हिंसा की भी बड़ी भूमिका हो सकती है. बिहार से आने वाले वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार ने अपनी फेसबुक पोस्ट में ऐसा ही संकेत दिया है. तेज प्रताप को मिली सुरक्षा को अभिरंजन कुमार मोकामा में बाहुबली नेता दुलारचंद यादव की हत्या से जोड़कर देख रहे हैं.
अभिरंजन कुमार ने लिखा है, 'तेज प्रताप यादव को Y श्रेणी सुरक्षा दिये जाने को कई लोग तेज प्रताप से भाजपा की बढ़ती नजदीकी के तौर पर देख रहे हैं, लेकिन इसकी असली कहानी यह है कि मोकामा कांड के बाद सरकार सचेत हो गई है... मेरे भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक उसे इनपुट मिल रहा था कि चुनावी लाभ के लिए कोई भी अनहोनी करायी जा सकती है.'
सवाल तो बनता है. मोकामा की घटना कोई आम घटना तो है नहीं. तेज प्रताप यादव सार्वजनिक तौर पर भी अपनी जान को खतरा और दुश्मनों की बात कर रहे हैं. परिवार से कोई खतरा न भी हो, तो कोई तीसरा पक्ष मौके का फायदा उठाने की कोशिश तो कर ही सकता है.
मृगांक शेखर