14 दिसंबर 2025 को सिडनी के बॉन्डी बीच (Bondi Beach) पर आतंकी हमला करने वाले पिता-पुत्र का बैकग्राउंड तलाशा जा रहा है. 15 लोगों को गोलियों से भून देने वाले साजिद अकरम (50 वर्ष) और नवीद अकरम (24 वर्ष) के कट्टरपंथी से जघन्य हत्यारे बनने के सफर की जितनी कडि़यां जुड़ती जा रही हैं, उससे यह साबित होता है कि यह कोई 'लोन वुल्फ अटैक' यानी बिना किसी मदद के किया गया हमला नहीं था. इनके तार ऑस्ट्रेलिया के ‘प्रो-ISIS’ नेटवर्क और विदेश में अटैक की ट्रेनिंग लेने से जुड़ते दिख रहे हैं. मामला अभी जांच चल रही है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने जितना खुलासा किया है, उससे स्पष्ट होता है कि सिडनी में एक इस्लामिक प्रीचर जिहाद के लिए उकसाता है. खासतौर पर यहूदियों के खिलाफ. ISIS-प्रेरित आतंकी उससे जुड़कर पहले इस्लाम का प्रचार करना शुरू करते हैं और फिर धीरे धीरे हमले का फितूर उनके दिमाग में घुसता चला जाता है. फिर वे अपने मंसूबों को अंजाम देने की तैयारी के लिए विदेश यात्रा (फिलिपींस) तक करते हैं, जहां उन्हें मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाती है.
'हेट फैक्टरी' कहा जा रहा है ‘अल मदीना दावा सेंटर’, जहां के प्रीचर विसाम हद्दाद ने फैलाया जहर
अल मदीना दावा सेंटर सिडनी का एक दावा (इस्लामिक धर्म-प्रचार) केन्द्र बताया जाता है. एबीसी जैसे कई मीडिया संस्थानों ने सिक्योरिटी सोर्सेस और ऑस्ट्रेलियाई खुफिया एजेंसी ASIO के एक पूर्व एजेंट के हवाले से लिखा है कि इस सेंटर से कुछ युवा जिहाद की राह पर गए हैं. यहां पर सक्रिय रहा है विसाम हद्दाद, जो सिडनी का एक विवादित इस्लामिक प्रीचर है. उसके कट्टरपंथी विचार और यहूदियों को मारने जैसे भाषण पहले भी ऑस्ट्रेलियाई एजेंसियों को परेशान करते रहे हैं. ऐसे में उससे जुड़े ठिकानों को सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी नजरों में रखा. हद्दाद पर आरोप रहे हैं कि वह युवाओं में कट्टरता भरता. उन्हें जिहाद के नाम पर हिंसा के लिए उकसाता है. लेकिन, उसे सीधे आतंकी अपराध के लिए कभी दंडित नहीं किया गया. हद्दाद ने बॉन्डी बीच पर हुए हमले में किसी सीधे भूमिका का खुला इनकार किया है. लेकिन, अब किसी को शक नहीं रहा है कि यह सब हद्दाद और उसके जैसे कट्टरपंथियों का ही किया कराया है.
अल मदीना दावा सेंटर से क्या था नवीद अकरम का नाता
यह सिडनी-क्षेत्र का एक दावा (इस्लामिक धर्म-प्रचार) केन्द्र बताया जाता है. एबीसी, सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड जैसे कई मीडिया संस्थानों ने सिक्योरिटी सोर्सेस और ऑस्ट्रेलियाई खुफिया एजेंसी ASIO के एक पूर्व एजेंट के हवाले से लिखा है कि इस सेंटर से कुछ युवा जिहाद की राह पर गए हैं. पूर्व ASIO एजेंट ने दावा किया कि यहां हिंसा के लिए उकसाने और युवाओं में कट्टरपंथ भरने के निशान देखे गए हैं.
मीडिया इनवेस्टिगेशन और अधिकारियों के बयान बताते हैं कि नवीद अकराम किशोरावस्था में हद्दाद के भाषणों से प्रभावित हुआ था. सोशल मीडिया पर मौजूद वीडियो में अपनी किशोरावस्था में ही नवीद की तरह स्कूल के लड़कों के सामने धार्मिक उपदेश देता दिखता है. यह लिंक एजेंसियों के लिए शुरुआती रेड फ्लैग था. फिर भी, 2019 के बाद नवीद सीधे किसी सक्रिय वॉचलिस्ट पर लंबी अवधि के लिए नहीं रखा गया.
ASIO ने 2019 में नवीद को अपने राडार पर लिया था. छह महीने जांच चली, लेकिन उसके खिलाफ किसी हिंसक गतिविधि में शामिल होने के सीधे सबूत नहीं मिले. इस तरह उसे हाई लेवल निगरानी-सूची में नहीं रखा गया. इस अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह खुफिया एजेंसियों की चूक थी?
फिलिपींस के दावाओ शहर की यात्रा, अटैक के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग लेने का शक
रिपोर्टों के अनुसार आतंकियों ने पिछले महीने 1 नवंबर में ही फिलिपींस के दावाओ (Davao) शहर की यात्रा की और 28 नवंबर को वहां से लौटे. इसी यात्रा से यह सबूत मिला है कि भारत से 27 साल पहले ऑस्ट्रेलिया जाने के बावजूद साजिद अकरम (नवीद का पिता) अब तक भारतीय पासपोर्ट का इस्तेमाल कर रहा था. दावाओ फिलिपींस के दक्षिणी हिस्से में मौजूद है. बताया जा रहा है कि पिछले कई दशकों से अलग-अलग इस्लामिक आतंकी समूह यहां सक्रिय रहे हैं. साजिद और नवीद के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने बॉन्डी बीच पर हमले की तैयारी के लिए यहीं पर ट्रेनिंग ली. इस यात्रा की जांच बारीकी से चल रही है. सिडनी में आतंकियों के पड़ोसी और परिजन बता रहे हैं कि फिलिपींस-ट्रिप के बाद दोनों का व्यवहार और गतिविधियां बदल गई थीं. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि दावाओ में किसने, कौन-से समूह से और कितने हाई लेवल की ट्रेनिंग इन्हें मिली थी.
बॉन्डी बीच पर बेगुनाहों की हत्या का यह मामला दिखाता है कि आतंकवाद में अक्सर कोई काम 'अकेले' नहीं होता है. इसमें कई लोगों और संस्थाओं की मिलीभगत होती है. आतंकियों के ट्रैक रिकॉर्ड से पता चलता है कि पहले उन्हें स्थानीय स्तर पर मोटिवेट किया गया. इस्लाम और कुरान के संदेशों को तोड़-मरोड़कर आक्रामक और भावनात्मक लेक्चर दिए गए. इंटरनेट पर मौजूद भड़काऊ कंटेंट शेयर किया गया. फिर अंतिम स्टेज पर सीमा-पार से संभावित ट्रेनिंग भी दी गई. बॉन्डी बीच टेरर अटैक से खुफिया एजेंसियों की खामी भी उजागर होती है कि सिर्फ कुछ संदिग्धों पर निगरानी रखने से इस समस्या को नहीं रोका जा सकता. यदि कट्टरपंथ के उकसावे से होने वाले आतंकवाद की जड़ पर प्रहार करना है तो इसके नेटवर्क पर हमला बोलना होगा.
धीरेंद्र राय