लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने 'अबकी बार 400 पार' का नारा दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह सहित सारे बीजेपी नेता जहां कहीं भी जाते हैं, ये नारा बार बार दोहराया जा रहा है - तो क्या वास्तव में आने वाले चुनाव में एनडीए को 400 से ज्यादा सीटें मिलने जा रही हैं?
कुछ सर्वे ऐसे भी आ रहे हैं, जिनमें अकेले बीजेपी के 350 तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया है, और एनडीए के 400 से कुछ ज्यादा सीटें जीत लेने की संभावना जताई गई है - प्रदीप गुप्ता जैसे चुनावी सर्वे कराने वाले एक्सपर्ट अभी कोई भी नंबर बताने से इनकार कर रहे हैं, जबकि सी-वोटर के चुनाव विशेषज्ञ यशवंत देशमुख इस बार 2019 के मुकाबले बीजेपी के हिस्से में ज्यादा सीटें आने की संभावना जता रहे हैं.
सी-वोटर ने लोकसभा की कुल 543 सीटों को तीन हिस्सों में बांट कर बीजेपी के प्रदर्शन का विश्लेषण किया है, और उसके पुराने प्रदर्शनों के आधार पर आगे के नंबर का भी संकेत दिया है - लेकिन वो नाम मात्र ही ज्यादा है. इंडिया टुडे कॉनक्लेव में सी-वोटर के प्रमुख चुनाव विशेषज्ञ यशवंत देशमुख ने 2024 में बीजेपी को 304 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है. यानी पिछली बार के मुकाबले एक सीट ज्यादा. बस.
क्या कहते हैं पुराने आंकड़े
बीते दौर के चुनावी सीन पर नजर डालें तो कुल तीन तरह की परिस्थितियां सामने आती हैं. सी-वोटर ने बीजेपी के हिसाब से लोकसभा की 543 सीटों को तीन कैटेगरी में बांट कर वस्तुस्थिति को समझने और फिर समझाने की कोशिश की है.
एक कंडीशन वो है जहां बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है, और बीजेपी कदम कदम पर भारी पड़ रही है, दूसरी स्थिति वो है जहां बीजेपी का मुकाबला अलग अलग क्षेत्रीय दलों से हैं - और एक स्थिति वो भी है जहां बीजेपी की बिलकुल नहीं चलती. फिर भी बीजेपी अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है. केरल जैसे राज्य इसी श्रेणी में आते हैं - आइए समझने की कोशिश करते हैं.
1. बीजेपी बनाम कांग्रेस की जंग वाले इलाके
सी-वोटर के मुताबिक देश भर में ऐसी 200 सीटें हैं, जिन पर बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है - और पिछले दो चुनावों में बीजेपी कांग्रेस पर इतना भारी पड़ी है कि कांग्रेस के लिए खड़ा हो पाना मुश्किल हो रहा है.
देश की ऐसी 200 लोकसभा सीटों पर 2014 में बीजेपी का वोट शेयर 49.7 फीसदी दर्ज किया गया है. ऐसे लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस का वोट शेयर 31.8 फीसदी और अन्य दलों का 18.5 फीसदी पाया गया है. 2014 में बीजेपी को इनमें से 171 सीटों पर कामयाबी मिली थी. कांग्रेस के हिस्से में 20 सीटें आई थीं, और अन्य दलों के खाते में 9 सीटें.
2019 में बीजेपी का वोट शेयर इन 200 सीटों पर 55.3 फीसदी था, और कांग्रेस का 31.7 फीसदी, जबकि अन्य दलों का 13 फीसदी. बीजेपी को इन इलाकों की 185 लोकसभा सीटें मिल गई थीं. कांग्रेस को 9 सीटों पर जीत मिली थी - और अन्य दलों के खाते में यहां की 6 सीटें आई थीं.
2024 में इन लोकसभा सीटों पर बीजेपी का वोट शेयर 55.4 फीसदी रहने का अनुमान है. और कांग्रेस का 33.5 फीसदी, जबकि अन्य दलों का 11.1 फीसदी - लोकसभा सीटों की बात करें तो बीजेपी के हिस्से में 182 सीटें आ सकती हैं. कांग्रेस को 18 सीटों पर जीत मिल सकती है - और अन्य दलों का खाता जीरो बैलेंस पर पहुंच सकता है.
2. जहां बीजेपी को क्षेत्रीय दलों से चुनौती मिल रही है
पूरे देश में 243 सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी को क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से दो-दो हाथ करने हैं - और कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी के लिए ये जंग थोड़ी मुश्किल साबित हो सकती है. फिर भी बीजेपी का नंबर कम होने की जगह बढ़ भी सकता है.
2014 में इन लोकसभा सीटों पर बीजेपी का वोट शेयर 26.6 फीसदी पाया गया था. कांग्रेस का 11.1 फीसदी, और अन्य दलों का 62.4 फीसदी - 2014 में बीजेपी को इनमें से 108 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को 11 सीटों पर और अन्य दलों को 124 सीटों पर.
2019 में बीजेपी के वोट शेयर में कुछ बढ़ोतरी दर्ज की गई, 35.5 फीसदी. कांग्रेस का वोट शेयर गिर कर 8.9 फीसदी पर पहुंच गया, और अन्य दलों के वोट शेयर में भी गिरावट दर्ज की गई, 55.8 फीसदी. 2019 में बीजेपी को यहां की 118 सीटें मिली थीं. कांग्रेस को 10 सीटों पर जीत मिली थी, और अन्य दलों के खाते में 115 सीटें आई थीं.
जहां तक 2024 की बात है, बीजेपी के वोट शेयर में इजाफा का अंदाजा लगाया जा रहा है, 39 फीसदी. कांग्रेस का 9.1 फीसदी, और अन्य दलों का 51.9 फीसदी. 2024 में बीजेपी को इन क्षेत्रों की 122 सीटें मिली थीं. कांग्रेस को 22 सीटे और अन्य दलों के खाते में 99 सीटें आई थीं.
3. बीजेपी के लिए 100 सीटें तो बेहद मुश्किल हैं
इन 100 सीटों के नतीजों को देखें तो 2014 में बीजेपी का वोट शेयर 7.3 फीसदी था. कांग्रेस की स्थिति बेहतर थी, 14.7 फीसदी जबकि अन्य दलों का वोट शेयर तो शानदार रहा, 78 फीसदी. और लोकसभा सीटें भी उसी हिसाब से मिली थीं. 2014 में बीजेपी को महज 3 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को 13 सीटों पर और अन्य दलों ने 84 सीटों पर बाजी मार ली थी.
2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी का वोट शेयर इन 100 सीटों पर 5.8 फीसदी था. कांग्रेस का 19 फीसदी और अन्य दलों का 75.2 फीसदी. 2019 में तो बीजेपी का खाता भी नहीं खुल सका था. कांग्रेस को 33 सीटों पर जीत मिली थी और अन्य दलों के खाते 2014 के मुकाबले थोड़ा कम लेकिन 67 सीटें आई थीं.
और अब 2024 में बीजेपी का वोट शेयर 11.2 फीसदी होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो पांच साल में डबल हो रहा है. कांग्रेस का वोट शेयर 16.8 फीसदी और अन्य दलों की वोटों की हिस्सेदारी 72 फीसदी हो सकती है.
2024 में बीजेपी का खाता भी खुल पाने की कोई संभावना नहीं बन रही है. कांग्रेस के हिस्से में 31 सीटें आ सकती है, जबकि अन्य दलों के खाते में 69 सीटें जा सकती हैं.
2024 में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती कौन होगा?
1. एक बात तो साफ है, INDIA ब्लॉक अगर वास्तव में मजबूती से खड़ा हो गया होता तो ये बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता था. लेकिन, कांग्रेस कमजोर कड़ी निकली. वरना, बीजेपी को क्षेत्रीय दल जोरदार टक्कर दे सकते थे.
2. विपक्ष के करीब करीब बिखरे होने के कारण बीजेपी को अब कांग्रेस से कोई खास दिक्कत नहीं होने वाली है. और कांग्रेस चूंकि 2014 और 2019 से बहुत बेहतर स्थिति में नहीं आने वाली, इसलिए बीजेपी को मंजिल तक पहुंचने में बहुत मुश्किल नहीं होने वाली, अभी तो ऐसा ही लगता है.
3. और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि जहां कहीं भी क्षेत्रीय दल मजबूत है, बीजेपी के प्रदर्शन पर काफी असर पड़ सकता है - ऐसे भी कह सकते हैं कि बीजेपी का नंबर क्षेत्रीय दलों के चुनावी प्रदर्शन पर निर्भर करता है.
जैसे INDIA ब्लॉक बिखरा हुआ है, ठीक वैसे ही NDA धीरे धीरे काफी मजबूत होता जा रहा है. बीजेपी अपने साथ साथ एनडीए को भी उसी भाव से मजबूत करती चली जा रही है. यशवंत देशमुख के लहजे में समझें तो सियासी मार्केट पर काबिज होने के लिए बीजेपी हर जगह मैन्युफैक्चरिंग यूनिट नहीं लगाई है, जहां कहीं भी वो कमजोर पड़ रही है, मार्केट के आजमाये हुए नुस्खों एक्वीजीशन और मर्जर पर जोर देती आ रही है.
और जो काम जनता नहीं कर पाई, ED और CBI जैसी जांच एजेंसियों ने कर दिखाया है, ये ऑब्जर्वेशन तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही है - और दिल्ली शराब नीति केस में बीआरएस नेता के. कविता ताजातरीन मिसाल बनी हैं, हो सकता है अगली बारी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की हो. राजनीति भी तो अपना काम कानून की तरह ही करने लगी है, पूरी शिद्दत से.
मृगांक शेखर