MP में बकरीद से पहले शुरू हुआ विवाद... कहीं इको-फ्रेंडली बकरे तो कहीं पंचायत का कुर्बानी रोकने का फरमान

Controversy over Qurbani on Bakrid 2025: बकरीद का त्योहार नजदीक आते ही मध्य प्रदेश में एक बार फिर कुर्बानी को लेकर विवाद शुरू हो गया है. भोपाल में हिंदूवादी संगठन इको-फ्रेंडली बकरे बना रहे हैं, वहीं विदिशा जिले की एक ग्राम पंचायत ने बकरीद पर खुलेआम कुर्बानी की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. बकरीद से पहले कुर्बानी पर छिड़े इस घमासान की मध्य प्रदेश से विशेष रिपोर्ट...

Advertisement
इको-फ्रेंडली बकरे को लेकर MP में छिड़ा विवाद. इको-फ्रेंडली बकरे को लेकर MP में छिड़ा विवाद.

रवीश पाल सिंह

  • भोपाल/विदिशा ,
  • 05 जून 2025,
  • अपडेटेड 10:34 AM IST

बकरीद का त्योहार सिर पर है और उससे ठीक पहले मध्य प्रदेश में कुर्बानी के नाम पर विवाद शुरू हो गया है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बकरीद के अवसर पर एक हिंदू संगठन ने अनोखा तरीका अपनाया है. संस्कृति बचाओ मंच ने पशु बलि और जानवरों पर क्रूरता के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए प्रतीकात्मक रूप से मिट्टी के बकरे बनाए हैं. इन मिट्टी से बने इको-फ्रेंडली बकरों की कीमत 1000 रुपये है.

संस्कृति बचाओ मंच के चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि उन्होंने कुल 10 इको-फ्रेंडली बकरे बनवाए हैं, जिनमें से 2 की बुकिंग हो चुकी है. उन्होंने कहा कि पिछले चार साल से बकरीद पर वे इको-फ्रेंडली बकरे बना रहे हैं और इस साल भी उन्होंने मुस्लिम धर्मगुरुओं से मांग की है कि वे अपने समुदाय में इको-फ्रेंडली बकरों के लिए जागरूकता फैलाएं, ताकि पशु हिंसा को रोका जा सके और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ावा मिले.

Advertisement

उन्होंने स्पष्ट किया, “हमारा मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है, बल्कि यह संदेश देना है कि कुर्बानी का भाव प्रतीकात्मक रूप से भी व्यक्त किया जा सकता है. अगर दिवाली पर इको-फ्रेंडली पटाखे और होली पर इको-फ्रेंडली रंग हो सकते हैं, तो बकरीद पर इको-फ्रेंडली बकरे क्यों नहीं हो सकते?”

ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड को इको-फ्रेंडली बकरे से आपत्ति
हालांकि, हिंदूवादी संगठन का इको-फ्रेंडली बकरे बनाना मुस्लिम संगठनों को रास नहीं आ रहा है. ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के मध्य प्रदेश अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी ने ‘आज तक’ से बात करते हुए प्रतिक्रिया दी और कहा कि मुसलमान जो बकरे की कुर्बानी देते हैं, वह पूरी तरह प्राकृतिक है. न तो उसमें हानिकारक रंग होता है और न ही उससे धुआं निकलता है. कुर्बानी के बाद बकरे के मांस को जरूरतमंदों में भी बांटा जाता है. इसलिए संस्कृति बचाओ मंच अगर उनकी संस्कृति पर ध्यान दे, तो यह ज्यादा बेहतर होगा. हमें अपना त्योहार शांति से मनाने दें. हमारे समुदाय के लिए हमारे अपने संगठन हैं.

ग्राम पंचायत का खुलेआम कुर्बानी पर रोक, मामला पहुंचा हाईकोर्ट
विवाद केवल भोपाल तक सीमित नहीं है. कुर्बानी को लेकर पड़ोसी जिले विदिशा में भी तनाव देखने को मिल रहा है. विदिशा जिले के ग्राम हैदरगढ़ में बकरीद पर दी जाने वाली कुर्बानी पर विवाद छिड़ गया है. गांव के मुस्लिम समुदाय ने पंचायत से बकरीद के दौरान गांव के मैदान में पशु कुर्बानी की अनुमति मांगी, लेकिन सरपंच ने नियमों का हवाला देते हुए इजाजत देने से इनकार कर दिया. हैदरगढ़ के सरपंच सुनील विश्वकर्मा ने कहा कि खुलेआम कुर्बानी का अन्य समुदायों द्वारा विरोध किया जा रहा है. इसलिए कानून-व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द को ध्यान में रखते हुए ग्राम पंचायत ने खुलेआम कुर्बानी की अनुमति नहीं दी. 

पंचायत से अनुमति न मिलने पर गांव के भूरा मियां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी. हालांकि, हाईकोर्ट ने मामले को जिला प्रशासन के पास वापस भेज दिया. अब जिला प्रशासन के एसडीएम तय करेंगे कि बकरीद के दौरान कुर्बानी कहां दी जाए. 

दूसरी ओर, मुस्लिम समुदाय का कहना है कि वर्षों से बकरीद पर नियमानुसार कुर्बानी दी जा रही है, तो इस साल विवाद क्यों? उनके आवेदन के अनुसार, पहले की ग्राम पंचायत ने मध्य प्रदेश पंचायत अधिनियम के तहत चिह्नित स्थान पर कुर्बानी की अनुमति दी थी. उसी आधार पर बकरीद के तीन दिनों तक पशु कुर्बानी की इजाजत दी जाए.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement