MP में बैतूल से इटारसी के बीच की सड़क जो कभी विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए बनी थी, आज लोगों की पीड़ा बन चुकी है. सालों से इस 73 किलोमीटर के सफर में जनता गड्ढों, अधूरे पुलों और खराब सड़क पर जूझ रही है. लेकिन जब यही दर्द देश के सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने खुद महसूस किया, तो मंच से ही उन्होंने NHAI के अफसरों की क्लास ले ली.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 28 अक्टूबर को दिए अपने बयान में कहा, "बैतूल से इटारसी के बीच में एक 8 किलोमीटर सड़क 6-7 साल से फॉरेस्ट के कारण बंद पड़ा हुआ है और रास्ते की क्वालिटी भी बैतूल के आगे ठीक नहीं थी. जब मैंने पीडी और आरओ को बुलाया तो... पूछा उनसे कि आपको क्वालिटी दिखती नहीं है क्यों... मैनें पूछा क्यों महीना में हफ्ता मिल रहा है क्या तुमको कांट्रैक्टर से. क्यों नहीं ठीक किया..."
दरअसल, 25 अक्टूबर को नितिन गडकरी अपने परिवार के साथ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व आए थे. इस दौरान वे बैतूल-इटारसी हाईवे से होकर गुजरे थे. अफसरों को इसकी भनक पहले ही मिल गई थी. देखें Video:-
लिहाजा गडकरी के दौरे से ठीक पहले भारी बारिश में ही सड़क बनाने की कोशिशें भी की गईं, जिसका वीडियो भी आप देख सकते हैं. लेकिन इसके बावजूद सड़क की बदहाल हालत नितिन गडकरी से छिपी नहीं.
गडकरी का गुस्सा सिर्फ़ नाराज़गी नहीं था, बल्कि उस सच्चाई का आईना था जिसे जनता बरसों से झेल रही है. इसी हाईवे पर जहां सड़क बन चुकी है, वहां भी कई जगहों पर हालात इतने खराब हैं कि सड़क के नीचे की गिट्टी बाहर निकल आई है.
देखें आजतक की एक्सक्लूसिव ग्राउंड रिपोर्ट:-
सड़क पर अठखेलियां नहीं बल्कि यह तस्वीर गड्ढों में कूदती-फांदती गाड़ियों की है. इस रोड को देखकर आप इसे किसी गांव की सड़क समझ रहे हैं तो आपको बता दें कि यह किसी गांव की सड़क नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से महाराष्ट्र के नागपुर को जोड़ने वाला नेशनल हाईवे है.
इस नेशनल हाईवे का बैतूल से इटारसी तक का हिस्सा कहीं पर वन विभाग की अनुमति न मिलने की वजह से अटका पड़ा है, तो कहीं हाईवे बन जाने के बाद भी बड़े-बड़े गड्ढों ने यहां से गुजरने वालों को परेशान कर रखा है.
आजतक की टीम इस नेशनल हाईवे पर पहुंची तो भयावह हालात थे. एमपी से महाराष्ट्र जाने वाले इस भारी भरकम ट्रक को ही देख लीजिए. सड़क पर आए एक बड़े गड्ढे ने इसकी कमानी को ही तोड़ दिया. यही नहीं, ट्रक का टायर भी इसी वजह से फट गया जिसके बाद जंगल के बीच ट्रक का ड्राइवर और हेल्पर मदद आने का इंतजार करते दिखे.
यही नहीं, कई जगहों पर सड़क के गड्ढे इतने लंबे हैं कि उसे नापने के लिए आजतक संवाददाता को 20-20 कदम चलना पड़ा. आप भी देखिए नेशनल हाईवे-46 के उन लंबे-चौड़े गड्ढों की यह रिपोर्ट:-
इस गड्ढ़ों से भरे नेशनल हाईवे पर आपका सफर मुफ्त नहीं है, बल्कि आप की जेब से भारी भरकम टोल भी लिया जा रहा है. बैतूल से इटारसी के बीच इस नेशनल हाईवे पर कुंडी टोल प्लाजा पड़ता है जहां
* कार/जीप के लिए एक तरफ का टोल ₹85 और वापसी ₹130 तय किया गया है
* हल्के व्यावसायिक वाहन के लिए एक तरफ ₹140 और वापसी ₹210
* बस/ट्रक को एक तरफ ₹295 और वापसी ₹445 देना होगा
* तीन एक्सल ट्रक के लिए ₹320 एक तरफ और ₹485 वापसी तय की गई है
* वहीं भारी वाहन को एक तरफ ₹465 और वापसी ₹695 तक का टोल चुकाना पड़ता है
भारी भरकम टोल चुकाने के बाद भी इस नेशनल हाईवे पर कूदते-फांदते सफर करने वालों को क्या कुछ झेलना पड़ता है, वो जरा उन्हीं की जुबानी सुनिए...
यात्री राजा धुर्वे का कहना है कि करीब 70 किलोमीटर की सड़क में तीन जगह सड़क अधूरी है. दो जगह पुलिया नहीं बनी है. सड़क में इतने गड्ढे हैं कि बार-बार जाम लगता है और कई बार एक्सीडेंट हुए हैं, जिस दिन नितिन गडकरी आए थे, उसी दिन आनन फानन में गड्ढे भरने का काम किया गया था. बारिश के कारण फिर गड्ढे हो गए हैं. स्थिति गंभीर है. इसके बावजूद भी टोल वसूला जा रहा है.
एक अन्य यात्री पुरुषोत्तम का कहना है कि रोड खराब है. उसके बाद भी टोल ले रहे हैं. सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है. सड़क में बहुत सारे गड्ढे हो गए हैं. गाड़ी धीमी गति में चलानी पड़ती है. रोड की कंडीशन खराब है, इसलिए टोल टैक्स नहीं लिया जाना चाहिए.
प्रोजेक्ट की हकीकत
दरअसल, बैतूल से इटारसी के बीच में 73 किमी सड़क बनाने के लिए पैकेज (2) के तहत 589.53 करोड़ की लागत से 2018 से काम शुरू हुआ था. यह काम लोगजियां कंपनी और जितेंद्र सिंह एंड कंपनी ने भारतमाला योजना के तहत किया है. इसके अलावा 21 किमी सड़क का कार्य फारेस्ट की अनुमति नहीं मिलने से रुका है . इसमें बरेठा घाट की 7 किमी ,भौरा की 8 किमी और बाघदेव की 6 किमी सड़क शामिल है. करीब 8 साल पहले एनएचएआई ने औबेदुल्लागंज-बैतूल फोरलेन के प्रोजेक्ट को दो पार्ट में बांटकर टेंडर निकाले थे.
इटारसी-औबेदुल्लागंज के हिस्से में तो समय पर काम शुरू होकर चमचमाता नेशनल हाईवे बन गया, लेकिन इटारसी से बैतूल के हिस्से में हाईवे निर्माण कई जगहों पर या तो शुरू नहीं हुआ और जहां हो गया वहां सड़क की क्वालिटी बेहद खराब है.
भोपाल से नागपुर के बीच यह नेशनल हाईवे कितना अहम है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि रोजाना हजारों गाड़ियों से लाखों लोग इस हाईवे का इस्तेमाल करते हैं.
बहरहाल, यह रिपोर्ट सिर्फ एक मंत्री के गुस्से की कहानी नहीं, बल्कि उन लाखों यात्रियों के दर्द की गवाही है, जिन्होंने सालों से इस रास्ते को रोज सहा है और अब शायद पहली बार एक केंद्रीय मंत्री ने उनकी पीड़ा को महसूस किया है जब खुद उन्हे उस सड़क से होकर गुजरना पड़ा.
रवीश पाल सिंह / राजेश भाटिया