मोबाइल नहीं, सिर्फ वॉकी-टॉकी से करते थे बात, फंसने से पहले से ही वकील भी रखते तैयार, MP का शातिर हाई-टेक गैंग

नीमच एसपी ने बताया कि गिरोह के सदस्य मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते थे, क्योंकि इससे पुलिस जानकारी निकाल लेती है. इसलिए वे वॉकी-टॉकी का सहारा लेते थे.

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 700 CCTV खंगालने के बाद पुलिस ने पकड़ा गिरोह.(Photo:FB/MP Police) 700 CCTV खंगालने के बाद पुलिस ने पकड़ा गिरोह.(Photo:FB/MP Police)

aajtak.in

  • नीमच,
  • 30 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:30 AM IST

MP की नीमच पुलिस ने फिल्मी अंदाज में हाई-टेक तरीके से चोरियां करने वाले एक शातिर अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है. गिरोह के सदस्य इतने चालाक थे कि वे पुलिस से बचने के लिए आपस में वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल करते थे और पकड़े जाने पर कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए पहले से वकील तैयार रखते थे. नीमच पुलिस ने भोपाल तक 700 सीसीसीटीवी कैमरे खंगाले, तब जाकर गैंग तक पहुंच पाई.

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नीमच एसपी अंकित जायसवाल ने बताया कि 9 और 10 सितंबर को नीमच सिटी और थाना क्षेत्र में दो नकबजनी की घटनाएं हुईं. पुलिस ने तत्काल टीम गठित की. एडिशनल एसपी, थाना प्रभारी कैंट और थाना प्रभारी सिटी के नेतृत्व में बनी टीमों ने तकनीकी साक्ष्य और मानवीय खुफिया जानकारी के आधार पर दोनों नकबजनियों का खुलासा किया.

इस गैंग के चार आरोपी गिरफ्तार किए गए, जिनमें मुख्य सरगना अनूप सिंह राजपूत और रघु सिंह राजपूत शामिल हैं. ये दोनों भोपाल के निवासी हैं. इसके अलावा तीन अन्य सदस्य भी हैं, जो हाल ही में जेल में अनूप से मिले थे. इन चारों ने मिलकर ये घटनाएं अंजाम दीं.

पुलिस अफसर ने बताया कि अनूप सिंह के खिलाफ करीब 40 नकबजनी के अपराध दर्ज हैं, जिनमें 17 से 20 अपराध मध्य प्रदेश के हैं. बाकी अपराध दक्षिणी राज्यों, महाराष्ट्र और राजस्थान के भीलवाड़ा क्षेत्र के हैं. यह एक अंतरराज्यीय गैंग है, जो जगह-जगह सक्रिय रहती है. गैंग चोरी के वाहनों का इस्तेमाल करती थी. नीमच में नकबजनी के लिए इस्तेमाल वाहन इंदौर से चोरी किया गया था. चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है.

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इसके अलावा, गैंग के सदस्य वॉकी टॉकी समेत अन्य गैजेट्स का भी इस्तेमाल करते थे, जो पुलिस को भ्रमित करने में मददगार साबित होते थे. पुलिस ने तकनीकी और मानवीय मोर्चे पर कड़ी मेहनत की. अन्य राज्यों और जिलों की पुलिस से भी लगातार संपर्क में रही. बाहर से आने वाली ऐसी गैंग्स पर नजर रखी जा रही थी, जिनमें चोरी के वाहनों का इस्तेमाल होता है. इस प्रयास से सफलता मिली.

पुलिस कप्तान ने बताया कि आरोपी अहमद हुसैन और अभिषेक लूनिया अनूप से जेल में मिले थे. जब अनूप, अहमद और अभिषेक साथ थे, तभी इनकी जान-पहचान हुई और दोस्ती बनी. जेल से बाहर आने के बाद इनके द्वारा प्लानिंग की गई. अहमद हुसैन की बहन मंदसौर क्षेत्र की रहने वाली है और वह खुद मंदसौर का निवासी है. इसलिए उसे मंदसौर और नीमच के सभी रास्तों और इलाकों की अच्छी जानकारी थी. इसी का फायदा उठाकर यहां अपराध को अंजाम दिया गया.

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