MP: थैलेसीमिया पीड़ित छह बच्चों में HIV संक्रमण, जांच के लिए 6 सदस्यीय समिति बनी

मध्य प्रदेश में थैलेसीमिया से पीड़ित छह बच्चों के एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने के बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए छह सदस्यीय समिति गठित की है. चार मामले सतना के एक अस्पताल से जुड़े हैं. समिति को सात दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं. सरकार दूषित रक्त संक्रमण की आशंका सहित सरकारी व अन्य अस्पतालों में हुई संभावित लापरवाही की जांच कर रही है.

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मध्य प्रदेश में थैलेसीमिया पीड़ित छह बच्चों में HIV संक्रमण पाए जाने के बाद हंडकंप मच गया (representative Photo) मध्य प्रदेश में थैलेसीमिया पीड़ित छह बच्चों में HIV संक्रमण पाए जाने के बाद हंडकंप मच गया (representative Photo)

aajtak.in

  • सतना ,
  • 17 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:58 AM IST

मध्य प्रदेश में थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे छह मासूम बच्चों के एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गई है. मामले की संवेदनशीलता और गंभीरता को देखते हुए सरकार ने छह सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया है, जिसे सात दिन के भीतर अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं. इस घटना के बाद न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है, बल्कि आम लोगों के मन में भी कई सवाल खड़े हो गए हैं.

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सतना से सामने आया चौंकाने वाला मामला

जानकारी के मुताबिक, एचआईवी संक्रमित पाए गए छह बच्चों में से चार अकेले सतना जिले के एक सरकारी अस्पताल से जुड़े हैं. ये सभी बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित हैं और उन्हें जीवन बचाने के लिए नियमित रूप से रक्त चढ़ाया जाता था. प्रारंभिक जांच में आशंका जताई जा रही है कि दूषित रक्त चढ़ाए जाने के कारण ही इन बच्चों में एचआईवी संक्रमण फैला. इसके अलावा जबलपुर और अन्य जिलों के अस्पतालों से भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि मामला सिर्फ एक अस्पताल या एक जिले तक सीमित नहीं है.

सरकार ने गठित की जांच समिति

मामले के सामने आते ही लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त तरुण राठी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए छह सदस्यीय जांच समिति के गठन का आदेश जारी किया. इस आदेश में समिति को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया है कि वह पूरे मामले की गहराई से जांच कर सात दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपे. आदेश के अनुसार, इस जांच समिति की अध्यक्षता लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, रीवा संभाग के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. सत्य अवधिया करेंगे. समिति में रक्त संक्रमण, दवा नियंत्रण और चिकित्सा विशेषज्ञता से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया है, ताकि जांच किसी भी स्तर पर अधूरी न रह जाए.

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कौन-कौन हैं जांच समिति के सदस्य

जांच टीम में राज्य रक्त संक्रमण परिषद (एसबीटीसी) की उपनिदेशक रूबी खान, एम्स भोपाल के रक्त संक्रमण विशेषज्ञ रोमेश जैन, भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं शोध केंद्र की विशेषज्ञ सीमा नवेद, होशंगाबाद में खाद्य एवं औषधि प्रशासन के वरिष्ठ औषधि निरीक्षक संजीव जादौन और भोपाल में इसी विभाग की औषधि निरीक्षक प्रियंका चौबे को शामिल किया गया है. इन विशेषज्ञों की मौजूदगी यह संकेत देती है कि सरकार इस मामले में रक्त बैंकों, अस्पतालों और दवा नियंत्रण से जुड़े हर पहलू की बारीकी से जांच कराना चाहती है.

12 से 15 साल के बच्चे बने शिकार

बताया जा रहा है कि एचआईवी संक्रमित पाए गए सभी बच्चे 12 से 15 वर्ष के आयु वर्ग के हैं. यह तथ्य इस मामले को और भी संवेदनशील बना देता है. अधिकारियों के अनुसार, नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान इन बच्चों की जांच की गई, जिसमें एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन छह बच्चों में से एक के माता-पिता भी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं. इससे यह सवाल और गहराता जा रहा है कि संक्रमण का स्रोत आखिर क्या है और यह कहां से फैला.

जनवरी से मई के बीच आए मामले

सतना के कलेक्टर सतीश कुमार एस ने इस मामले पर पहले ही जानकारी देते हुए बताया था कि ये संक्रमण के मामले इस साल जनवरी से मई के बीच सामने आए हैं. सभी पीड़ित बच्चों का फिलहाल इलाज चल रहा है और उन्हें जरूरी चिकित्सकीय सहायता दी जा रही है. जिलाधिकारी के मुताबिक, थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को नियमित रूप से रक्त चढ़ाया जाना उनकी जीवनरक्षा के लिए जरूरी होता है. लेकिन अगर रक्त संक्रमण की प्रक्रिया में जरा सी भी लापरवाही हुई, तो इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं, जैसा कि इस मामले में देखने को मिला.

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रक्त बैंकों और अस्पतालों पर उठे सवाल

इस पूरे मामले ने सरकारी अस्पतालों में रक्त संक्रमण की व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. क्या रक्त बैंकों में सही तरीके से जांच हो रही थी? क्या रक्त दाताओं की स्क्रीनिंग में कोई चूक हुई? और क्या मानकों का पूरी तरह पालन किया जा रहा था? इन सवालों के जवाब तलाशना अब जांच समिति की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि कहीं यह रक्त संक्रमण किसी सरकारी अस्पताल के अलावा किसी निजी या अन्य संस्थान में तो नहीं हुआ.

स्वास्थ्य मंत्री ने दिए जांच के आदेश

मामले को गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि उन्होंने इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने अधिकारियों से जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने को कहा है, ताकि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके. स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार बच्चों और उनके परिवारों के इलाज में किसी भी तरह की कमी नहीं आने देगी. पीड़ित परिवारों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी.

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