MP: भर्ती परीक्षा में धांधली... बढ़ रही बेरोजगारी! क्या युवा वोटरों का गुस्सा शिवराज सरकार पर पड़ेगा भारी?

एमपी में इन दिनों पटवारी भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के आरोप लगाए जा रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि परीक्षा में गड़बड़ी से युवा खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. अगर सरकार ने उनका गुस्सा शांत करने के लिए कोई उपाय नहीं किया तो सरकार को आगामी विधानसभा चुनाव में इसके परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

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पटवारी परीक्षा में गड़गड़ी के बाद सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं युवा (फाइल फोटो) पटवारी परीक्षा में गड़गड़ी के बाद सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं युवा (फाइल फोटो)

रवीश पाल सिंह

  • भोपाल,
  • 20 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 8:16 AM IST

मध्यप्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा में धांधली को लेकर चल रहे बवाल के बीच अब सवाल उठने लगा कि सत्तारूढ़ दल के लिए क्या एमपी की भर्ती परीक्षाओं में धांधली भारी पढ़ सकती है? क्या युवाओं का गुस्सा बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में नुकसान पहुंचा सकता है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि क्योंकि एमपी में युवा वोटरों की संख्या पिछले चुनाव के मुकाबले काफी बढ़ गई है और युवाओं के लिए बेरोजगारी और नौकरी हमेशा से ही सबसे अहम मुद्दा होता है. 

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करीब 5. 50 करोड़ है युवाओं की संख्या

मध्यप्रदेश में युवा वोटरों की संख्या पर नजर डालें तो साफ हो जाएगा कि सत्तारूढ़ दल के लिए भर्ती परीक्षाओं में धांधली और बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवाओं का गुस्सा कितना भारी पड़ सकता है. मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग के मुताबिक साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या करीब 5 करोड़ 7 लाख थी, जो 2023 तक बढ़कर करीब 5 करोड़ 40 लाख 90 हजार हो गई है.

पहली बार चुनाव में वोट डालने वाले 21 साल तक के युवा वोटरों की संख्या करीब 30 लाख है. वहीं 18 से 40 साल तक के युवाओं की बात करें तो उनकी संख्या करीब 2 करोड़ 80 लाख है. इनमें से लाखों युवा बेरोजगार हैं, जो नौकरी की तलाश कर रहे हैं. लिहाजा भर्ती परीक्षाओं में धांधली और बेरोजगारी इनके लिए इस साल विधानसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा है. 

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तो ज्वॉइनिंग पर का आ जाएगा संकट

- भोपाल के रहने वाले 30 साल के नीलेश श्रीवास्तव एमपीपीएससी की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने सोचा कि इस बीच में पटवारी भर्ती परीक्षा निकली तो सोचा इसमें भाग लेकर अनुभव मिल जाएगा जो आगे काम आएगा. नीलेश बताते हैं कि उनका मकसद सिर्फ परीक्षा देकर अनुभव हासिल करना था, इसलिए उन्होंने पटवारी भर्ती परीक्षा दी. उनका चयन तो नहीं हुआ लेकिन वह अपने आप को खुशकिस्मत मानते हैं क्योंकि पटवारी भर्ती परीक्षा पर जो सवाल उठ रहे हैं, उससे इस बात का डर है कि जिन्होंने मेहनत करके परीक्षा पास की उनका भविष्य अब खतरे में हैं, क्योंकि सीएम के परीक्षा नतीजों की जांच के आदेश के बाद अब ज्वॉइनिंग पर संकट आ गया है. 

- रीवा की रहने वाली निधि सिंह का पटवारी भर्ती परीक्षा में चयन हो चुका है लेकिन परीक्षा में धांधली के आरोपों के बाद अब निधि ज्वॉइनिंग को लेकर परेशान है. वह बताती हैं कि पटवारी भर्ती से पहले उन्होंने MPPSC परीक्षा दी, CGL परीक्षा दी, CAT दिया लेकिन सिलेक्शन पटवारी में हुआ तो लगा अब सब ठीक हो जाएगा लेकिन जॉइनिंग पर संकट आ गया है. अब उनकी सरकार से मांग है कि ज्वॉइनिंग जल्द दे दी जाए नहीं तो वह और उनके जैसे लाखों युवाओं की नाराजगी सत्तारूढ़ दल को झेलनी पड़ेगी. 

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अच्छा नहीं रहा है परीक्षाओं का इतिहास

एमपी में भर्ती परीक्षाओं का इतिहास हमेशा से ही विवादों में रहा है. पटवारी भर्ती परीक्षा से पहले कृषि विस्तार अधिकारी परीक्षा भी उस समय विवादों में आ गई थी, जब कई सारे छात्रों को 190 से ज्यादा या उसके आसपास अंक मिले थे. टॉप 10 में आए सभी छात्र ग्वालियर-चंबल संभाग से थे. इसके बार कृषि विकास अधिकारी और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी परीक्षा को रद्द कर दिया गया था. इसके अलावा नर्स के पदों पर भर्ती के लिए आयोजित MPNHM परीक्षा को भी पेपर लीक होने के बाद रद्द कर दिया गया था. स्‍टाफ नर्स 2284 पदों पर भर्ती के लिए 45,000 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. पेपर लीक की खबर सही पाए जाने के चलते पूरा पेपर रद्द कर दिया गया था.

 

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