'मेरे पिता जिंदा भी हैं या नहीं, 17 साल से कोई खबर नहीं', मालेगांव फैसले के बाद वांटेड आरोपी कलसांगरा के बेटे ने पूछा सवाल

Malegaon Blast Case Verdict: देवव्रत कलसांगरा ने कहा कि महाराष्ट्र ATS के अधिकारियों ने पिता के ठिकाने के बारे में पूछताछ के बहाने परिवार को लंबे समय तक परेशान किया. मैं तत्कालीन एटीएस जांच अधिकारियों से पूछना चाहता हूं कि मेरी मां को खुद को विवाहित महिला मानना चाहिए या विधवा? 

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2008 के मालेगांव विस्फोट की तस्वीर. (File Photo) 2008 के मालेगांव विस्फोट की तस्वीर. (File Photo)

aajtak.in

  • इंदौर,
  • 01 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 3:57 PM IST

2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में वांटेड आरोपी रामजी कलसांगरा के बेटे ने अदालत के फैसले का स्वागत किया, लेकिन 17 साल से लापता अपने पिता के ठिकाने के बारे में अपने और अपने परिवार के लिए समाधान की मांग की.

मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास 29 सितंबर, 2008 को एक बाइक पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हो गया, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और 101 अन्य घायल हो गए. 17 साल बाद मुंबई की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को सभी सात आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि 'कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं' था.

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देवव्रत कलसांगरा ने इंदौर में एक न्यूज एजेंसी को बताया कि इस फैसले से मामले में स्पष्टता आई है और यह साबित हुआ है कि 'भगवा आतंकवाद' जैसी कोई अवधारणा कभी अस्तित्व में ही नहीं थी.

व्यथित देवव्रत ने पूछा, "साल 2008 से हमारा पूरा परिवार इस अनिश्चितता से जूझ रहा है कि मेरे पिता जीवित भी हैं या नहीं? 17 सालों तक उनके बारे में कोई जानकारी न मिलने से ज़्यादा पीड़ादायक और क्या हो सकता है." 

उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) के अधिकारियों ने मेरे पिता के ठिकाने के बारे में पूछताछ के बहाने मेरे परिवार को लंबे समय तक परेशान किया. मैं तत्कालीन एटीएस जांच अधिकारियों से पूछना चाहता हूं कि मेरी मां को खुद को विवाहित महिला मानना चाहिए या विधवा?" 

उन्होंने आरोप लगाया कि एटीएस ने उनके पिता को अवैध रूप से हिरासत में लिया होगा और उस दौरान उनके साथ कुछ अप्रिय घटना घटी होगी.

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अपने पिता के लापता होने की गहन जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए देवव्रत ने कहा, "हम अभी भी न्याय का इंतज़ार कर रहे हैं. मेरी मां, मेरे दोनों भाई और मेरे दादा-दादी को अब भी उम्मीद है कि एक दिन हमें मेरे पिता के बारे में ठोस खबर मिलेगी."

देवव्रत ने बताया कि उनके पिता मूल रूप से किसान परिवार से थे और इलेक्ट्रीशियन का काम करते थे. वह 17 साल पहले लापता होने से पहले बंगाली चौराहा इलाके में रहते थे.

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