मध्य प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बुधवार को इंदौर में पानी दूषित होने के मामले में अधिकारियों की लापरवाही को माना, जिससे अब तक 7 लोगों की जान जा चुकी है और कहा कि जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन्हें उनके पद की परवाह किए बिना बख्शा नहीं जाएगा.
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी पीने से बीमार पड़ने के बाद एक हफ्ते के अंदर अब तक सात लोगों की मौत की पुष्टि मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने की है.
पिछले एक हफ्ते में भागीरथपुरा में उल्टी-दस्त के प्रकोप से 1100 से ज्यादा लोग किसी न किसी रूप में प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 111 मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. भागीरथपुरा शहरी विकास और आवास मंत्री विजयवर्गीय के विधानसभा क्षेत्र इंदौर-1 के तहत आता है.
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मानी लापरवाही
दूषित पीने के पानी की घटना के बारे में पूछे जाने पर, मध्य प्रदेश विधानसभा मामलों के मंत्री ने पत्रकारों से कहा, "मुझे लगता है कि गलती हुई है, लेकिन अभी इस पर चर्चा करने के बजाय यह बेहतर होगा कि हम पहले यह सुनिश्चित करें कि सभी मरीज ठीक हो जाएं और एक सकारात्मक माहौल बनाएं."
उन्होंने कहा कि दूषित पीने के पानी की घटना के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, भले ही संबंधित अधिकारी बहुत ऊंचे पद पर हो.
दूषित पानी से हुई मौतों की संख्या पर, विजयवर्गीय ने कहा, "मैं अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा क्योंकि कुछ लोगों की स्वाभाविक मौत हुई है, जबकि कुछ मौतें इस घटना में भी हुई हैं. इसलिए, डॉक्टरों और प्रशासन की जांच के बाद, हम आंकड़े साझा करेंगे."
मंत्री ने कहा कि भागीरथपुरा में उल्टी और दस्त से पीड़ित मरीजों की संख्या में कमी आई है, लेकिन अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती अभी भी जारी है.उन्होंने कहा कि भागीरथपुरा इलाके में चार एम्बुलेंस और मेडिकल कर्मियों की अलग-अलग टीमें तैनात की गई हैं.
विजयवर्गीय के अनुसार, शहर के सरकारी महाराजा यशवंतराव अस्पताल और निजी श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि भागीरथपुरा के निजी अस्पतालों को सूचित किया गया है कि राज्य सरकार सभी मरीजों के पूरे मेडिकल इलाज का खर्च उठाएगी.
शौचालय के नीचे लीकेज
नगर निगम कमिश्नर दिलीप कुमार यादव ने बताया कि भागीरथपुरा में मुख्य पानी की सप्लाई पाइपलाइन में एक जगह लीकेज का पता चला है, जिसके ऊपर एक शौचालय बना हुआ पाया गया, और संभवतः इसी लीकेज के कारण पानी दूषित हुआ.
अधिकारियों पर गाज गिरी
एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देशों के बाद नगर निगम के एक जोनल अधिकारी और एक असिस्टेंट इंजीनियर को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया है, जबकि एक इंचार्ज सब-इंजीनियर की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं.
अधिकारी ने बताया कि दूषित पीने के पानी की घटना की जांच के लिए एक इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) अधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है.
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