मध्य प्रदेश के गुना में खाद वितरण केंद्र पर यूरिया लेने पहुंची आदिवासी महिला भूरिया बाई की मौत हो गई थी. आदिवासी महिला की मौत के बाद हड़कंप मच गया था. लेकिन महिला की मौत होने के बाद भी जिला प्रशासन ने सबक नहीं लिया.
महिला की मौत के बाद अब उसके परिजन पंचायत, नगर पालिका और जिला अस्पताल के चक्कर काटने को मजबूर हैं. महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र पाने के लिए परिजनों को युद्ध स्तर पर संघर्ष करना पड़ा. अंतिम संस्कार करने के बाद जब भूरिया बाई का भतीजा हरनाम सिंह जिला अस्पताल में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने गया तो कार्यालय में मौजूद क्लर्क महेंद्र सिंह जाटव ने अभद्रता की.
क्लर्क ने दुत्कारते हुए कहा, "मौत मंडी में हुई है तो यहां क्या लेने आया है?" यही स्थिति नगरपालिका और पंचायत में भी हुई. किसी ने भी मृत्यु प्रमाण पत्र देने की कोशिश नहीं की. परिजन दिन भर भटकते रहे और फिर गांव वापस लौट गए. ये हालात उस वक्त के हैं, जब केंद्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने लोकसभा क्षेत्र गुना के दौरे पर थे.
सिस्टम की इस बदरंग तस्वीर ने प्रशासनिक व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी. बताया जा रहा है कि परिजनों को चुप रहने की नसीहत भी दी गई हैण् कहा गया है कि इस मामले को ज्यादा उछाला तो अच्छा नहीं होगा .
हालांकि, वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल प्रबन्धन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए क्लर्क महेंद्र सिंह जाटव को निलंबित कर दिया है. अस्पताल प्रबंधन ने पत्र जारी करते हुए बताया कि जन्म मृत्यु शाखा के क्लर्क महेंद्र सिंह जाटव द्वारा अभद्र भाषा का उपयोग किया गया . लापरवाही अनुशासनहीनता के चलते मप्र सिविल सेवा अधिनियम 1966 के नियम 9 के तहत महेंद्र सिंह जाटव को निलंबित किया जाता है.
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कांग्रेस विधायक ऋषि अग्रवाल ने आरोप लगाते हुए बताया कि मृतक महिला के परिजनों को डराया धमकाया जा रहा है कि इस मामले को ज्यादा न उछाला जाए.
वहीं, खाद के लिए महिला की जान जाने के बाद कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने खाद वितरण केंद्रों का निरीक्षण किया और काउंटर की संख्या 15 से बढ़ाकर 33 कर दी . किसानों को पांच के बदले अब 10 बैग खाद दी जाएगी .
विकास दीक्षित