MP अजब है! कागजों में 23 साल तक चला 'गवर्नमेंट स्कूल', प्राइवेट टीचर्स को मिलती रही सरकारी खजाने से सैलरी, ₹15 करोड़ की रिकवरी होगी

MP बहुत अजब है... जहां एक तरफ वो बेरोजगार जो पिछले महीने तक सड़क पर इसलिए संघर्ष करते रहे ताकि वर्षों से लटकी भरती में नियुक्ति मिल सके वो शिक्षक बन सकें. दूसरी तरफ एक ऐसा स्कूल जहां सरकारी मिलीभगत से फर्जीवाड़ा करके स्कूल को केवल कागज पर सरकारी दिखाकर 23 साल वेतन सरकारी खजाने से दिलाया जाता रहा.

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निवाड़ी का शास्त्री हायर सेकेंडरी स्कूल घोटाला.(Photo:Screengrab) निवाड़ी का शास्त्री हायर सेकेंडरी स्कूल घोटाला.(Photo:Screengrab)

रवीश पाल सिंह / हिमांशु पुरोहित / मयंक दुबे

  • निवाड़ी/सागर/भोपाल,
  • 02 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:08 AM IST

मध्यप्रदेश में 23 साल से मिलीभगत करके उस स्कूल को सरकारी बताकर शिक्षकों के नाम पर सैलरी सरकारी खजाने से दिलवाई गई, जो असल में सरकारी कभी था ही नहीं. अब खुलासा होने पर 15 करोड़ की रिकवरी का आदेश जारी हुआ है. 

इस स्कूल का नाम है- शास्त्री हायर सेकेंडरी स्कूल. निवाड़ी जिले का यह स्कूल बीते 23 साल से स्कूल शिक्षा विभाग से सैलरी लेता रहा. सरकारी टीचर की तरह इन्हें साल 2002 से एरियर और प्रमोशन का फायदा मिलता रहा. 

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यहां घोटाला करके कुल 15 करोड़, 88 लाख, 88 हजार, 995 रुपए सरकारी खजाने से स्कूल के टीचर्स को बंट गए. लेकिन स्कूल की पोलपट्टी तब खुली, जब इसी स्कूल के टीचर की मौत के बाद उनके परिजन मृतक आश्रित कोटे से नौकरी के लिए पहुंचे. 

पता चला जिनके नाम पर आश्रित कोटे से सरकारी नौकरी मांगी जा रही है, वो खुद सरकारी शिक्षक नहीं थे और न ही स्कूल सरकारी है. 

लोक शिक्षण सागर संभाग के तत्कालीन प्रभारी संयुक्त संचालक मृत्युंजय कुमार ने बताया, ''निवाड़ी-टीकमगढ़ में करीब 20 साल से ज्यादा समय से चल रहे लगभग ₹15 करोड़ 88 लाख के शिक्षा घोटाले की जांच पूरी कर लोकायुक्त को रिपोर्ट भेजी गई है. यह मामला पहले से लंबित था. 4 जुलाई 2025 को प्रभार लेने के बाद मैंने आयुक्त कार्यालय के निर्देश पर जांच कराई. दोनों जिलों के डीईओ से तीन दिन में रिपोर्ट मंगवाई गई.

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11 नवंबर को लोकायुक्त के विधि सलाहकार के सामने पेशी हुई. वहां पूछा गया कि इतनी बड़ी राशि के गबन में अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? मौखिक रूप से विभाग को निर्देश दिया गया है कि एक माह में पूरी राशि की वसूली की जाए, अन्यथा दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी.

इसमें 3 जिला शिक्षा अधिकारी, 3-4 बीईओ, कुछ संकुल प्राचार्य और प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक शामिल हैं. शासन तय कर रहा है कि वसूली की जिम्मेदारी किस-किस पर डाली जाए. सभी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी.''

सवाल उठा रहा है कि जिस मध्यप्रदेश में बीच में कमलनाथ का शासन छोड़ दें तो लगातार बीजेपी की सत्ता रही. वहां 23 साल तक इस घपलेबाजी का पता क्यों नहीं लगा? 

सरकार का बयान

इसको लेकर मोहन सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, ''ये मामला हमारे स्कूली शिक्षा के अधिकारी ने ही पकड़ा है. क्योंकि मुख्यमंत्री जी का पूरा आदेश है कि इस तरह के कोई भी यदि प्रकरण है तो उस पर सख्त कारवाई होगी, और जैसे ही इस मामले का संज्ञान आया तो तुरंत कार्रवाई की गई है. रिकवरी के आदेश दिए गए हैं. जो दोषी है, उन पर कारवाई होगी और इस तरह के प्रकरण और तो नहीं है, इसकी भी जांच हो रही है.'' 

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जांच का दायरा बढ़ेगा

विभाग अब यह भी जांच कर रहा है कि क्या यह मामला केवल निवाड़ी जिले के एक स्कूल तक सीमित है या राज्य में ऐसे और भी प्रकरण हैं.  

इस मामले में 15 करोड़ रुपए की रिकवरी का आदेश तो जारी हो गया, लेकिन ये सच्चाई भी उजागर हो गई की विभाग में लंबे समय से अधिकारी और कर्मचारी इस घोटाले को अंजाम दे रहे थे और इसी की वजह से बिना किसी रोक टोक के सालों तक प्राइवेट टीचर्स को सरकारी खजाने से तनख्वाह बंटती रही. 

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