पर्यावरणविदों ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर उज्जैन में बर्ड टावरों के निर्माण का विरोध किया है. उनका कहना है कि मुक्त विचरण करने वाले पक्षियों को ऐसी सुविधा प्रदान करना 'अप्राकृतिक और अव्यवहारिक' है.
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में एनजीओ द नेचर वॉलंटियर्स (TNV) सोसायटी ने दावा किया है कि नवंबर 2021 में जारी राज्य सरकार के आदेश के मानदंडों का उल्लंघन करते हुए उज्जैन में ऐसे कई टावर बनाए जा रहे हैं.
सोसायटी के अध्यक्ष पद्मश्री भालू मोंढे ने पत्र में कहा, अनुभव से पता चला है कि 'उड़ने वाले चूहे', जैसा कि भारतीय चट्टानी कबूतरों को कहा जाता है, इन टावरों पर कब्जा कर लेंगे, न तो राज्य पक्षी पैराडाइस फ्लाई कैचर और न ही गोल्डन ओरियोल वहां घोंसला बनाने जाएंगे, जल पक्षियों या विभिन्न वृक्षीय प्रजातियों की तो बात ही छोड़िए।’’
वन्यजीव विशेषज्ञ और पूर्व भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी सुहास कुमार ने कहा कि रॉक कबूतरों में खतरनाक बैक्टीरिया और एक विशेष प्रकार का प्रोटीन होता है जो मानव फेफड़ों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है.
पर्यावरणविद अभिलाष खांडेकर ने बताया, पक्षियों के लिए सीमेंट कंक्रीट की संरचना गुजरात का नया चलन है. नेचर वॉलंटियर्स ने इसका विरोध किया था और राज्य सरकार से 2021 में पक्षी टावरों के निर्माण को हतोत्साहित करने और प्रतिबंधित करने का आधिकारिक आदेश जारी करवाया था.
उज्जैन वार्ड-27 के पार्षद गोपाल बलवानी ने बताया कि वसंत विहार और मुनि नगर के पास 315-315 पक्षियों के लिए पक्षी टावर बनाए गए हैं. उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने साफ किया कि किसी व्यक्ति या एनजीओ ने ऐसे टावर बनाए होंगे, लेकिन सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है.
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