किसानों को 10 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं... 24 घंटे में रद्द हुआ 'सैलरी काटो' आदेश, बिजली कंपनी के CGM पर गिरी गाज

MP Electricity Order Cancelled: MP में बिजली कंपनी के CGM ने आदेश दिया था कि अगर किसी कृषि फीडर पर 10 घंटे से अधिक बिजली सप्लाई दी जाती है, तो इसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और संबंधित कर्मचारियों की वेतन कटौती की जाएगी.

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CM मोहन यादव ने CGM अजय कुमार जैन को हटाया. CM मोहन यादव ने CGM अजय कुमार जैन को हटाया.

रवीश पाल सिंह

  • भोपाल,
  • 05 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:29 PM IST

मध्य प्रदेश में रबी फसलों की तैयारी कर रहे किसानों को 10 घंटे से ज्यादा बिजली देने पर कर्मचारियों की सैलरी काटने का आदेश रद्द कर दिया है. इतना ही नहीं, यह फरमान जारी करने वाले बिजली कंपनी के चीफ जनरल मैनेजर (CGM) अजय कुमार जैन पर भी गाज गिरी है और उन्हें उनके पद से हटा दिया गया है.

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा जारी किए गए इस आदेश को कांग्रेस ने किसान विरोधी बताते हुए तीखा विरोध किया था.मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएम मोहन यादव ने तत्काल हस्तक्षेप किया और यह आदेश रद्द करने के साथ ही, इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई की.

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मुख्यमंत्री के निर्देश पर मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सीजीएम अजय कुमार जैन को उनके पद से हटा दिया गया है. सरकार ने उस विवादित आदेश को पूरी तरह से वापस ले लिया है, जिसमें तय समय सीमा (10 घंटे) से अधिक बिजली सप्लाई देने पर ऑपरेटर से लेकर महाप्रबंधक (GM) तक का वेतन काटने का प्रावधान था.

क्या था विवादित आदेश?
बिजली कंपनी के सीजीएम अजय जैन ने पत्र जारी कर आदेश दिया था:-

- यदि किसी माह में किसी कृषि फीडर पर 1 दिन में 10 घंटे से अधिक आपूर्ति पाई जाती है, तो संबंधित ऑपरेटर का 1 दिन का वेतन काटा जाएगा
- ⁠यदि किसी माह में किसी फीडर पर 2 दिन लगातार 10 घंटे से अधिक आपूर्ति पाई जाती है, तो संबंधित जूनियर इंजीनियर का एक दिन का वेतन काटा जाएगा
- ⁠यदि किसी माह में किसी फीडर पर 5 दिन लगातार 10 घंटे से ज्यादा आपूर्ति पाई जाती है, तो संबंधित उप महाप्रबंधक (DGM) का 1 दिन का वेतन काटा जाएगा
- ⁠यदि किसी माह में किसी फीडर पर 7 दिन निरंतर प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक आपूर्ति पाई जाती है, तो संबंधित महाप्रबंधक (GM) का 1 दिन का वेतन काटा जाएगा.

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कांग्रेस ने बताया था 'किसान विरोधी'
कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस आदेश का कड़ा विरोध करते हुए कहा था कि यह किसान और कर्मचारियों के साथ अन्याय है और इससे साबित होता है कि प्रदेश में बिजली की कमी है. उन्होंने सरकार से इस आदेश को तत्काल वापस लेने और किसानों को भरपूर बिजली देने की मांग की थी.

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