इलाज के दौरान बच्चों को HIV होना सरकार की विफलता, कांग्रेस नेता ने MP सरकार पर निशाना साधा, स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग

MP News: कांग्रेस का आरोप है कि बच्चे महीनों पहले पॉजिटिव पाए गए थे, लेकिन सरकार इस संवेदनशील मामले को दबाती रही.

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MP में 'दूषित खून' से बच्चों को HIV.(File Photo:ITG) MP में 'दूषित खून' से बच्चों को HIV.(File Photo:ITG)

aajtak.in

  • सतना/भोपाल,
  • 18 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:15 PM IST

मध्य प्रदेश में थैलेसीमिया के इलाज के दौरान 6 बच्चों को HIV इन्फेक्शन होना सरकार की विफलता है. एक कांग्रेस नेता ने राज्य में बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए यह बात कही.

सतना, जबलपुर और दूसरी जगहों के जिला अस्पतालों में दूषित खून चढ़ाने के शक के बाद 12 से 15 साल की उम्र के छह बच्चे HIV पॉजिटिव पाए गए. उनमें से एक बच्चे के माता-पिता भी इन्फेक्टेड पाए गए हैं. ये सभी मामले इस साल जनवरी से मई के बीच रिपोर्ट किए गए थे.

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विधायक और आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने भोपाल में पत्रकारों से कहा, "यह कोई हादसा नहीं है, यह एक अपराध है. 2025 में खून चढ़ाने से HIV इन्फेक्शन होना कोई हादसा नहीं हो सकता. ब्लड स्क्रीनिंग फेल हो गई, टेस्टिंग प्रोटोकॉल तोड़े गए, और मॉनिटरिंग सिस्टम पूरी तरह से खराब है. यह पूरी तरह से सिस्टम की विफलता है."

उन्होंने आगे कहा कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला को इस घटना की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए तुरंत इस्तीफा देना चाहिए, जबकि सतना के सरदार वल्लभभाई पटेल सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक इंचार्ज और जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को सस्पेंड किया जाना चाहिए.

भूरिया ने कहा, "यह शासन की विफलता है. ये बच्चे कई महीने पहले HIV पॉजिटिव पाए गए थे, लेकिन सरकार इस मुद्दे को दबाती रही. सभी प्रभावित बच्चे गरीब परिवारों से आते हैं. सरकार को उन्हें जीवन भर मुफ्त इलाज और पर्याप्त मुआवज़ा देना चाहिए."

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कांग्रेस नेता ने कहा, "सतना में HIV इन्फेक्टेड खून, छिंदवाड़ा में कफ सिरप से मौतें और इंदौर के एक अस्पताल में चूहों द्वारा बच्चों को काटना. ये इस सरकार की असंवेदनशीलता को दिखाते हैं. अस्पताल असुरक्षित हो गए हैं और मुख्यमंत्री मोहन यादव सो रहे हैं. इस मामले में आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए और सभी ब्लड बैंकों का राज्य-स्तरीय ऑडिट किया जाना चाहिए."

राज्य स्वास्थ्य विभाग ने छह सदस्यों की एक जांच समिति बनाई है, जिसे छह दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.

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