MP: चीता प्रभास और पवन को कूनो के बाद अब गांधी सागर में मिला नया घर

Kuno नेशनल पार्क में 24 चीते हैं, जिनमें 14 भारत में जन्मे शावक शामिल हैं, जबकि दो को अब गांधी सागर अभयारण्य में स्थानांतरित कर दिया गया है.

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चीतों को गांधी सागर अभयारण्य में मिला नया ठिकाना. चीतों को गांधी सागर अभयारण्य में मिला नया ठिकाना.

aajtak.in

  • मंदसौर ,
  • 21 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 7:58 AM IST

मध्य प्रदेश में कूनो नेशनल पार्क से दो दक्षिण अफ्रीकी नर चीतों प्रभास और पावक को गांधी सागर अभयारण्य में छोड़ दिया गया. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार शाम को नीमच और मंदसौर जिलों में फैले गांधी सागर अभयारण्य के बसीगांव खेमला क्षेत्र में इन चीतों को छोड़ा.

ये 6 वर्षीय चीते फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका के वाटरबर्ग बायोस्फीयर रिजर्व से कुनो नेशनल पार्क लाए गए थे. रविवार सुबह श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क से शुरू हुआ इनका 250 किलोमीटर से अधिक का सफर श्योपुर, बारां, कोटा, और झालावाड़ होते हुए मंदसौर पहुंचा. दोनों चीतों को अलग-अलग सैनिटाइज्ड वाहनों और पिंजरों में लाया गया. यात्रा के दौरान आपात स्थिति से निपटने के लिए एक मेडिकल टीम और इमरजेंसी सुविधाओं वाला वाहन भी साथ रहा.

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मुख्यमंत्री यादव ने इस अवसर पर कहा,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सितंबर 2022 से शुरू हुए चीतों की बहाली के प्रयासों का यह एक और महत्वपूर्ण कदम है. मध्य प्रदेश में चीतों के लिए सबसे अनुकूल परिस्थितियाँ मौजूद हैं, जो पूरे एशिया में अद्वितीय हैं. 

गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के लिए 37 किलोमीटर का बाड़ा तैयार किया गया है. स्थानांतरण के लिए 20 सदस्यीय टीम, जिसमें सीसीएफ उत्तम कुमार शर्मा और डॉ. ओंकार अचल शामिल थे, चीतों के साथ अभयारण्य पहुंची. यह टीम अगले सात दिनों तक गांधी सागर में रुकेगी और स्थानीय स्टाफ को चीतों की देखभाल और प्रबंधन का प्रशिक्षण देगी.

चीतों का अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण
भारत में चीतों को पुनः स्थापित करने की इस महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत 17 सितंबर 2022 को हुई, जब आठ नामीबियाई चीतों (पांच मादा और तीन नर) को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया. इसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से बारह और चीते लाए गए. वर्तमान में कुनो नेशनल पार्क में 24 चीते हैं, जिनमें 14 भारत में जन्मे शावक शामिल हैं. प्रभास और पावक के स्थानांतरण के साथ गांधी सागर अभयारण्य अब इस परियोजना का नया अध्याय बन गया है.

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