'इतने छोटे बच्चों को अकेले पाकिस्तान कैसे भेज दूं?' पहलगाम हमले के बाद 'देश छोड़ने' वाले आदेश से संकट में भोपाल की समरीन

समरीन की शादी 7 साल पहले पाकिस्तान के सद्दाम से हुई थी. उनके मां के कई रिश्तेदार कराची और अन्य जगहों पर रहते हैं, जिसके चलते उनका रिश्ता पाकिस्तान में तय हुआ. समरीन पहली बार अपने दोनों बच्चों को लेकर भारत आई थीं, ताकि वे अपनी नानी से मिल सकें. वे करीब दो महीने से भारत में हैं. 

Advertisement
बच्चों की पाक नागरिकता और वीज़ा सस्पेंशन से संकट में समरीन.  बच्चों की पाक नागरिकता और वीज़ा सस्पेंशन से संकट में समरीन.

अमृतांशी जोशी

  • भोपाल ,
  • 01 मई 2025,
  • अपडेटेड 10:19 AM IST

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की रहने वाली समरीन इन दिनों एक बड़े संकट से जूझ रही हैं. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं निलंबित कर दीं और सभी पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया. इस फैसले ने समरीन के सामने एक मुश्किल स्थिति खड़ी कर दी है, क्योंकि उनके दो छोटे बच्चों (सवा साल की बेटी जुनेरा और 6 साल के बेटे शाज़िल) के पास पाकिस्तानी नागरिकता है, जबकि समरीन का पाकिस्तानी वीजा खत्म हो चुका है.

Advertisement

समरीन की शादी 7 साल पहले पाकिस्तान के सद्दाम से हुई थी. उनके मां के कई रिश्तेदार कराची और अन्य जगहों पर रहते हैं, जिसके चलते उनका रिश्ता पाकिस्तान में तय हुआ. समरीन पहली बार अपने दोनों बच्चों को लेकर भारत आई थीं, ताकि वे अपनी नानी से मिल सकें. वे करीब दो महीने से भारत में हैं.  उनका पासपोर्ट दिसंबर 2025 में खत्म होने वाला है, जिसे वह रिन्यू करवाने और पाकिस्तानी वीजा का एक्सटेंशन करवाने की प्रक्रिया में थीं. लेकिन पहलगाम हमले के बाद बदले हालात ने उनकी योजना को उलट दिया.

समरीन ने 'आजतक' से बातचीत में अपनी पीड़ा साझा करते हुए कहा, "मैं छह साल बाद भारत लौटी हूं. अपने बच्चों को लेकर आई थी ताकि वे अपनी नानी से पहली बार मिल सकें. लेकिन हमें क्या पता था कि हालात इतने खराब हो जाएंगे. अब कहा जा रहा है कि बच्चों को वापस जाना पड़ेगा. मेरे लिए यह बहुत तकलीफदेह है. मेरी तबीयत ठीक नहीं है और बच्चे भी बीमार हैं. उन्हें अकेले पाकिस्तान भेजना नामुमकिन है. इतने छोटे बच्चे मां से अलग कैसे रहेंगे?"

Advertisement

पाकिस्तानी में सिर्फ बुजुर्ग सास हैं, मेरे पति दुबई में हैं'

समरीन ने आगे बताया कि उनका पाकिस्तानी वीजा खत्म हो चुका है और नया वीजा लेना मौजूदा हालात में मुश्किल लग रहा है. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान में हमारे घर में कोई नहीं है, सिर्फ मेरी बीमार और बुजुर्ग सास हैं. मेरे पति दुबई में हैं. बच्चों की देखभाल वहां कौन करेगा? मैंने बच्चों के वीजा एक्सटेंशन के लिए आवेदन दिया था, लेकिन लगता है कि वह खारिज हो गया है. मैं सरकार से अपील करती हूं कि मेरे बच्चों का वीजा मानवीय आधार पर बढ़ा दिया जाए."

समरीन ने यह भी बताया कि उन्होंने पाकिस्तानी नागरिकता नहीं ली, क्योंकि इससे भारत लौटना मुश्किल हो जाता. वे वहां वीजा एक्सटेंशन पर रह रही थीं. अब भारत लौटने के लिए उन्होंने एग्जिट परमिट और एक्सटेंशन लिया था, लेकिन वापस जाने के लिए नया वीजा चाहिए, जो अब मिलना मुश्किल हो गया है.

स्थानीय पुलिस को समरीन ने अपनी स्थिति से अवगत कराया है. उन्होंने थाने में एक लिखित आवेदन भी दिया, जिसमें पूरी बात बताई. पुलिस ने उन्हें फिलहाल यहीं रुकने को कहा है और बताया कि इस मामले में अधिकारियों के साथ एक बैठक चल रही है, जिसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा. 

Advertisement

'सजा आम लोगों को क्यों'

समरीन ने कहा, "मैं बस इतना चाहती हूं कि मेरे बच्चों को मुझसे अलग न किया जाए. पहलगाम में जो घटना हुई, वो निंदनीय है और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए. लेकिन इसकी सजा आम लोगों को क्यों दी जा रही है?"

भोपाल में भी एक शख्स

भोपाल में समरीन के अलावा सुनील नाम का पाकिस्तानी हिंदू भी इसी तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं. उनके पूरे परिवार को लॉन्ग टर्म वीजा मिल गया है, लेकिन सुनील विजिटर वीजा पर भोपाल में हैं. उसका सवाल भी यही है कि वे अकेले पाकिस्तान कैसे लौटें?

केंद्र सरकार की गाइडलाइन के बाद इन लोगों को नोटिस जारी किए गए थे. पुलिस इस मामले में रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है. समरीन और उनके जैसे अन्य लोगों की यह गुहार अब सरकार तक पहुंची है और सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि क्या उनकी अपील पर कोई मानवीय फैसला लिया जाएगा.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement