मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित संगोष्ठी के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक ऐसा बयान दिया जिसने एमपी के बच्चों के पोषण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए. मंच से बोलते हुए उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में बच्चों को बुनियादी पोषण तक नहीं मिलता.
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वे पूरी जिम्मेदारी के साथ यह बात कह रहे हैं कि राज्य के लगभग डेढ़ करोड़ विद्यार्थियों में से करीब 50 लाख बच्चों ने पांचवीं क्लास तक सेब तक नहीं देखा. उन्होंने कहा कि कई बच्चे बाजार में सेब जरूर देखते होंगे, लेकिन उन्हें इसे खाने का मौका नहीं मिलता. अंजीर जैसे फल तो उनकी जिंदगी में शायद दसवीं के बाद भी न आएं.
मंत्री ने कहा कि कई बच्चों को तब भी दूध नहीं मिलता जब उन्हें उसकी जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि यह सोचने का विषय है कि बच्चों को उनकी बढ़ती उम्र में जरूरी पोषण कौन देगा और समाज इस दिशा में क्या योगदान दे सकता है.
उन्होंने इसके बाद मंच पर मौजूद BJP विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि वे बड़े-बड़े भंडारे कराते रहते हैं, लेकिन इस बार भंडारे की जगह अपनी विधानसभा के बच्चों को हफ्ते में एक बार एक पीस अंजीर, दो काजू और एक बेसन का लड्डू दें.
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उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे पोषण बदलाव से किसी बच्चे की जिंदगी बदल सकती है और हो सकता है कि उसी पोषण से कोई ‘अब्दुल कलाम’ निकल सके.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में पोषण अभियान शुरू किया है, लेकिन यह केवल सरकारी मिशन नहीं हो सकता. बच्चों के पोषण को सुधारने के लिए समाज, परिवार, स्कूल और जनप्रतिनिधियों को मिलकर काम करना होगा.
धर्मेंद्र प्रधान का यह बयान उस समय आया है जब कई राज्यों में स्कूल बच्चों के पोषण और मिड-डे मील की क्वालिटी पर लगातार चर्चा हो रही है. मंत्री का संदेश साफ था कि बच्चों की न्यूट्रिशन की जिम्मेदारी सरकार अकेले नहीं निभा सकती और समाज को भी अपनी भूमिका समझनी होगी.
रवीश पाल सिंह