अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कोविड के नए वेरिएंट, मामलों में इजाफा और अस्पताल की तैयारियों पर अहम जानकारी साझा की. कहा कि आरएनए वायरस का म्यूटेशन एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसके तहत हर साल नए वेरिएंट सामने आते हैं. मौजूदा वेरिएंट न तो अत्यधिक घातक है और न ही जानलेवा. मध्य प्रदेश और इंदौर सहित अब तक सामने आए मामलों में केवल हल्के लक्षण देखे गए हैं, जिन्हें बिना ऑक्सीजन, विशेष दवाओं या अस्पताल में भर्ती किए ओपीडी आधार पर सही किया गया है.
डॉ. सिंह ने आम जनता को आश्वस्त करते हुए कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन बुनियादी निवारक उपाय अपनाने जरूरी हैं. इनमें भीड़-भाड़ वाले इलाकों से बचना, मास्क पहनना, नियमित रूप से हाथ धोना और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना शामिल है. उन्होंने स्वस्थ आहार और आदतों के जरिए प्रतिरक्षा मजबूत करने की सलाह दी. साथ ही, जिन लोगों ने अभी तक टीका नहीं लगवाया है, उन्हें तत्काल टीकाकरण कराने की सिफारिश की. उन्होंने बताया कि संक्रमण आमतौर पर 5 से 7 दिनों में ठीक हो जाता है.
नए वेरिएंट के लक्षण सामान्य फ्लू जैसे हैं, जिनमें हल्का बुखार, गले में खराश, नाक से पानी बहना और शरीर में दर्द शामिल हैं. कभी-कभी उल्टी भी हो सकती है. डॉ. सिंह ने सुझाव दिया कि यदि नियमित उपचार से लक्षण कम न हों, तो डॉक्टर से परामर्श करें, जो जरूरत पड़ने पर टेस्ट की सलाह दे सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि बिना डॉक्टर की सलाह के टेस्ट कराने या घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह वेरिएंट पिछले गंभीर प्रकोपों की तुलना में हल्का है.
एम्स भोपाल की तैयारियों पर डॉ. सिंह ने कहा कि अस्पताल पूरी तरह तैयार है. पर्याप्त ऑक्सीजन, दवाएं, आइसोलेशन बेड और आईसीयू बेड उपलब्ध हैं. जरूरत पड़ने पर दस सामान्य बेड और अतिरिक्त आईसीयू बेड को परिवर्तित किया जा सकता है. मामलों में इजाफा होने पर बुखार क्लीनिक को सक्रिय करने की योजना भी तैयार है. उन्होंने कहा कि एम्स जनता और स्वास्थ्य कर्मियों को जागरूक करने पर ध्यान दे रहा है ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे.
अमृतांशी जोशी