40 के लड़के ने 60 की तलाकशुदा महिला से रचाई शादी, चौंका देगी लव स्टोरी

उम्र का फर्क, समाज के ताने और सवाल इन सबको पीछे छोड़कर 60 साल की गीता और 40 साल के निखिल ने एक-दूसरे का साथ चुना. उनकी लव स्टोरी इस बात को दिखाती है कि मोहब्बत किसी उम्र की मोहताज नहीं होती.

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कुछ लोग प्यार की इन थ्योरीज को महज फिल्मों की रंगी दुनिया का हिस्सा मानते हैं. (Photo: ITG/Instagram/@bunnynfunny) कुछ लोग प्यार की इन थ्योरीज को महज फिल्मों की रंगी दुनिया का हिस्सा मानते हैं. (Photo: ITG/Instagram/@bunnynfunny)

आजतक लाइफस्टाइल डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:31 PM IST

प्यार की कोई उम्र नहीं होती, ना ही इसके लिए कोई सही वक्त या परफेक्ट शक्ल जरूरी होती है. प्यार तो दिल से दिल का रिश्ता होता है, जो कभी भी और किसी से भी जुड़ सकता है. इस तरह की बातें बॉलीवुड की फिल्मों में हमें पिछले कई दशकों से सुनने को मिल रही हैं. कुछ लोग प्यार की इन थ्योरीज को महज फिल्मों की रंगी दुनिया का हिस्सा मानते हैं, लेकिन ऐसी कई कहानियां हैं, जो हमें इनपर सच में यकीन करने के लिए मजबूर करती हैं. एक ऐसी ही कहानी है 60 साल की गीता और 40 साल के निखिल की, जिन्होंने उम्र की दीवार को तोड़कर एक-दूसरे से प्यार किया और समाज की तमाम चुनौतियों और तानों का सामना करने के बाद शादी की.  ये सिर्फ दो लोगों की लव स्टोरी नहीं है, बल्कि हिम्मत, भरोसे और समाज की सोच से आगे बढ़ने की कहानी है.

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गीता ने जिंदगी में वो दौर देखा, जहां टूटना आसान था और फिर से किसी पर भरोसा करना सबसे मुश्किल. सवाल थे, डर थे और बीते हुए कल की यादें भी थीं. वहीं निखिल ने हालात नहीं देखे, उम्र का फर्क नहीं गिना और लोगों की बातें अनसुनी कर दीं. उन्होंने बस इतना सोचा कि अगर दिल जुड़ता है, तो साथ निभाना ही सबसे सही फैसला है.

सवालों के घेरे में रहा रिश्ता

'40 साल का लड़का और 60 साल की पत्नी?'
'इन्हें भाभी कहें या मासी?' और 'भाई बुड्ढी से शादी कर रहा है क्या?'

जब लोगों को गीता और निखिल के रिश्ते के बारे में पता चला, तो निखिल को ऐसे ही ताने और सवालों का सामना करना पड़ा. निखिल से किए गए ये सवाल ये दिखाते हैं कि कैसे समाज ने इस रिश्ते को शुरू होने से पहले ही जज कर लिया. सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि गीता खुद भी एक वक्त तक यही मानने लगी थीं कि शायद निखिल उनसे बेहतर, अपनी उम्र की किसी लड़की के साथ ज्यादा खुश रहेगा. यहां तक कि उन्होंने निखिल की मां से मिलकर उसके लिए 'उम्र के हिसाब से सही' लड़की ढूंढने की बात भी की थी.

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लेकिन निखिल पीछे नहीं हटे. उसने साफ कहा कि वो गीता को छोड़कर कहीं नहीं जाएगा. उसका भरोसा और प्यार ही वो वजह बना, जिसने गीता को ये एहसास दिलाया कि खुश रहने का हक उनकी उम्र से तय नहीं होता.

पहले शादी में रह चुकी थीं गीता

निखिल से पहले गीता की जिंदगी बिल्कुल अलग थी. वो 28 साल तक शादीशुदा रहीं. बाहर की दुनिया के लिए उनका परिवार एकदम परफेक्ट था, लेकिन अंदर ही अंदर सब कुछ बदल रहा था. उनकी उनके पति से दूरियां बढ़ने लगी थीं. वो महीनों तक घर नहीं आते थे और खूब गुस्सा करते थे. एक दिन अचानक जब गीता के पति लौटे तो वो अपने साथ तलाक के कागज लाए थे, जिन्हें देखकर गीता खूब रोईं. वो अपने पति के सामने रिश्ता बचाने के लिए खूब गिड़गिड़ाईं, लेकिन कोई असर नहीं हुआ. तलाक के एक महीने बाद ही पति ने एक फोटो भेजी, जिसमें वो एक कम उम्र की महिला के साथ थे और शादी करने की बात बता रहे थे. इसके बावजूद गीता ने उम्मीद नहीं छोड़ी. पांच साल तक वो इंतजार करती रहीं, लेकिन पति ने दोबारा शादी कर ली और यहां तक कि बेटे को भी गीता के खिलाफ कर दिया. इस दर्द ने गीता को अंदर से तोड़ दिया.

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एक मुलाकात ने बदली गीता की जिंदगी
इतना सब झेलने के बाद जिंदगी ने गीता को एक और मौका तब दिया, जब वो एक दोस्त के साथ डॉग वैक्सीनेशन ड्राइव में गईं. वहीं उनकी मुलाकात निखिल से हुई.

निखिल पहले से ही उन्हें फेसबुक पोस्ट्स के जरिए जानता था. दोनों में बातचीत शुरू हुई और जानवरों के लिए दोनों का प्यार एक मजबूत कनेक्शन बन गया. उन दोनों के रिश्ते में की नींव सुकून भरी बातें और धीरे-धीरे बढ़ता भरोसा रहा. जो रिश्ता चुपचाप शुरू हुआ था, वही तीन साल में गीता के लिए सबसे सुरक्षित बन गया.

सबके खिलाफ जाकर एक-दूसरे को चुना
11 दिसंबर 2020 को गीता और निखिल ने एक-दूसरे का हाथ थामने का फैसला किया. रास्ता आसान नहीं था. परिवार, समाज और खुद गीता के मन में चल रहे डर उनके सामने दीवार बनकर खड़े थे, जिन्हें तोड़ पाना बिल्कुल भी आसान नहीं था. लेकिन निखिल का धैर्य, उसकी जिद और बिना शर्त प्यार ने धीरे-धीरे सबको मना लिया. आखिरकार दोनों के परिवार भी इस रिश्ते के लिए राजी हो गए.  

परफेक्ट नहीं, लेकिन सच्चा रिश्ता
गीता और निखिल मानते हैं कि हर बात पर उनकी राय एक जैसी नहीं होती. सोच अलग है, अनुभव अलग हैं, लेकिन एक बात तय है हर बहस में प्यार को जीतने दिया जाता है. बात करना, एक-दूसरे को सुनना और साथ बढ़ना यही उनके रिश्ते की असली ताकत है. 

उम्र के फासले और समाज के तानों के बावजूद, गीता और निखिल ने ये साबित कर दिया कि सच्चा प्यार हर रुकावट से बड़ा होता है. जब इरादे मजबूत हों, तो बंद दरवाजे अपने आप खुलने लगते हैं. ये कहानी उन सभी के लिए एक उम्मीद है, जो मानते हैं कि प्यार सिर्फ जवान दिलों के लिए नहीं, बल्कि हर उस इंसान के लिए है, जो दोबारा मुस्कुराने की हिम्मत रखता है.

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