जापान के लोग अक्सर अपनी लंबी उम्र, फुर्ती और बढ़ती उम्र में भी फिट शरीर के लिए जाने जाते हैं. इसका कारण है कि उनकी लाइफस्टाइल में हेल्थ और फिटनेस को काफी महत्व दिया जाता है. वह अपने खान-पान का काफी ध्यान रखते हैं और न्यूट्रीशियस चीजें, मौसमी चीजें जैसे सब्जियां, सीफूड (ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर), कम मसाले, कम नमक आदि का ध्यान रखते हैं. कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. तरंग कृष्णा ने राज शमानी के साथ पॉडकास्ट किया जिसमें उन्होंने जापानी टेक्नीक का जिक्र किया जिसका नाम था, 'हारा हाची बू' (Hara Hachi Bu). ये वो सिद्धांत है जिसे जापान का हर शक्स फॉलो करता है और इसी से वो हेल्दी रहते हैं.
हारा हाची बू क्या है?
डॉ. तरंग ने बताया, 'हारा हाची बू का मतलब होता है कि भोजन तब तक खाओ जब तक आपका पेट 80 प्रतिशत तक भर जाए. पूरे गले तक पेट भरकर नहीं खाना चाहिए. इस सिद्धांत पर चलते हुए जापानी लोग अपने शरीर को उतना ही भोजन देते हैं जितना वह आराम से पचा सकें. न ही अधिक कम भोजन करते हैं और न ही अधिक.'
भूख का 80 प्रतिशत खाने से क्या होता है?
जापान के कई इलाकों में बच्चे, बड़े और यहां तक कि 90 से अधिक उम्र के लोग भी इसी सिद्धांत को फॉलो करते हैं. इसे फॉलो करने से लंबे समय तक एनर्जी बनी रहती है, आलस नहीं आता, पेट में भारीपन नहीं लगता और डाइजेशन प्रोसेस अच्छे से चलती है. डॉ. तरंग ने बताया, ये कम्यूनिटी सदियों से इसे फॉलो करती आ रही है इसलिए पीढ़ियों के साथ ये सिद्धांत फॉलो होता जाता है.
80 प्रतिशत से अधिक का लिया तो क्या होगा?
इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. तरंग ने बताया, 'असल मुद्दा गलती का नहीं है, आदत का है. अगर आप रोज भूख का सिर्फ 80 प्रतिशत ही खा रहे हैं और वहीं पर रुकने लगते हैं तो आपका शरीर खुद ही सही पोर्शन पहचानने लगेगा और जैसे ही उतना खाना आपके पेट में जाएगा, आपके हाथ रुक जाएंगे. भले ही आपको थोड़ी भूख का अहसास होता रहेगा लेकिन आपके शरीर को जितनी एनर्जी की जरूरत होती है, शरीर ले चुका होगा.'
हारा हाची बू के फायदे:
डॉ. तरंग के मुताबिक, यदि कोई इस सिद्धांत को फॉलो करता है तो उसे निम्न फायदे हो सकते हैं.
आजतक लाइफस्टाइल डेस्क