आज के समय में रीढ़ की हड्डी से संबंधित समस्याएं कई लोगों में देखी जाती हैं. बैठने का गलत तरीका, खराब लाइफस्टाइल, एक्सरसाइज न करना, बढ़ती उम्र, अनियंत्रित डायबिटीज, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल आदि रीढ़ की हड्डी में दर्द का कारण बनते हैं, जिसे स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है. कई लोगों में चोट, सेबरल पाल्सी, मसल्स डिसट्रॉफी या अन्य कारणों से रीढ़ की हड्डी में घुमाव भी आ जाता है. इस स्थिति को स्कोलियोसिस (Scoliosis) कहते हैं. इस स्थिति में रीढ़ की हड्डी एक तरफ घूम जाती है और देखने में इंसान एक ओर झुका हुआ लगता है. हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें 13 साल की एक लड़की को भी यही समस्या थी. डॉक्टर्स की टीम ने इस लड़की का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया और लड़की की स्पाइन को रस्सी से बनाया. यह लड़की धीरे-धीरे ठीक हो रही है. तो आइए जानते हैं रस्सी की सहायता से रीढ़ की हड्डी को कैसे सपोर्ट दिया?
दुबई में हुआ ऑपरेशन
जिस लड़की की स्पाइन को रस्सी से बनाया गया है, उसका नाम सलमा नसेर नवसेह (Salma Naser Nawayseh) है जो कि 13 साल की है. सलमा अरब कंट्री जॉर्डन की रहने वाली है. उसका ऑपरेशन दुबई के बुर्जील हॉस्पिटल में हुआ. सलमा मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र की पहली लड़की बन गई है जिसकी ये अनोखी सर्जरी हुई है. सलमा की रीढ़ की हड्डी को रस्सी से ठीक किया गया है और अब ऑपरेशन के बाद वह रिकवर हो रही है. डॉक्टर्स के मुताबिक, सलमा सर्जरी के अगले ही दिन से चलने लगी थी.
रस्सी से दिया जाता है रीढ़ को सपोर्ट
13 साल की सलमा की कुछ समय पहले वर्टेब्रल बॉडी टेदरिंग (वीबीटी) सर्जरी हुई है. इस सर्जरी में रस्सी से रीढ़ की हड्डी को सपोर्ट दिया जाता है और फिर उसे स्क्रू से कस दिया जाता है. स्क्रू की सहायता से रस्सी को उतना कसा जाता है, जब तक रीढ़ का घुमाव सही ना हो जाए. एक बार जब रीढ़ सही स्थिति में पहुंच जाती है फिर रीढ़ के हर हिस्से में पेंच लगा दिए जाते हैं. वीबीटी सर्जरी वर्तमान में अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी समेत कुछ ही देशों में फेमस है लेकिन पहली बार यह सर्जरी नॉर्थ अफ्रीका क्षेत्र में की गई.
रिकवर कर रही है सलमा
दुबई के बुर्जील अस्पताल में ऑपरेशन के बाद सलमा रिकवर हो रही है. डॉक्टर्स का कहना है कि वह जल्द ही पहले की तरह टेनिस खेल पाएगी. जानकारी के मुताबिक, सलमा के पैरेन्ट्स ने अप्रैल 2022 में पहले बार नोटिस किया था कि उनकी बेटी का शरीर एक तरफ झुक रहा है. फिर जब डॉक्टर्स को दिखाया तो उन्होंने बताया कि उनकी बेटी को स्कोलियोसिस है. हालांकि यह समस्या बच्चे में जन्म से ही नजर आने लगती है लेकिन कई मामलों में स्कोलियोसिस 10-15 वर्ष की आयु के बीच होता है. स्कोलियोसिस के अधिकांश मामले हल्के होते हैं और इसमें सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती. लेकिन कुछ मामलों में स्कोलियोसिस के कारण हार्ट और फेफड़े संबंधित समस्याएं हो सकती हैं.
सलमा की बात करें तो उसकी रीढ़ में 65 डिग्री का घुमाव आ गया था. दुबई के बुर्जील हॉस्पिटल के सलाहकार आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. फिरास हुस्बन (Dr. Firas Husban) ने इस सर्जरी को लीड किया. डॉ. फिरास के मुताबिक, स्कोलियोसिस कई लोगों में देखी जाती है. इसके मरीजों का तीन तरीके से इलाज किया जा सकता है, ऑब्जर्वेशन, ब्रेसिंग और सर्जरी. अगर किसी में स्कोलियोसिस के हल्के लक्षण दिख रहे हैं तो उसका इलाज ब्रेसिंग से किया जा सकता है लेकिन सलमा की रीढ़ में घुमाव काफी अधिक था इसलिए उसे सर्जरी की जरूरत थी.
डॉक्टर्स के मुताबिक, सलमा इस प्रक्रिया के लिए सही पेशेंट थी जिसकी हड्डियों की ग्रोथ सही तरीके से नहीं हो पाई थी. सलमा सर्जरी के बाद ठीक हो रही है और दो हफ्ते बाद वह फिर से स्कूल जा पाएगी और चार सप्ताह बाद बिना किसी पाबंदी के अपनी पुरानी लाइफस्टाइल में लौट सकती है. सलमा ने सर्जरी के दूसरे दिन ही चलना शुरू कर दिया था.
इन लोगों की नहीं होती यह सर्जरी
2019 में वीबीटी सर्जरी को यूएसएफडीए से मंजूरी मिली थी. यह नवीनतम इनवेसिव टेक्नीक है जो मोबिलिटी और फ्लेग्जिबिलिटी को बनाए रखते हुए रीढ़ की हड्डी के वक्र को सही कर सकता है. इस सर्जरी में चीरा कम लगता है और जोखिम भी कम होता है. हालांकि हर स्कोलियोसिस वाले मरीज की वीबीटी सर्जरी नहीं हो सकती. यह सर्जरी सिर्फ नौ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों पर ही होती है. अगर किसी की रीढ़ का घुमाव 45 से 65 डिग्री होता है उन पर वीबीटी अधिक प्रभावी होती है”.
डॉ. फिरास के मुताबिक, "इस सर्जरी में रीढ़ की हड्डी की सर्जरी के लिए एंडोस्कोप से पेट में चीरा लगाते हैं. वीबीटी के दौरान पीठ के नरम ऊतकों को कुछ नुकसान पहुंच सकता है. इसमें स्पाइनल फ्यूजन सर्जरी की तुलना में खून की कमी नहीं होती, ऑपरेशन के बाद दर्द कम होता है और रिकवरी भी तेज होती है.
क्या है वर्टेब्रल बॉडी टेदरिंग सर्जरी (What is vertebral body tethering surgery)
वर्टेब्रल बॉडी टेदरिंग (वीबीटी), स्कोलियोसिस वाले मरीजों के लिए एक सर्जिकल ट्रीटमेंट है. एफडीए द्वारा अगस्त 2019 में इस इलाज को मंजूरी मिली थी. इस ग्रोथ मॉड्यूलेशन ट्रीटमेंट में मरीज की रीढ़ की हड्डी को एक सीधी लाइन में लाने के लिए एक लचीली कॉर्ड का उपयोग किया जाता है. इडियोपैथिक स्कोलियोसिस वाले कुछ मरीजों में स्पाइनल फ्यूजन सर्जरी की बजाय वर्टेब्रल बॉडी टेदरिंग सर्जरी का उपयोग करते हैं.
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