भारत के बढ़ते हुए मामलों को देखकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है और इसमें ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron variant) और डेल्टा वैरिएंट (Delta variant) तेजी से फैल रहे हैं. भारत में कोरोना वायरस (Corona virus) के पिछले 24 घंटे में 1.68 लाख नए मामले सामने आए हैं. वहीं, अगर ओमिक्रॉन की बात की जाए तो भारत में इसके कुल 4,461 हो गए हैं. ओमिक्रॉन को लेकर ज्यादातर एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये बहुत गंभीर रूप से बीमार नहीं कर रहा है, हालांकि ओमिक्रॉन से संक्रमित कुछ लोग रिकवरी के बाद भी कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं. उनमें लॉन्ग कोविड के लक्षण नजर आ रहे हैं.
क्या कहती है नई रिपोर्ट
यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) की रिपोर्ट के मुताबिक, COVID-19 का दुर्लभ लक्षण 'ब्रेन फॉग' ओमिक्रॉन वैरिएंट में भी देखने मिल रहा है. द डेली एक्सप्रेस के मुताबिक, COVID-19 संक्रमित ZOE COVID स्टडी ऐप में अपने लक्षणों के बारे में बता रहे हैं. कई लोग "ब्रेन फॉग" के बारे में भी बता रहे हैं कि उन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है. यह ऐप पेशेंट द्वारा बताए गए लक्षणों का विश्लेषण करती है.
ब्रेन फॉग पिछले कुछ समय से COVID-19 का कॉमन लक्षण है. जानकारी के मुताबिक, ब्रेन फॉग के बारे में खबरें अक्टूबर 2020 में सामने आई थीं, जब कि कोरोना महामारी की पहली लहर चल रही थी. ब्रेन फॉग को कोरोना के सामान्य लक्षण जैसे बुखार, ठंड लगना, सांस लेने में तकलीफ, खांसी और शरीर आदि में शामिल नहीं किया गया था.
अलबामा विश्वविद्यालय बर्मिंघम की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्रुति अग्निहोत्री (Dr. Shruti Agnihotri) के मुताबिक, ब्रेन फॉग में अधिक सिरदर्द और याददाश्त कमजोरी जैसी समस्या हो सकती हैं.
डॉ. श्रुति के मुताबिक, “कई बार कोरोना मरीज बुखार और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या से तो रिकवर हो जाते हैं, लेकिन वे लोग सिरदर्द और याददाश्त कमजोरी जैसी शिकायत करते हैं, इसे ब्रेन फॉग के रूप में जाना जाता है. कई मरीज ऐसे भी होते हैं जिनका कहना होता है कि वे किसी काम पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं या फोकस करने में कठिनाई हो रही है. यह भी ब्रेन फॉग के कारण ही होता है. यह लक्षण ओमिक्रॉन वैरिएंट में भी देखने मिल रहा है, अब देखना यह है कि इस वैरिएंट में ब्रेन फॉग किस तरह से लोगों को प्रभावित करेगा.”
ब्रेन फॉग को ऐसे समझें
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के डॉक्टर माइकल जैन्दी के मुताबिक, ब्रेन फॉग कोई मेडिकल टर्म नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को देखते हुए इसे नाम दिया गया है. जो मरीज कोरोना से रिकवर हुए थे, उन लोगों में काफी समय से दिमागी समस्याएं देखने मिल रही थीं, जिनमें याददाश्त कमजोर होना, फोकस न कर पाना और माइग्रेन जैसी समस्याएं शामिल थीं.
डॉ. जैन्दी के मुताबिक, कोरोना से रिकवर हुए लगभग 20 प्रतिशत लोगों में इसकी समस्या देखी गई थी, हालांकि आंकड़े कितने सही थे इस बारे में कहना मुश्किल है. अभी इस पर और स्टडी की जरूरत है.
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन (University College of London) की न्यूरोसाइंटिस्ट एथेना अकरामी (Athena akrami) की स्टडी के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाले लोग जिनके शरीर से वायरस जा चुका होता है लेकिन रिकवरी के लंबे समय बाद भी उनमें 200 से अधिक लक्षण देखे जा सकते हैं.
रिसर्च में शामिल हुए लोगों ने रिकवरी के 16 महीने बाद भी अपने शरीर में कई लक्षण देखे. जिनमें माहवारी का बदलना, सेक्सुअल डिस्फंक्शन, खुजली, मानसिक थकान, भ्रम, कंपन, दिल का तेजी से धड़कना, शारीरिक थकान आदि लॉन्ग कोविड के सामान्य लक्षण शामिल थे. इन लक्षणों में 'ब्रेन फॉग' भी शामिल था.
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