Irregular Sleep Pattern Health Risk: अनियमित नींद से बढ़ता है टाइप-2 डायबिटीज का खतरा, 34% लोग में देखे गए लक्षण

Irregular Sleep Pattern Health Risk: नींद का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है. कहते हैं स्वस्थ रहने के लिए कम से कम 7-8 घंटे की रात की नींद लेनी जरूरी होती है और आज कल की भागती-दौड़ती जिंदगी में यह तभी मुमकिन है, जब आप जल्दी सोएं. 

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अनियमित नींद से बढ़ता है टाइप-2 डायबिटीज का खतरा. अनियमित नींद से बढ़ता है टाइप-2 डायबिटीज का खतरा.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2025,
  • अपडेटेड 9:25 AM IST

'Early to bed and early to rise..', अंग्रेजी की यह कहावत बहुत प्रचलित है और अक्सर बच्चों को बचपन से ही इसका पाठ पढ़ाया जाता है. यह कहावत सिर्फ किताबों में ही नहीं बल्कि हमारे व्यक्तिगत जीवन में भी बहुत फायदेमंद है. दरअसल, नींद का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है. कहते हैं स्वस्थ रहने के लिए कम से कम 7-8 घंटे की रात की नींद लेनी जरूरी होती है और आज कल की भागती-दौड़ती जिंदगी में यह तभी मुमकिन है, जब आप जल्दी सोएं. 

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अगर आप जल्दी नहीं सोते हैं और अपनी 7-8 घंटे की गहरी नींद लेने में असफल रहते हैं तो आपको बहुत सी बीमारियां घेर लेती हैं. हाल ही में एक अध्ययन में पता लगा है कि नियमित नींद, टाइप 2 डायबिटीज को रोकने के लिए कारगर है. 

अमेरिकी शोधकर्ताओं के अनुसार पाया गया है कि अनियमित नींद वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का जोखिम उन लोगों की तुलना में ज्यादा था, जो नियमित नींद लेते हैं. बोस्टन के ब्रिघम और महिला अस्पताल के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में सात रातों के दौरान नींद के पैटर्न को देखा गया और फिर सात साल से ज्यादा समय तक अध्ययन में शामिल लोगों के स्लीप पैटर्न को फॉलो किया गया. 

शोधकर्ताओं ने पाया कि अनियमित नींद लोगों में डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देती है. जिन लोगों की नींद का पैटर्न सबसे ज्यादा अनियमित था, उनमें डायबिटीज का जोखिम बाकी लोगों की तुलना में 34% ज्यादा था. 
 
लोगों में नियमित नींद का पैटर्न वह है, जिसमें आपके सोने और जागने का समय हर रोज एक जैसा रहता है. अध्ययन में पाया गया कि अगर लोगों के नींद का पैटर्न नियमित रहता है तो उनमें टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बहुत कम होता है.  

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टाइप 2 डायबिटीज से दुनिया भर में करीब आधे अरब लोग प्रभावित हैं. यह बीमारी मृत्यु और विकलांगता के टॉप 10 मुख्य कारणों में से एक है. 2050 तक टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा होकर 1.3 अरब हो जाने की उम्मीद है. 
 

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