दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर किसका अधिकार? सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को भी जारी रहेगी सुनवाई

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यूनियन सर्विस, यूनियन पब्लिक सर्विस और यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यह सभी शब्द और अर्थ आल इंडिया सर्विस के नियम के तहत आते हैं. मौजूदा सवाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को लेकर है, लिहाजा अन्य केंद्र शासित प्रदेशों से इसका दर्जा स्युई जेनरिस यानी अनूठा है.

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST

दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच अधिकारियों की तैनाती और तबादले के अधिकार के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में तीसरे दिन भी सुनवाई जारी रही. इस दौरान केंद्र सरकार ने केंद्रीय कैडर के अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अपना हक जताया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यूनियन सर्विस, यूनियन पब्लिक सर्विस और यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यह सभी शब्द और अर्थ आल इंडिया सर्विस के नियम के तहत आते हैं. मौजूदा सवाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को लेकर है, लिहाजा अन्य केंद्र शासित प्रदेशों से इसका दर्जा स्युई जेनरिस यानी अनूठा है. 

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उन्होंने कहा कि दिल्ली की स्थिति महानगरीय लघु भारत जैसी है. पहले से भी दिल्ली का प्रशासन चीफ कमिश्नर के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में आता था. तब भी यह कोई संघ शासित राज्य नहीं था. ये व्यवस्था आजादी और संविधान लागू होने से पहले तक थी. फिर संविधान सभा का आग्रह था कि दिल्ली की दोहरी भूमिका होनी चाहिए. यानी जन प्रशासन की दृष्टि से भी दिल्ली पर विशेष जिम्मेदारी होनी चाहिए. क्योंकि यह महानगर भी है और राष्ट्रीय राजधानी भी. किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी राजधानी भी है. दिल्ली पार्ट C राज्यों में आता है. यह पूर्ण राज्य नहीं है बल्कि  केंद्र शासित क्षेत्र है जो संघ का ही विस्तार है. केंद्र शासित प्रदेश भी कई तरह के हो सकते हैं. कुछ के पास विधानमंडल हो सकता है तो कुछ के पास नहीं है. 

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उन्होंने कहा कि दिल्ली की एक विशिष्ट स्थिति है, इसे सभी राज्यों को अपनेपन की भावना सुनिश्चित करना है. गृहमंत्री ने यह कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी पर राष्ट्रीय सरकार का पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए. दिल्ली को एक पूर्ण राज्य बनाया जाता है तो केंद्र के लिए लोक व्यवस्था, जन स्वास्थ्य, अनिवार्य सेवाओं आदि पर नियंत्रण रखना असंभव होगा. यह नियंत्रण की बात नहीं बल्कि राजधानी के बेहतर प्रशासन और संविधान की भावना की भी बात है. यह भारत के संविधान की व्याख्या का मामला है.

केंद्र सरकार की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा कि आचरण की नियमावली कहती है कि अधिकारी उपराज्यपाल को फाइलें भेजते है. उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह रहे है कि नौकरशाही को केंद्र के प्रति वफादार होना चाहिए लेकिन केंद्र के पास नियंत्रण और उनका संज्ञान होना चाहिए. उन्होंने दिल्ली सरकार के उस तर्क पर सवाल उठाया जिसमे कहा गया कि जब एक बार जब कोई अधिकारी मंत्रालय में पोस्ट हो जाता है तो उसे यह बता दिया जाता है कि कौन सी रिपोर्ट देनी है और कौन सी फाइल भेजनी है, यह सही नहीं है.

SG ने कहा यूनियन सर्विस, यूनियन पब्लिक सर्विस और यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यह सब आल इंडिया सर्विस के नियम के तहत आते हैं. यहां सवाल राष्ट्रीय राजधानी का है. दिल्ली में एक अलग अवधारणा के तहत बनाई गई थी. यहां जो कुछ भी होगा उसका असर दूर तक होगा. उन्होंने कहा कि भारत में दिल्ली एक ऐसा महानगरीय छोटा भारत है. जिसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि देखे तो यह स्पष्ठ हो जाता है कि दिल्ली चीफ कमिश्नर प्रोविजन रहा है न कि संघीय राज्य.

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SG ने कहा कि स्वतंत्रता से पहले जब संविधान लागू नहीं हुआ था. उस समय संविधान सभा ने कहा था कि यह राष्ट्रीय राजधानी है और किसी राष्ट्र को उसकी राजधानी द्वारा जाना जाता है. इसलिए दिल्ली की विशेष जिम्मेदारी होनी चाहिए. अगर दिल्ली को एक पूर्ण राज्य बनाया गया है तो संघ के लिए लोक व्यवस्था,जन-स्वास्थ्य और अनिवार्य सेवाओं आदि पर नियंत्रण रखना असंभव होगा. यह नियंत्रण की नही बल्कि यह भारत के संविधान की व्याख्या का मामला है.

CJI ने कहा कि मेरी समझ कहती है कि हमारे सामने विशेष प्रविष्टि की व्याख्या और प्रयोज्यता का मुद्दा है. उन्होंने कहा कि जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ विशिष्ट प्रविष्टियों के पक्ष से डील नहीं किया था. SG ने कहा कि यह मुद्दा अधूरा रह गया. वहीं जस्टिस एम आर शाह ने कहा कि हम यही व्याख्या करने की कोशिश कर रहे हैं कि पहले की बेंच ने इस कानूनी बिंदु पर विचार नहीं किया और हमें अब इस पर विचार करना होगा.

SG ने कहा अनुच्छेद 239एए के खंड 3 का उपखंड ए के3 तहत दिल्ली विधानमंडल के कुछ अपवादों को छोड़कर अन्य विषयों पर कानून पारित करने की शक्ति की गणना करता है. अब मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी.

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