पश्चिम बंगाल के खेजुरी बम विस्फोट मामले में गिरफ्तार 3 आरोपियों के खिलाफ एनआईए स्पेशल कोर्ट में शुक्रवार को चार्जशीट दायर की गई. पुरबा मेदिनीपुर जिले के गांव पश्चिम भंगनमारी में आरोपी कंकन करानो के घर में विस्फोट मिलने के मामले में यह चार्जशीट पेश की गई है.
इस साल की शुरुआत में जनवरी में बम बनाते समय विस्फोट की चपेट आ जाने से आरोपी कंकन करण और अनूप दास को गंभीर चोटें आई थी. हालांकि बाद में अनूप दास ने दम तोड़ दिया था. इस मामले में 4 जनवरी को पुलिस ने केस दर्ज किया था. हालांकि बाद में 25 जनवरी को एनआईए ने इस मामले में फिर से केस दर्ज कर पड़ताल शुरू की थी.
एनआईए की जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी समर शंकर मंडल ने रतन प्रमाणिक, कंकन करण और अनूप दास के साथ मिलकर नापाक मंसूबों के साथ कच्चे बम और विस्फोटक पदार्थ तैयार करने और अवैध रूप से रखने के लिए आपराधिक साजिश रची थी.
इन धाराओं में बनाए गए हैं आरोपी
चार्जशीट के मुताबिक आरोपी की समर शंकर मंडल निवासी ग्राम पुरबा भंगमारी के खिलाफ IPC की धारा 120बी, 109 और 201 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के 4 और 6 के तहत, रतन प्रमाणिक निवासी पश्चिम भंगनमार के खिलाफ IPC की धारा 120बी और 109 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के 4, 5 और 6 के तहत, कंकन करण निवासी पश्चिम भगनमारी के खिलाफ IPC की धारा 120बी और 109 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के 4, 5 और 6 के तहत कार्रवाई की गई है. वहीं अनूप दास निवासी पश्चिम भगनमारी की मृत्य के कारण आरोप समाप्त हो गए हैं.
आईपीसी की धारा- 120बी
किसी भी अपराध को अंजाम देने के लिए साझा तौर पर आपराधिक साजिश यानी कॉमन कॉन्सपिरेसी का पक्षधर बनना या हिस्सा बन जाना अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 120बी के तहत सजा का प्रावधान है.ऐसी किसी भी साजिश में शामिल होने वाले आरोपी को दोषी पाए जाने पर किसी एक अवधि तक के लिए कारावास की सजा हो सकती है.
आईपीसी की धारा 109
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 109 (Section 109) में उकसाने की सजा को लेकर जानकारी (Information) दी गई है. IPC की धारा 109 के अनुसार, जो कोई किसी अपराध (Offence) का दुष्प्रेरण (Abetment) करता है, यदि दुष्प्रेरित कार्य दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप (Resulting) किया जाता है, और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड (Punishment for abetment) के लिए इस संहिता द्वारा कोई अभिव्यक्त उपबन्ध (Express provision) नहीं किया गया है, तो वह उस दण्ड से दण्डित किया जाएगा, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित (Provided) है.
आईपीसी की धारा 201
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 201 (Section 201) के तहत अपराध के सबूतों (evidence of crime) को मिटाना या अपराधी को झूठी इत्तिला (False information) देना परिभाषित (Define) किया गया है. IPC की धारा 201 के अनुसार, अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए मिथ्या इत्तिला देना-जो कोई यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई अपराध (offence) किया गया है, उस अपराध के किए जाने के किसी साक्ष्य का विलोप (Annulment of evidence), इस आशय से कारित (Caused by intent) करेगा कि अपराधी को वैध दंड (lawful punishment to the offender) से प्रतिच्छादित करे या उस आशय से उस अपराध से संबंधित कोई ऐसी इत्तिला देगा, जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है.
(इनपुट: सुनील)
कमलजीत संधू