वक्फ संशोधन कानून 2025 को रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. हालांकि अदालत ने इस कानून के कुछ प्रावधानों पर आंशिक रूप से संशोधन किया है और एक सेक्शन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ बेंच ने सर्वसम्मति से अंतरिम निर्णय में कहा कि हम पूरे वक़्फ कानून पर रोक नहीं लगा रहे हैं. हम नए कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा रहे है.
आइए समझते हैं कि इस कानून के कौन मुद्दे हैं जहां अदालत ने मुस्लिम पक्षकारों के हक में फैसला दिया और कौन से वे पहलू हैं जहां अदालत ने केंद्र की दलील को मानते हुए कानून में कोई बदलाव नहीं किया है.
वक्फ कानून के वो पहलू जहां सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों के हक में फैसला दिया
सेक्शन 3(R): पांच साल से इस्लाम मानने का कानून- अदालत ने इस नियम पर तब तक के लिए रोक लगा दी है जब तक इस पात्रता को तय करने के लिए उचित प्रक्रिया तैयार नहीं हो जाती.
सेक्शन 3C (2): सुप्रीम कोर्ट ने कानून की धारा 3सी(2) के प्रावधान पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि किसी संपत्ति को तब तक वक्फ नहीं माना जाएगा जब तक कि किसी सरकारी अधिकारी (कलेक्टर) की रिपोर्ट में ये पुष्टि न हो जाए कि ये अतिक्रमण नहीं है.
अब किसी भी संपत्ति को वक्फ मानने से पहले सरकारी अधिकारी के रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
सेक्शन 3C(3) और (4): अदालत ने धारा 3सी(3) को लागू करने पर भी रोक लगा दी, जो अधिकारी को किसी संपत्ति को सरकारी भूमि घोषित करने और रेवेन्यू रिकॉर्ड में बदलाव करने का अधिकार देती थी.
इस आदेश ने धारा 3सी(4) को भी स्थगित कर दिया, जिसके तहत राज्य सरकार को वक्फ बोर्ड को अधिकारी के निष्कर्षों के आधार पर अपने रिकॉर्ड को सही करने का निर्देश देना आवश्यक था.
सेक्शन 9 और 14: वक्फ से जुड़ी संस्थाओं में गैर मुस्लिमों की एंट्री- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार वक्फ बोर्ड में बहुत सारे गैर मुस्लिम सदस्य नहीं बना सकती है. कोर्ट ने इसके लिए कोटा तय कर दिया है. अब सेंट्रल वक्फ बोर्ड में अधिकतम 4 गैर मुस्लिम और स्टेट वक्फ बोर्ड में 3 गैर मुस्लिम सदस्य रह सकेंगे.
सेक्शन 23: CEO की नियुक्ति - न्यायालय ने निर्देश दिया कि जहां तक संभव हो एक मुस्लिम को सीईओ के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए. और इसे व्यापक समझ के आधार पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए.
वक्फ कानून के वो मुद्दे जहां सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के हक में फैसला दिया
सेक्शन 3(R): मालिकाना हक की जरूरत- किसी भी संपत्ति का वक्फ करने के लिए व्यक्ति का संपत्ति पर स्वामित्व होना जरूरी है. अदालत ने कहा कि यह उचित है और मनमाना नहीं है.
सेक्शन 3(r)(i): वक्फ बाय यूजर- सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बाय यूजर के कॉन्सेप्ट को सही नहीं माना और कहा कि कई बार इसका गलत प्रयोग होता है. इसलिए वक्फ बाय यूजर पर रोक जारी रहेगी.
सेक्शन 3C(1) और (2): सरकारी जमीन को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता है. वक्फ घोषित करने से पहले संपत्ति की मालिकाना हक की जांच का विचार वैध है, हालांकि कानून के कुछ हिस्सों पर रोक लगा दी गई है.
सेक्शन 3D: संरक्षित स्मारकों/क्षेत्रों को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता - न्यायालय ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है.
सेक्शन 3E: ट्राइबल लैंड या अनुसूचित क्षेत्र की भूमि को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता, इस पर कोर्ट द्वारा कोई स्थगन नहीं दिया गया है.
सेक्शन 36 (1): सभी वक्फ को रजिस्टर्ड किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि ये कानून वैध है.
सेक्शन 36 (1A): किसी भी नए वक्फ के लिए लिखित वक्फ दस्तावेज होना चाहिए - न्यायालय ने इसकी अनुमति दी.
सेक्शन 36 (7A): यदि कलेक्टर यह रिपोर्ट देता है कि भूमि विवादित है या सरकारी स्वामित्व वाली है, तो वक्फ रजिस्ट्रेशन रोका जा सकता है. इस पर अदालत की कोई रोक नहीं है इसलिए यह कानून वैध है.
सेक्शन 36 (10): यदि वक्फ संपत्ति 6 महीने के भीतर पंजीकृत नहीं होती है, तो कानूनी अधिकार लागू नहीं किए जा सकते. कोर्ट ने इस शर्त को बरकरार रखा है.
सेक्शन 43: गैर-मुस्लिमों को वक्फ बनाने की अनुमति नहीं- सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान को कायम रखा है.
सेक्शन 44: वक्फ से जुड़े दावों पर लिमिटेशन एक्ट लागू होता है. यानी कि विवाद दायर करने की समय-सीमा लागू होगी. कोर्ट ने इसकी ने अनुमति दी है.
केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल 2025 को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लागू करने की घोषणा की थी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को इस कानून पर हस्ताक्षर किया था. इस बिल को लोकसभा से 3 अप्रैल को और राज्यसभा से 4 अप्रैल को पास किया गया था.
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