पंजाब के पूर्व CM बेअंत सिंह के हत्यारे की फांसी की सजा होगी माफ? सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा को माफ करने की मांग वाली याचिका पर उसके वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि बम ब्लास्ट में मुख्यमंत्री की मौत हो गई थी. इस मामले में जुलाई 2007 में सज़ा सुनाई गई, हाई कोर्ट ने 2010 में सज़ा बरकरार रखी थी और वो 27 साल से जेल में है. 2012 से उसकी दया याचिका लंबित है.

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आरोपी को जुलाई 2007 में सज़ा सुनाई गई थी आरोपी को जुलाई 2007 में सज़ा सुनाई गई थी

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 02 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीएम बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया है. केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे के मुताबिक कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला दिया गया है. 

पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा को माफ करने की मांग वाली याचिका पर उसके वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि बम ब्लास्ट में मुख्यमंत्री की मौत हो गई थी. इस मामले में जुलाई 2007 में सज़ा सुनाई गई, हाई कोर्ट ने 2010 में सज़ा बरकरार रखी थी और वो 27 साल से जेल में है. 2012 से उसकी दया याचिका लंबित है.

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रोहतगी ने कहा कि मौत की सज़ा के मामले में लंबे समय तक देरी करना मौलिक अधिकार का हनन है. 2012 से दया याचिका लंबित है, हम 2023 में कोर्ट आए थे. राजोआना की उम्र 56 साल हो गई है. जब घटना हुई थी, उस समय वह युवा था. हम दया याचिका पर उनके फैसले का इंतज़ार नहीं कर सकते. कोर्ट को मामले में अब फैसला सुनाना चहिये. इतने दिन कैद में रखना अमानवीय है. विकल्प के रूप में अगर दया याचिका पर फैसला नहीं होता है, तब तक राजोआना को पैरोल पर छोड़ा जा सकता है.

गौरतलब है कि बेअंत सिंह की हत्या 1995 में हुई थी. बलवंत सिंह 27 साल से जेल में बंद है. उसने लंबा समय जेल में बिताने के आधार पर अपनी फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने की अपील की है. बलवंत सिंह राजोआना की ओर से दया याचिका मार्च, 2013 से ही राष्ट्रपति के पास लंबित है. बलवंत सिंह राजोआना की ओर से दया याचिका पर फैसले में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले भी नाराजगी जता चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल भी इसे लेकर सुनवाई करते हुए नाराजगी जताते हुए साफ कहा था कि केंद्र सरकार को फैसला लेना ही होगा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का केंद्र पर कोई असर नहीं हुआ और बलवंत सिंह की ओर से लगाई गई दया याचिका पर कोई फैसला नहीं हुआ है. 

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