महायुति में 'जनता दरबार' पर रार! शिवसेना नेता से बोला हाईकोर्ट- सीधे मंत्री को बताओ अपनी शिकायत

बॉम्बे हाई कोर्ट ने गणेश नाइक (BJP मंत्री) के 'जनता दरबार' को चुनौती देने वाली शिवसेना (शिंदे गुट) की PIL पर सुनवाई की. याचिका में अधिकारियों की अनुपस्थिति पर वेतन कटौती की मांग की गई थी. कोर्ट ने कहा कि वह अधिकारियों को दरबार में जाने से नहीं रोक सकता.

Advertisement
कोर्ट ने कहा- हम अधिकारियों को जनता दरबार में जाने से कैसे रोकें (Photo-ITG) कोर्ट ने कहा- हम अधिकारियों को जनता दरबार में जाने से कैसे रोकें (Photo-ITG)

विद्या

  • मुंबई,
  • 19 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:12 AM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट में मंगलवार को एक दिलचस्प वाकया सामने आया, जहां वरिष्ठ BJP नेता और राज्य के वन मंत्री गणेश नाइक द्वारा आयोजित 'जनता दरबार' (लोगों की अदालत) को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई हुई.

 हाई कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया कि वह चुनावी प्रतिनिधियों को जनता दरबार न करने का आदेश नहीं दे सकती. कोर्ट ने कहा कि इसके बजाय याचिकाकर्ता को स्वयं दरबार में जाकर मंत्री को इसे बंद करने के लिए कह सकते हैं.

Advertisement

मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए अंखड़ की पीठ शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के जिला अध्यक्ष किशोर पाटकर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने कहा, “हम कैसे अधिकारियों से कह सकते हैं कि वे जनता दरबार में न जाएं?”

याचिकाकर्ता का आरोप

याचिका में आरोप लगाया गया था कि नाईक के जनता दरबार में NMMC, CIDCO और अन्य सरकारी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की अनिवार्य उपस्थिति रहती है, जिससे उनके नियमित कार्य प्रभावित होते हैं. पाटकर ने यह भी मांग की थी कि जनता दरबार में अधिकारियों का समय अनुपस्थिति माना जाए और वेतन कटौती हो.

यह भी पढ़ें: बीजेपी और शिंदे गुट में बढ़ा तनाव? फडणवीस की शिवसेना को नसीहत- गठबंधन धर्म का पालन करें

मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर ने टिप्पणी की, "क्या हम उनसे (अधिकारियों से) कह सकते हैं कि वे जनता दरबार में न जाएँ?" NMMC की ओर से पेश हुए वकील सुदीप नारगोलकर ने इस बात पर जोर दिया कि यह याचिका शिवसेना (शिंदे गुट) के एक नेता द्वारा दायर की गई है, और यह एक राजनीतिक हित याचिका (PIL) है, इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए.

Advertisement

कोर्ट ने दिया सुझाव

हालांकि याचिकाकर्ता के वकील ने अपने वरिष्ठ की अनुपस्थिति के कारण समय मांगा, लेकिन पीठ ने सुझाव दिया, "कृपया इसे वापस ले लें और आप स्वयं जनता दरबार में जाकर उनसे कहें कि वे जनता दरबार न लगाएं."

याचिकाकर्ता के वकील के अनुरोध के बाद, अदालत ने याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. यह विवाद ठाणे-नवी मुंबई क्षेत्र में महायुति सहयोगियों शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है. शिंदे गुट ने कहा है कि चूंकि नाइक पालघर के पालक मंत्री हैं, इसलिए उन्हें जनता दरबार केवल वहीं आयोजित करना चाहिए, न कि ठाणे जिले या नवी मुंबई में.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement