दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 8 साल पुराने मामले में दहेज उत्पीड़न के मामले को लेकर एक व्यक्ति, उसके पिता और बहन को आरोपों से बरी कर दिया. दरअसल, एक महिला ने अपने ससुर पर रेप का आरोप लगाया था. इसके साथ ही महिला ने अपने पति और पति की बहन के खिलाफ भी केस दर्ज कराया था.
इस मामले में कोर्ट ने महिला के ससुर, पति और पति की बहन को बरी कर दिया है. इसी के साथ झूठा केस दर्ज कराने को लेकर कोर्ट ने आरोप लगाने वाली महिला और उसके पिता पर केस दर्ज करने का आदेश दिया है.
जानकारी के अनुसार, यह मामला साल 2014 में दर्ज कराया गया था, जिसको लेकर कोर्ट ने फैसला सुनाया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आंचल ने दिल्ली पुलिस को पीड़िता और उसके पिता के खिलाफ केस दर्ज करने और संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष तीन महीने के भीतर जांच रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
तीन महीने में जांच रिपोर्ट दाखिल करने को कहा
कोर्ट ने कहा है कि एसएचओ पीएस जनकपुरी को निर्देश दिया जाता है कि वह अदालत की सूचना के तहत निर्णय प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर पीड़िता और उसके पिता के खिलाफ आईपीसी की धारा 211 के तहत प्राथमिकी दर्ज करें और संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष तीन महीने के भीतर पूरी जांच रिपोर्ट दाखिल करें.
73 पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा कि 'बलात्कार जघन्य अपराध है, लेकिन रेप के झूठे आरोपों से भी सख्ती से निपटने की जरूरत है, क्योंकि इससे आरोपी का बहुत अपमान होता है. मौजूदा केस में आरोप था कि ससुर ने अपनी बेटी की मदद से बहू के साथ घिनौना कृत्य किया है, जबकि भारतीय समाज में एक पिता और बेटी मर्यादा का पालन करते हुए इस तरह की बात ही नहीं करते हैं.'
कोर्ट ने कहा- इसके लिए आजीवन कारावास भी हो सकता है
कोर्ट ने आरोप लगाने वाली महिला और उसके पिता को फटकार लगाते हुए यह भी कहा कि महिला के पिता पेशे से वकील हैं. एक कानूनी परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद इस तरह का झूठा आरोप लगाकर उन्होंने न सिर्फ अपराध किया है, बल्कि इस पेशे की पवित्रता को भी भंग किया है. यह साधारण बात नहीं है, यह गैर-कानूनी काम है और इसके लिए आजीवन कारावास भी हो सकता है.'
दरअसल, यह मामला एक दंपति का है, जिनकी शादी वर्ष 2014 में हुई थी. पीड़िता का कहना था कि पति के परिवार ने उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया था, इसके बाद ससुर पर रेप का आरोप लगाया था.
कनु सारदा