सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बिहार निकाय चुनाव 2022 की अर्जी पर जनवरी में होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस अर्जी पर सुनवाई से इंकार किया है. कोर्ट का कहना है, ''हम पहले से तय तारीख के लिहाज से जनवरी में ही इस मसले पर सुनवाई करेंगे. यदि, चुनाव प्रकिया में कुछ खामी पाई गई, तो हम उस प्रकिया को पलट देंगे, लेकिन अभी शीघ्र सुनवाई नहीं होगी.''

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बिहार निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनवरी में  होगी सुनवाई. बिहार निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनवरी में होगी सुनवाई.

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 9:14 PM IST

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को बिहार में नगर निकाय चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. मामले में वकील राहुल भंडारी ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे के माहेश्वरी की पीठ के समक्ष मामला उठाया था.

मामले को लेकर वकील राहुल भंडारी ने पीठ के सामने दलील देते हुए कहा, ''सुप्रीम कोर्ट ने 28 अक्टूबर को अति पिछड़ा वर्ग के राजनीतिक पिछड़ेपन को निर्धारित करने के लिए बनाए गए डेडिकेटेड कमीशन के काम पर रोक लगा रखी है.''

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वकील राहुल भंडारी ने आगे कहा, ''ऐसे में उसी कमीशन की रिपोर्ट को आधार बनाकर जारी की गई निर्वाचन आयोग की अधिसूचना अदालत की अवमानना है. लिहाजा, चुनाव की यह अधिसूचना रद्द कर चुनाव टाले जाएं.''

सुप्रीम कोर्ट ने किया सुनवाई से इंकार

सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस अर्जी पर सुनवाई से इंकार किया है. कोर्ट का कहना है, ''हम पहले से तय तारीख के लिहाज से जनवरी में ही इस मसले पर सुनवाई करेंगे. यदि, चुनाव प्रकिया में कुछ खामी पाई गई, तो हम उस प्रकिया को पलट देंगे, लेकिन अभी शीघ्र सुनवाई नहीं होगी.''

दो चरणों में होने हैं चुनाव

जानकारी के लिए बता दें, बिहार में दो चरणों में 224 शहरी निकाय चुनाव होने हैं. इनमें 17 नगर निगम, 70 नगर परिषद और 137 नगर पंचायत की अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पार्षद की सीटें के लिए चुनाव होने हैं. निकाय चुनाव में राज्य के कुल एक करोड़ 14 लाख 52 हजार 759 मतदाता हिस्सा लेंगे.

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सुशील कुमार ने नीतीश सरकार पर साधा था निशाना

मार्च 2021 में महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था. इसमें कहा था कि अगर कोई राज्य सरकार नगर निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग के लिए सीटें आरक्षित करना चाहता है, तो उससे पहले उसे एक डेडिकेटेड ओबीसी कमीशन का गठन करना पड़ेगा. ऐसा इसलिए ताकि उनके पिछड़ेपन को लेकर जानकारी जुटाई की जा सके.

इस तरीके से आरक्षण की व्यवस्था की जाए, ताकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी को मिलाकर 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण की सीमा का उल्लंघन न हो.

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अति पिछड़ा वर्ग आयोग को डेडीकेटेड कमीशन मानने से इनकार करने के निर्णय के बाद बीजेपी राज्यसभा सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने नीतीश कुमार सरकार को घेरा था. आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की जिद के कारण बिहार में एक बार फिर से नगर निकाय चुनाव टल सकते हैं.

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