उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री नेशनल हाइवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने के कारण सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को 17वें दिन निकाल लिया गया है. पहले बैच में 5 मजदूरों को निकाला गया. 12 नवंबर को 41 मजूदर इस सुरंग में फंस गए गए थे. बीते 17 दिनों में मजूदरों को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन में कई तब्दीली आई. मौजूदा मशीनों के अलावा भी कई मशीनें मंगवाई गईं. विदेशों के एक्सपर्ट से सुझाव लिए गए थे.
स्थानिय लोगों ने क्या कहा, बाबा बौख नाग के प्रकोप के कारण हुआ हादसा
मगर, इस दौरान स्थानीय लोगों ने कहा कि सुरंग हादसा दैवीय प्रकोप के कारण हुआ. स्थानीय लोगों ने कहा यह हादसा इष्ट देवता भगवान बौख नाग देवता के प्रकोप कारण हुआ. जब यह बात सामने आई तो हादसे के कुछ दिन बाद सुरंग के मुहाने पर अस्थाई मंदिर स्थापित किया गया. इसके बाद से बाबा बौख नाग का आर्शीवाद लेकर ही रेस्क्यू ऑपरेशान जारी है. नतीजतन सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को कभी भी सुरंग से बाहर निकाला जा सकता है. प्रशानस, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग की टीमें मौके पर मौजूद हैं. सारी तैयारियां कर ली गई हैं. अब बस सभी को मजदूरों के सुरक्षित बाहर निकल आने का इंतजार है.
सुरंग के ठीक ऊपर बौख नाग देवता का मंदिर
हादसे को लेकर स्थानीय लोगों ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग के ठीक ऊपर जंगल में बौख नाग देवता का मंदिर है. कंपनी ने जंगलों को छेड़कर टनल बनाना शुरू किया और बदले में कंपनी ने टनल के पास देवता का मंदिर बनाने का वादा किया था, लेकिन 2019 से अभी तक मंदिर नहीं बनाया. इसके साथ ही ग्रामीणों का बनाया छोटा मंदिर भी तोड़ दिया गया. कई बार लोगों ने कंपनी के अधिकारियों को इसकी याद भी दिलाई, लेकिन अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. इसके बाद ही दुर्घटना हो गई. ये देवता का प्रकोप है.
इलाके के रक्षक हैं बाबा बौख नाग
हालांकि, जब यह हादसा हुआ तो दोबारा से बाबा के मंदिर को पहले वाली जगह पर स्थापित कर दिया गया. बाबा बौख नाग सिलक्यारा सहित क्षेत्र की तीन पट्टियों के ईष्ट देवता हैं. मंदिर के अंदर भगवान नागराज की प्रतिमा है. ऐसी मान्यता है कि बाबा बौख नाग इस इलाके के रक्षक हैं.
मंदिर के पुजारी गणेश प्रसाद बिजल्वाण ने कहा था कि फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के शुरुआती प्रयास विफल रहे. इसके बाद कंपनी के अधिकारियों ने फोन किया था. उन्होंने माफी मांगी और विशेष पूजा कराने की बात कही थी. उन्होंने पूजा कराई और मजदूरों को बचाने के लिए चल रहे रेस्क्यू की सफलता के लिए प्रार्थना की.
पुजारी ने कहा कि उत्तराखंड देवताओं की भूमि है. यहां किसी भी पुल, सड़क या सुरंग के निर्माण से पहले स्थानीय देवता के लिए एक छोटा मंदिर बनाने की परंपरा है. उनका आशीर्वाद लेने के बाद ही काम पूरा किया जाता है. उन्होंने कहा कि हमारा यह भी मानना है कि निर्माण कंपनी ने मंदिर तोड़कर गलती की और इसी कारण 41 श्रमिकों की जान खतरे में पड़ गई.
सिल्क्यारा गांव के निवासी 40 वर्षीय धनवीर चंद रमोला ने कहा था कि सुरंग के पास मंदिर था, जिसे हटा दिया गया. हादसे के पीछे लोग इसी को वजह मान रहे हैं. परियोजना शुरू होने से पहले सुरंग के मंदिर था. स्थानीय मान्यताओं का सम्मान करते हुए अधिकारी और मजदूर पूजा करने के बाद ही सुरंग में प्रवेश करते थे. इस मंदिर को कुछ दिन पहले कंपनी ने हटा दिया था.
उत्तराखंड सीएम और विदेशी एक्सपर्ट ने की बाबा बौख नाग की पूजा
बाबा बौख नाग के प्रकोप की बात सामने आने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विदेश से आए इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने बाबा बौखनाग की पूजा अर्चना की. सीएम धामी ने एक्स हैंडल पर लिखा भी कि ''बाबा बौख नाग जी की असीम कृपा, करोड़ों देशवासियों की प्रार्थना एवं रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे सभी बचाव दलों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए टनल में पाइप डालने का कार्य पूरा हो चुका है. शीघ्र ही सभी श्रमिक भाइयों को बाहर निकाल लिया जाएगा.''
नजर आई थी भगवान शिव की आकृति
27 नवंबर को सुरंग के ठीक बाहर स्थित बाबा बौख नाग मंदिर के पीछे स्थानीय लोगों को पानी से बनी ऐसी आकृति दिखी, जिसे देख उन्होंने दावा किया कि यह भगवान शिव की आकृति है. इसकी तस्वीरें और वीडियो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हुई. स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान शिव ने खुद रेस्क्यू वर्कर्स को इस रूप में आशीर्वाद दिया है, ताकि वे जल्द से जल्द श्रमिकों को सही सलामत सुरंग से बाहर निकाल सकें.
12 नवंबर को हुआ था सुरंग हादसा
आपको बता दें कि 12 नवंबर 2023 को सिल्कयारा से बारकोट तक निर्माणाधीन सुरंग में 60 मीटर हिस्से में मलबा गिरने से सुरंग ढह गई. फंसे हुए 41 मजदूरों को बचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा तत्काल संसाधन जुटाए गए. पांच एजेंसियों- ओएनजीसी, एसजेवीएनएल, आरवीएनएल, एनएचआईडीसीएल और टीएचडीसीएल को विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जो परिचालन दक्षता के लिए सामयिक कार्य समायोजन के साथ मिलकर काम कर रही हैं.
ओंकार बहुगुणा