Uttrakhand News: नैनीताल के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने को लेकर माहौल गर्माया हुआ है. अब नैनीताल के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) धीरज सिंह गर्बियाल का कहना है कि यहां पर जितने भी लोग हैं, वे रेलवे की भूमि पर हैं. इनको हटाया जाना है. इसके लिए हमारी तैयारी पूरी चल रही है. हमने फोर्स की मांग की है. आने वाले कुछ समय में हम उन्हें हटाएंगे. ये उच्च न्यायालय का आदेश है. उसका पालन करना होगा.
इसका मतलब है कि बनभूलपुरा और गफूर बस्ती में रेलवे की करीब 70 एकड़ जमीन से करीब चार हजार से अवैध घरों को हटाने के लिए रेलवे, पुलिस और प्रशासन ने कमर कस ली है. इसके लिए आरपीएफ समेत पीएसी की कंपनियां को भी बुलाया गया है. इसके साथ ही अर्धसैनिक बलों की 14 कंपनियां भी सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए मांगी गई हैं.
गौरतलब है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने का 20 दिसंबर को आदेश दिया था. अदालत ने अतिक्रमणकर्ताओं को वह जगह खाली करने के लिए एक हफ्ते का नोटिस देने का ऑर्डर दिया था.
उधर, बनफूलपुरा के रहवासी अतिक्रमण हटाने का विरोध यह कहते हुए कर रहे हैं कि वे बेघर हो जाएंगे और स्कूल जाने वाले उनके बच्चों का भविष्य तबाह हो जाएगा.
यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. अब गुरुवार यानी 5 जनवरी को शीर्ष अदालत में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस ए नजीर और पीएस नरसिम्हा की बेंच मामले की सुनवाई करेगी.
उधर, रेलवे की 29 एकड़ जमीन दशकों से लोगों के अवैध कब्जे में होने का दावा करते हुए रेलवे ने उसे खाली कराने की कार्रवाई चालू कर रखी है. सुप्रीम कोर्ट में उस बस्ती में रहने वाले लोगों में से इक्दारुल्ला ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बुधवार को वहां के कुछ पीड़ितों की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दायर कर उसे सीजेआई कोर्ट में मेंशन भी किया था.
याचिका में कहा गया है कि वहां गरीबों के चार हजार से ज्यादा घर हैं. रेलवे ने पहले अपनी याचिका में 29 एकड़ जमीन पर कब्जे की बात कही थी. लेकिन बाद में इसे करीब 70 एकड़ बताया था. याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में उस जमीन पर दशकों से रह रहे लोगों के बेघर होने पर उनके जीवन यापन के इंतजाम और पुनर्वास के लिए कोई गाइडलाइन जारी किए बिना ही बस्ती पर बुलडोजर चलाने के आदेश दे दिए.
आदेश देने के हफ्ते भर में ही बस्ती को जमींदोज करने का फरमान हाईकोर्ट ने जारी किया था. याचिका में तब के हल्द्वानी खास इलाके की उस जमीन पर 1895 ने थॉमस गाउन का कब्जा होने की बात कही है. इस पर 1896 में धन सिंह को बेच दी. फिर धन सिंह ने समय समय पर कई लोगों को भूखंड बेचे. 1907 में हल्द्वानी नगरपालिका ने इसे नजूल जमीन के तौर पर अधिसूचित किया. 1937 में ये जमीन इमारत बनाने के लिए लीज पर अब्दुल वासिद को दी गई. बाद में हल्द्वानी काठगोदाम लालकुआं रेल मार्ग यानी ट्रैक से 45 से 100 फुट हटकर है.
अब अपनी जमीन छुड़ाने को कोर्ट में आया रेलवे उत्तराखंड हाईकोर्ट रेलवे को अपनी जमीन वापस लेने के लिए समुचित उपाय करने को हरी झंडी दे चुका है. अब सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका के साथ कुछ पीड़ित आए हैं. याचिकाकर्ताओं के साथ वहां के स्थानीय कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश की अगुआई में वहां के निवासी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं.
(नैनीताल से लीला सिंह बिष्ट का इनपुट)
aajtak.in