उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में वायरल बुखार और डेंगू के बढ़ते मामलों से पूर्वांचल का एम्स कहे जाने वाले बीएचयू का सर सुंदरलाल अस्पताल भी अछूता नहीं है. आलम यह है कि अस्पताल के सभी वार्ड्स फुल हो गए हैं और तो और मरीजों को वार्ड में भर्ती होने के पहले पूरे-पूरे दिन स्ट्रेचर पर रहकर इंतजार करना पड़ रहा है.
इस बारे में बीएचयू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक भी बेबस नजर आए और बताया कि सीमित संसाधन और बढ़े मरीजों के बावजूद वो बगैर इलाज के किसी मरीज को लौटा नहीं रहे हैं. भले ही उनको स्ट्रेचर पर रखकर ही इलाज करना पड़ रहा हो.
कोरोना की दूसरी लहर के बाद उत्तर प्रदेश के कई जिलों अस्पतालों पर भारी दबाव इन दिनों डेंगू और वायरल बुखार के चलते आ पड़ा है. इन मौसमी बीमारियों से पूर्वांचल का एम्स कहा जाने वाला काशी हिंदू विश्वविद्यालय का सर सुंदरलाल अस्पताल भी अछूता नहीं है. जहां न केवल पूर्वांचल, बल्कि बिहार और नेपाल तक से मरीज इलाज कराने आते हैं.
बीएचयू अस्पताल का चाहे बाल रोग विभाग हो या फिर इमरजेंसी, यहां घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा बुरी हालत इमरजेंसी वार्ड में देखने को मिल रही है. जहां खचाखच भरे वार्ड के बाहर स्ट्रेचर पर ही मरीज लेटे हुए दिख जा रहे हैं.
इमरजेंसी वार्ड के बाहर स्ट्रेचर पर अपने दोनों बेटों का इलाज करा रहे चंदौली से आए रामनारायण ने बताया कि वार्ड में जगह न होने के चलते उनके बेटे का वार्ड के बाहर ही इलाज चल रहा है, जिससे वह संतुष्ट है. वह ब्लड रिपोर्ट के इंतजार में हैं जिसके आने के बाद ही डॉक्टर वार्ड में भर्ती करने का निर्णय लेंगे.
वही, बीएचयू अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर केके गुप्ता ने बताया कि हर साल मौसम जनित बीमारी से ग्रसित होकर लोग इलाज के लिए उनके अस्पताल आते हैं. इस साल भी बहुतायत में आ रहे हैं और हम लोग फुल कैपेसिटी में काम कर रहे हैं. जितना मरीजों को भर्ती किया जा सकता है उतना भर्ती कर रहे हैं. हमारे सभी चिकित्सक पूरी तरह से अपने कार्य में लगे हुए हैं, लेकिन यह बात सत्य है कि जितना भी स्थान हमारे पास है उसमें कई लोगों को बेड नहीं मिल पाता है तो उनको लगता है कि हम इलाज करने में अक्षम है, जबकि ऐसा नहीं है.
हमारे पास जितनी जगह होगी, हम उसके मुताबिक अपना कार्य कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमारे बाल रोग विभाग में डेंगू के बच्चे काफी संख्या में आ रहे हैं. हम लोग सुचारू रूप से उनका इलाज कर रहे हैं. पेडियाट्रिक वार्ड में उपलब्ध सभी बेड फुल हैं, इमरजेंसी के भी सारे बेड फुल हैं. इमरजेंसी वार्ड में डेंगू के 5 बेड को बढ़ाकर मेरे कार्यकाल में 15 कर दिया गया है, लेकिन वो भी पूरा फुल हो चुका है. वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर काम जारी है, जिसे शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा.
बिहार के कई जिलों में वायरल बुखार का प्रकोप
कोविड-19 के तीसरी लहर से पहले बिहार के कई जिलों में वायरल बुखार का प्रकोप देखने को मिल रहा है जिसकी चपेट में कम उम्र के बच्चे तेजी से आ रहे हैं. इसकी वजह से हालात यह है कि राजधानी पटना के कई बड़े अस्पतालों जिसमें नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (NMCH), पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (PMCH), इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) और पटना एम्स (AIIMS) में बच्चों के बेड लगभग फुल हो चुके हैं. पटना के NMCH में बच्चों के लिए 84 बेड की व्यवस्था है मगर फिलहाल वहां 87 बच्चों का इलाज चल रहा है.
रोशन जायसवाल / रोहित कुमार सिंह