यूपी MLC चुनाव: क्या बसपा उतारेगी कैंडिडेट, राज्यसभा जैसा होगा मुकाबला?

यूपी एमएलसी चुनाव नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है, लेकिन अभी तक कोई नामांकन नहीं हुए हैं. हालांकि, 18 नामांकन पत्र जरूर खरीदे गए हैं, जिसमें दस बीजेपी की ओर से और दो सपा और दो बसपा ने नाम पर खरीदे गए हैं. वहीं, चार नामांकन निर्दलीय उम्मीदवारों ने खरीदे हैं. ऐसे में बसपा के नाम पर खरीदे गए नामांकन पत्र को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्या फिर राज्यसभा जैसा एमएलसी चुनाव में भी शह-मात का खेल देखने को मिलेगा. 

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बसपा प्रमुख मायावती बसपा प्रमुख मायावती

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 12 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST
  • यूपी की 12 एमएलसी सीट पर 28 जनवरी को चुनाव होंगे
  • बीजेपी की 10 एमएलसी सीट पर जीत पक्की मानी जा रही
  • बसपा ने दो नामांकन पत्र खरीदे, किस पार्टी का मिलेगा समर्थन

उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 12 सीट पर 28 जनवरी को होने वाले चुनाव की सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी गई है. नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है, लेकिन अभी तक कोई नामांकन नहीं हुए हैं. हालांकि, 18 नामांकन पत्र खरीदे गए हैं, जिसमें दस बीजेपी की ओर से और दो सपा और दो बसपा के नाम पर खरीदे गए हैं. वहीं, चार नामांकन पत्र निर्दलीय उम्मीदवारों ने खरीदे हैं. ऐसे में बसपा के नाम पर खरीदे गए नामांकन पत्र को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्या फिर राज्यसभा जैसा एमएलसी चुनाव में भी शह-मात का खेल देखने को मिलेगा. 

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उत्तर प्रदेश की 12 विधान परिषद सीटों में से 10 सीटों पर बीजेपी की जीत तय मानी जा रही है जबकि एक सीट सपा की पक्की है. ऐसे में 12वीं सीट को लेकर सियासी संग्राम होना है. हालांकि, बीजेपी और सपा ने अभी तक अपने पत्ता नहीं खोला है. सूबे की जो 12 सीटें खाली हो रही हैं, उनमें से छह पर सपा का कब्जा है और 3 सीटें बसपा और 3 सीटें बीजेपी के पास रही हैं.

एमएलसी चुनाव में बसपा के नामांकन पत्र खरीदने के बाद साफ हो गया है कि वो अपना प्रत्याशी मैदान में उतर सकती है. 
ऐसे में संख्या बल ना होते हुए भी बीजेपी इस सीट पर अपना 11 वां उम्मीदवार उतारेगी या फिर राज्यसभा चुनाव की तरह बसपा को वॉकओवर देगी, या जैसा मायावती ने पहले कहा था बीजेपी को इस 11वीं सीट पर सपोर्ट करेंगी या समाजवादी पार्टी दूसरे दलों और निर्दलीयों के सहारे अपना दूसरा उम्मीदवार खड़ा करेगी.

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यूपी विधानसभा की स्थिति
विधानसभा में दलों की स्थिति को अगर देखें तो, बीजेपी के 309 सदस्य, सपा के 48 सदस्य हैं. बसपा के 18 सदस्य हैं. अपना दल (एस) के 9 सदस्य हैं. कांग्रेस के 7 सदस्य हैं जबकि ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा के 4 सदस्य हैं. तीन निर्दलीय हैं. एक आरएलडी का विधायक हैं और एक अपना दल का विधायक है. 

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यूपी की एक एमएलसी सीट जिताने के लिए करीब 32 वोट की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में बीजेपी अपने 10 उम्मीदवारों को आसानी से जीता ले जाएगी जबकि सपा के एक सीट जीतने के बाद भी वोट बच जाएंगे. बीजेपी से प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, डॉ. दिनेश शर्मा और लक्ष्मण आचार्य की वापसी लगभग तय. इसके अलावा सात सीटों के लिए दो दर्जन नामों का पैनल केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा गया. माना जा रहा है कि बीजेपी विधानसभा चुनाव से पहले एमएलसी उम्मीदवारों के जरिए अपना सियासी और सामाजिक समीकरण साधने का बड़ा दांव चल सकती है. 

सपा की एक सीट पक्की
सपा के मौजूदा 48 विधायक होने के नाते उसे भी विधान परिषद में एक सीट मिल जाएगी. इसके बाद सपा के पास 16 विधायक बचेंगे. हालांकि, सपा के छह वरिष्ठ नेताओं का कार्यकाल पूरा हो रहा है. इनमें अहमद हसन, आशु मलिक, रमेश यादव, राम जाटान राजभर, वीरेंद्र सिंह और साहेब सिंह सैनी शामिल हैं. इनमें से महज एक सीट ही जीती जा सकती हैं और दूसरी सीट जीतने के लिए उसे काफी जतन करने पड़ेंगे. सपा ने तय कर लिया है कि वह बसपा के साथ ही दूसरे दलों के कुछ असंतुष्ट विधायकों का समर्थन हासिल अपनी सीट जिता लेगी. 

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क्या बसपा उतारेगी प्रत्याशी

हालांकि, बसपा के 18 विधायक हैं, लेकिन छह विधायक बागी हो चुके हैं. इसके अलावा एक विधायक को पार्टी बदलने के चलते नोटिस जारी कर रखा है और मुख्तार अंसारी जेल में बंद है, जिनके वोट देने को लेकर संशय है. ऐसे में बसपा के साथ फिलहाल 10 विधायक ही हैं, जिनके सहारे एक एमएलसी सीट जीतना मुश्किल है. हालांकि, बसपा के नाम पर दो नामांकन पत्र खरीदे हैं, लेकिन अपने दम पर जीतने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि बसपा कहीं बीजेपी और अपना दल के सहारे तो जीतने का सपना नहीं देख रही है. 

बसपा अध्यक्ष मायावती राज्यसभा चुनाव के दौरान ही कह चुकी हैं कि एमएलसी चुनाव में अगर सपा को हराने के लिए बीजेपी को समर्थन करना भी पड़ा तो करेंगी. हालांकि, कांग्रेस के दो बागी विधायक बीजेपी के साथ आ सकते हैं. इसके अलावा जनसत्ता पार्टी के प्रमुख व विधायक रघुराज प्रताप सिंह हैं, जिनके समर्थन पर लोगों की नजर है. हालांकि, नामांकन के बाद ही एमएलसी चुनाव की तस्वीर साफ हो सकेगी. 
 

 

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