उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव की 12 सीटों पर नामांकन के लिए सोमवार आखिरी दिन है. सोमवार को बीजेपी के सभी दस उम्मीदवारों ने एक साथ नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है, जबकि सपा की ओर से दोनों प्रत्याशी पहले नामांकन कर चुके हैं. इन उम्मीदवारों के अलावा कोई और नहीं उतरता है तो सभी का निर्विरोध चुना जाना तय है.
हालांकि, बसपा ने दो नामांकन पत्र खरीदे हैं, लेकिन अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे में अंतिम दिन बसपा या निर्दलीय के द्वारा नामांकन किया जाता है तो विधान परिषद की 12वीं सीट पर मुकाबला काफी रोचक हो जाएगा और छोटे दलों और बागियों की भूमिका काफी अहम होगी.
बीजेपी ने उतारे ये उम्मीदवार
बीजेपी की ओर से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, पूर्व आईएएस अधिकारी अरविंद शर्मा, लक्ष्मण आचार्य, कुंवर मानवेंद्र सिंह, बीजेपी के प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला, अश्विनी त्यागी, सलिल बिश्नोई, धर्मवीर प्रजापति और सुरेन्द्र चौधरी एमएलसी के लिए नामांकन दाखिल करेंगे. मौजूदा विधानसभा के समीकरण के हिसाब से बीजेपी के सभी 10 उम्मीदवारों का जीतना तय माना जा रहा है.
एमएलसी चुनाव के लिए सपा उम्मीदवार के तौर पर अहमद हसन और राजेंद्र चौधरी पहले ही नामांकन कर चुके हैं. वहीं बीएसपी और कांग्रेस ने अब तक कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा है. ऐसे में 12 सीटों के लिए अब 12 प्रत्याशी मैदान में हैं. ऐसे में यदि अब कोई और प्रत्याशी नहीं आता है तो सब उम्मीदवारों का निर्विरोध चुना जाना तय है. वहीं यदि 13वें कैंडिडेट ने पर्चा भर दिया तो फिर चुनाव मुकाबले से तय होगा.
नजरें मायावती के स्टैंड पर
यूपी एमएलसी चुनाव में सभी की नजरें बसपा पर हैं. बसपा ने एमएलसी चुनाव के लिए दो नामांकन पत्र खरीदे हैं, लेकिन अभी तक किसी ने भी पर्चा दाखिल नहीं किया है. एमएलसी चुनाव के नामांकन का सोमवार अंतिम दिन है और तीन बजे तक ही समय है. ऐसे में बीएसपी या फिर निर्दलीय कोई प्रत्याशी एमएलसी चुनाव में उतरता है तो चुनावी मुकाबला दिलचस्प होगा. हालांकि, बीएसपी प्रमुख मायावती ने राज्यसभा चुनाव के दौरान ऐलान किया था कि आने वाले एमएलसी चुनाव में सपा को हराने के लिए अगर बीजेपी की भी मदद करनी पड़ी तो करेंगी. ऐसे में नजरें बीएसपी अध्यक्ष मायावती पर हैं कि वो इस चुनाव में क्या स्टैंड लेती हैं.
दरअसल, राज्यसभा चुनाव के दौरान बसपा ने विधायक संख्या बल न होते हुए भी रामजी गौतम को मैदान में उतारकर सभी को चौंका दिया था. ऐसे ही बसपा अगर विधान परिषद में अपना प्रत्याशी उतारती है तो सपा को अपने दूसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. ऐसे में सबसे अहम भूमिका कांग्रेस के साथ छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों की होगी. कांग्रेस के सात, ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा के चार और निर्दलीय तीन विधायक हैं.
कांग्रेस के दो विधायकों का बागी रुख
कांग्रेस के सात विधायक हैं. इसमें से दो अदिति सिंह और राकेश सिंह बागी रुख अपनाए हुए हैं. राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट कर चुके हैं. इस तरह से कांग्रेस के साथ फिलहाल पांच विधायक हैं. वहीं, ओम प्रकाश राजभर अब बीजेपी का साथ छोड़ चुके हैं, जिनकी पार्टी के चार विधायक हैं. ऐसे ही विजय मिश्रा निर्दलीय विधायक हैं, जो फिलहाल जेल में बंद हैं. इसके अलावा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया निर्दलीय विधायक हैं. एमएलसी की सीट पर कोई 13 वां प्रत्याशी उतरता है तो इन दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.
अखिलेश यादव ने भले ही दो कैंडिडेट उतार दिए हों, लेकिन दोनों सीट जीतने के लिए उनके पास विधायकों की पर्याप्त संख्या नहीं है. सपा के 48 विधायक जीतकर आए थे, जिनमें आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां की विधायकी का मामला कोर्ट में विचाराधीन है. इसके अलावा नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल सपा से बागी हो चुके हैं. ऐसे ही शिवपाल यादव सपा के विधायक हैं, लेकिन उन्होंने प्रसपा नाम से अलग पार्टी बना रखी है. इस तरह से सपा के पास फिलहाल 45 विधायक ही बचते हैं.
एक सीट के लिए चाहिए 32 वोट
यूपी में एक एमएलसी सीट के लिए 32 वोटों की जरूरत है. इस तरह से सपा के पास एक सीट जीतने के बाद 13 विधायक ही बचेंगे और उन्हें दूसरी सीट जीतने के लिए कम से कम 19 विधायकों का समर्थन जुटाना होगा. ऐसे में बसपा के पांच बागी विधायक सपा के साथ आ सकते हैं, जिसके बाद सपा को अपने दूसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. हालांकि, बीजेपी अगर 11 प्रत्याशी उतारती है या फिर किसी को समर्थन करती है तो सपा के लिए एक बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है.
कुबूल अहमद