UP Board Paper Leak: DIOS और स्थानीय पत्रकार समेत 22 को भेजा जेल, डेढ़ दर्जन हिरासत में

UP Board Paper Leak मामले में DIOS और स्थानीय पत्रकार समेत 22 आरोपियों को अब तक जेल भेजा जा चुका है. वहीं, डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग अब तक हिरासत में लिए जा चुके हैं, जिनसे पूछताछ चल रही है.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

संतोष शर्मा

  • लखनऊ,
  • 01 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 12:13 AM IST
  • बुधवार को यूपी बोर्ड 12वीं क्लास का अंग्रेजी का पेपर लीक हुआ था
  • पेपर लीक से जुड़े सबूत तलाशने में जुटी एसटीएफ की टीम

यूपी बोर्ड परीक्षा के पेपर लीक मामले में बलिया के डीआईओएस (डिस्ट्रिक्ट इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल) और स्थानीय पत्रकार समेत 22 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. करीब डेढ़ दर्जन लोग बलिया पुलिस और यूपी एसटीएफ की हिरासत में हैं, जिनसे पूछताछ की जा रही है. उनके मोबाइल खंगाले जा रहे हैं. 

बुधवार को यूपी बोर्ड में 12वीं क्लास का अंग्रेजी का पेपर लीक हुआ तो सबसे पहला एक्शन बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक बृजेश मिश्रा और उनके करीबी स्थानीय पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया गया. अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर स्थानीय पत्रकार और जिला विद्यालय निरीक्षक को ही सबसे पहले क्यों गिरफ्तार किया गया. जांच से जुड़े पुलिस अफसरों की मानें तो बलिया जिले में बोर्ड परीक्षा कराने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी जिला विद्यालय निरीक्षक बृजेश मिश्रा को सौंपी गई. 

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जिला विद्यालय निरीक्षक ने ऐसे स्कूलों को परीक्षा केंद्र बना दिया जो मानक को पूरा नहीं कर रहे थे या फिर ब्लैक लिस्टेड थे. बलिया के कोतवाली थाने में डीआईओएस बृजेश कुमार मिश्रा के ऊपर धोखाधड़ी के साथ अपराधिक साजिश रचने का मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया. डीआईओएस बृजेश मिश्रा के साथ जो दूसरा महत्वपूर्ण किरदार इस पेपर लीक कांड में सामने आया वह था एक स्थानीय पत्रकार अजीत ओझा. बलिया पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार अजीत ओझा स्थानीय पत्रकार के साथ-साथ एक स्कूल में अध्यापक भी है.

बुधवार को अजीत ओझा ने संस्कृत और अंग्रेजी का पेपर वायरल होने की खबर छापी. खबर छपने के बाद शिक्षा विभाग के अफसरों ने जांच की तो संस्कृत का पेपर फर्जी निकला. कहा जा रहा है कि संस्कृत का पेपर छापा गया वह 2017 का था और जिसपर 2022 लिखकर छापा गया और मार्केट में बेचा गया. वही अंग्रेजी का जो पेपर था उसका ऊपरी पन्ना छापा गया, वह दिशा-निर्देश वाला पेज था, प्रश्नपत्र का कोड सही था. अजीत ओझा के मोबाइल से पुलिस को अंग्रेजी का पूरा पेपर मिला, जिसे उसने कई स्कूलों के प्रबंधकों को भेजा था. 

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एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार का कहना है कि जो लोग गिरफ्तार कर जेल भेजे गए हैं, उन सभी के मोबाइल में अंग्रेजी का यह पेपर परीक्षा से पहले पहुंचा हुआ था और यह लोग पेपर बेचकर पैसा बनाने में लगे थे. फिलहाल इस मामले में यूपी एसटीएफ की वाराणसी यूनिट ने जांच शुरू कर दी है. लेकिन एसटीएफ के सामने भी दो ही सवालों के जवाब तलाशना  चुनौती है. पेपर बलिया से लीक हुआ या किसी अन्य जनपद में लीक कर बलिया से वायरल किया गया. दूसरा की पेपर तमाम सुरक्षा उपायों के बावजूद आखिर लीक कैसे हुआ? जिले के सबसे गवर्मेंट इंटर कॉलेज में बने स्ट्रांग रूम से, परीक्षा केंद्र से या फिर जिले में प्रश्नपत्र पहुंचने से पहले ही लीक किया गया? यूपी एसटीएफ अब इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने के लिए अब तक सामने आई जानकारियों के तार जोड़ रही है.

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