UP: 'लड़की हूं तो क्या हुआ...', बीमार पति-पिता और मां के लिए हर हालात से जूझती हैं हिना

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले (UP Banda) में ई-रिक्शा चलाकर अपने बीमार पति और पिता की जिम्मेदारी उठाने वाली हिना एक मिसाल बन चुकी हैं. हिना का कहना है कि हालात ने मजबूर कर दिया तो रिक्शा चलाने लगी. इससे परिवार पल जाता है. हिना को रोज 300 रुपये रिक्शा का किराया देना पड़ता है. इसके बाद जो बचता है, उससे खर्च चलता है.

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ई-रिक्शा चलतीं बांदा की हिना. (Photo: Aajtak) ई-रिक्शा चलतीं बांदा की हिना. (Photo: Aajtak)

aajtak.in

  • बांदा,
  • 17 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 7:00 PM IST
  • उत्तर प्रदेश के बांदा​ जिले की हिना बनी मिसाल
  • परिस्थितियों ने मजबूर किया तो रिक्शा चलाकर बनी आत्मनिर्भर

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले (UP Banda) में एक महिला हिना ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है. हिना अपने बीमार पति और दिव्यांग पिता का इलाज कराने के परिवार की जिम्मेदारी भी उठा रही हैं. हिना अपने काम और मेहनत से खुश हैं. इनका कहना है कि लड़की हूं तो क्या हुआ, हम भारत की नारी तो हैं. हर परिस्थिति में सभी को हिम्मत और मेहनत के दम पर जीवन बिताना चाहिए. हिना के इस साहस को देखकर लोग भी तारीफ कर रहे हैं.

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जानकारी के अनुसार, बांदा जिले के शहर कोतवाली के निम्निपार इलाके की निवासी हिना की शादी के 8 साल पहले हुई थी. उसके पिता दिव्यांग थे. शादी के बाद अचानक पति की तबीयत खराब हो गई, तब से लगातार बीमार हैं. हिना के कोई संतान नहीं है. कोई कमाने वाला भी नहीं है. घर पर सिर्फ मां, पिता और पति समेत 4 लोगों का परिवार है. घर की परिस्थितियों ने हिना को खुद के पैरों पर खड़ा होने के लिए मजबूर कर दिया. हिना ने कोई रोजगार न होने से ई रिक्शा किराए पर लेकर चलाना शुरू कर दिया. हिना सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक शहर में ई-रिक्शा चलाती हैं.

300 रुपये देना पड़ता है रिक्शे का किराया

हिना ने बताया कि 300 रुपये रिक्शे का किराया देने के बाद जो बचता है, उससे मेरा परिवार चलता है. किसी दिन 400 या उससे ज्यादा कम भी मिलता है. पति और पिता की दवाइयों के खर्च के साथ परिवार का पेट भर जाता है. मैं अपनी मेहनत से खुश हूं. हिना के पिता समीर अली ने कहा कि बच्ची की मजबूरी है, परिस्थितियों ने मजबूर किया है. मैं और दामाद मजबूर हैं, जिसकी वजह से मेरी बेटी ने ई रिक्शा चलाकर पेट पालना शुरू कर दिया है. हमें बेटी हिना पर गर्व है. सोचकर कभी आंसू भी आ जाते हैं. बस बेटी ही सहारा है.

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 रिपोर्टः सिद्धार्थ गुप्ता

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