मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने मंगलवार को कहा कि मदरसे के सर्वे में जानकारी देने में कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन इसमें हस्तक्षेप गलत है. जो मदरसे मदरसा बोर्ड के हैं और जो सोसाइटी एक्ट के तहत चलते हैं, दोनों का एफीलिएशन अलग है. इसमें एतराज करना सही नहीं है. जमीयत की बैठक में उन्होंने ये बातें कहीं. दारुम उलूम को मदद या बदलाव की जरूरत नहीं.
फिरंगी महली ने कहा कि दारुल उलूम और ऐसे बाकी मदरसे बिना मदद के चलते हैं. ऐसे में उनके अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप न किया जाए साथ ही मदरसों को शक की निगाह से ना देखें.
मौलाना ने कहा कि मदरसों में कोई गैर कानूनी या गैर संवैधानिक काम नहीं होता. दारुल उलूम का नाम पूरी दुनिया में है और यहां से पढ़कर कई बड़े चेहरे निकले हैं. इसमें कारवाई की कोई गुंजाइश नहीं. जो जानकारी मांगी गई थी, वह सही दी गई. उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वे पूरा हो चुका है. इसको लेकर मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति भी जताई थी.
7500 मदरसों के पास नहीं है मान्यता
मदरसों के सर्वे में सामने आया है कि पूरे सूबे में करीब 7,500 के आस-पास मदरसे गैर मान्यता प्राप्त हैं. सर्वे की रिपोर्ट 15 नवंबर तक जिलाधिकारी के जरिए राज्य सरकार को भेजी जाएगी. सर्वे से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था करते हुए उनका बेहतर विकास करके उन्हें देश और समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जाएगी.
असली-नकली मकसद से नहीं किया गया सर्वे
सरकार की तरफ से कहा जा चुका है कि यह सर्वे असली-नकली के मकसद से नहीं किया जा रहा है. इसका लक्ष्य शिक्षा और शिक्षा के केंद्र की संख्या, उनकी व्यवस्था आदि की सही जानकारी प्राप्त करना है. इनकी कोई जांच नहीं होगी और न ही कोई अवैध है.
सर्वे को लेकर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहम जावेद ने कहा, 'इसका किसी भी प्रकार से किसी भी जांच से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है.'
अभिषेक मिश्रा