उत्तर प्रदेश की सियासत में चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव के बीच रिश्ते जगजाहिर हैं. शिवपाल यादव साफ कह चुके हैं कि किसी भी सूरत में अब सपा के साथ समझौता नहीं होगा. शिवपाल के साथ तमाम सियासी मतभेदों और तल्खियां बढ़ने के बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बड़ा कदम उठाया है. सपा ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर शिवपाल यादव को सदन में आगे की सीट देने का आग्रह किया है. अखिलेश के इस कदम को डैमेज कंट्रोल और शिवपाल के साथ तनाव कम करने के रूप में भी देखा जा रहा है.
सपा की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को लिखे गए पत्र में शिवपाल यादव को एक पार्टी का नेता बताते हुए उनकी वरिष्ठता के आधार पर आगे की एक सीट आवंटित करने की मांग रखी है. हालांकि, शिवपाल यादव ने भी पहले ही कह दिया था कि उनके वरिष्ठता को देखते हुए सदन में दूसरी सीट बैठने के लिए निर्धारित की जाए.
दरअसल. तकनीकी रूप से शिवपाल यादव सपा के विधायक हैं. सपा के टिकट पर जसवंत नगर सीट से विधायक चुने गए हैं, लेकिन उन्होंने सपा से अपना नाता लगभग तोड़ लिया है. सपा ने भी उनसे किनारा कर रखा है. ऐसे में सपा ने पहले उनके लिए आगे सीट दिलाने की कोई कोशिश नहीं की, लेकिन अब उनकी बागी तेवर को देखते हुए और नुकसान की आशंका भांपते हुए विधानसभा को पत्र लिखा है.
सवाल यह उठता है कि जब चाचा ने भतीजे के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया तब सपा ने विधानसभा में उनके लिए सीट क्यों मांगी. पहले ही शिवपाल यादव के लिए सपा ने सदन में आगे की सीट क्यों आवंटित करने की मांग नहीं उठाई. क्या शिवपाल यादव के बगावत और यादव महासभा पर अखिलेश की पकड़ कमजोर होती देख पार्टी बैकफुट पर आई है. शिवपाल सूबे के बड़े यादव नेताओं को अपने साथ जोड़ने और सपा के खिलाफ अभी से तैयारी में जुटे होने की वजह से कहीं अखिलेश चिंतित तो नहीं हो गए हैं?
दरअसल, शिवपाल यादव पिछले कुछ दिनों से एक्शन में है. शिवपाल और डीपी यादव मिलकर यादव समाज की गोलबंदी के लिए यदुकुल पुर्नजागरण मिशन की शुरुआत की है. इस बार शिवपाल यादव जिस तेवर और अंदाज में समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर हमलावर हैं. इससे पहले वो कभी इस तरह नजर नहीं आए थे. सपा से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाने के बाद शिवपाल यादव ने एक मर्यादा बनाए रखा था, लेकिन इस बार उन्होंने सपा से किसी तरह का कोई संबंध नहीं रखने की लकीर खींच दी है.
शहरी निकाय और 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा के खिलाफ शिवपाल यादव अभी से गोलबंदी करने लगे हैं. ऐसे में सपा को लगता है कि शिवपाल यादव अगर इस तरह का बीड़ा उठाए रखा तो समाजवादी पार्टी को ही सियासी नुकसान उठाना पड़ेगा. इसीलिए कहीं ना कहीं शिवपाल यादव के गुस्से को कम करने और पार्टी के संभावित नुकसान को रोकने की यह कवायद दिखाई दे रही है.
समाजवादी पार्टी के भीतर अखिलेश यादव के करीबी नेताओं का मानना है कि सपा ने पहले शिवपाल यादव को आगे की सीट इसलिए आवंटित करने की सिफारिश नहीं की थी, क्योंकि शिवपाल यादव सरकार के खिलाफ सदन के भीतर होने वाले हमलों में हमेशा शांत रहते थे. वो सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कुछ नहीं बोलते थे जबकि पार्टी हमलावर रहती हैं.
विधानसभा के सदन में आगे की सीट पर बैठकर सरकार और सीएम योगी के खिलाफ चुप रहने से सपा के मतदाताओं में संदेश अच्छा नहीं जाता. हालांकि, अब शिवपाल यादव ने सपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है तब नुकसान की आशंका और बढ़ गई है. ऐसे में पार्टी ने अपनी तरफ से विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर एक अलग पार्टी के नेता के तौर पर उन्हें आगे की सीट देने का आग्रह किया है.
उत्तर प्रदेश विधानमंडल का मॉनसून सत्र 19 सितंबर को शुरू होना है. पत्र लिखने का कारण पूछे जाने पर राजेंद्र चौधरी ने कहा कि शिवपाल यादव सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से हैं. इसलिए सम्मान के तौर पर उन्हें सदन में आगे की बेंच पर बैठाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसका कोई राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. वह एक वरिष्ठ सदस्य हैं सिर्फ इसीलिए उन्हें आगे की सीट पर बैठाने का अनुरोध किया गया है. ऐसे में देखना है कि शिवपाल यादव के तेवर उसी तरह से आक्रमक रहते हैं या फिर कुछ नरम होते हैं?
कुमार अभिषेक