तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने बुधवार को विधानसभा में राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर एक श्वेत पत्र पेश किया और बताया कि राज्य के पास दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए भी पैसा नहीं है. श्वेत पत्र के अनुसार, 2014-15 में राज्य का कुल कर्ज 72,658 करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 6,71,757 करोड़ रुपये हो गया है. श्वेत पत्र के अनुसार, पिछले 10 वर्षों के दौरान खर्च किए गए धन के अनुपात में कोई ठोस राजकोषीय संपत्ति नहीं बनाई गई.
केसीआर ने छोड़ा कर्ज
विक्रमार्क ने बढ़ते कर्ज के लिए पिछले 10 वर्षों के दौरान पूर्ववर्ती बीआरएस सरकार की वित्तीय अनुशासनहीनता को जिम्मेदार ठहराया. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि तेलंगाना शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर पर्याप्त पैसा खर्च करने में सक्षम नहीं है, जहां कुल व्यय के अनुपात के रूप में बजटीय राशि देश में सबसे कम है.
उन्होंने कहा, 'उपरोक्त तथ्यों का गहनता से विश्लेषण किया गया तो पता चला कि तेलंगाना, जो 2014 में राजस्व अधिशेष वाला राज्य था और देश की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, अब कर्ज संकट का सामना कर रहा है.'
42 पन्नों का श्वेत पत्र किया जारी
विक्रमार्क ने तेलंगाना के वित्त पर संक्षिप्त चर्चा शुरू करने के लिए 42 पन्नों का श्वेत पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह कांग्रेस की जिम्मेदारी है कि वह राज्य के लोगों को के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली तत्कालीन बीआरएस सरकार के तहत पिछले 10 दिनों की "आर्थिक अराजकता" और "गलतियों" के बारे में सूचित करे.
मौजूदा वित्त वर्ष के बजट अनुमान के अनुसार, एफआरबीएम (राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003) के तहत ऋण बढ़कर 3,89,673 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है. तेलंगाना में बजटीय और वास्तविक व्यय के बीच लगभग 20 फीसदी का अंतर है.
आपको बता दें कि पिछले महीने तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 119 सीटों में से 64 सीटें जीतकर बीआरएस से सत्ता छीन ली थी. बीआरएस 39 सीटों पर सिमट गई. भाजपा और एआईएमआईएम ने क्रमशः आठ और सात सीटें जीतीं थी.
अपूर्वा जयचंद्रन