तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy) ने कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकारों का उदाहरण देते हुए युवा पत्रकारों के लिए विवादित बयान दे डाला. उन्होंने कहा कि एनालिसिस करने के लिए, वे (वरिष्ठ पत्रकार) अपने स्वास्थ्य और परिवार को दांव पर लगा देते हैं. लोगों की समस्याओं को समझने के लिए, वे कई दिनों तक दूर-दराज के इलाकों में जाते हैं और अपनी रिपोर्ट पब्लिश करवाने के लिए जनता के बीच जाते हैं.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अब, युवा पत्रकारों को उन सीनियर पत्रकारों के बारे में पता नहीं होता है. उनमें इतनी भी समझदारी नहीं है कि जब सीनियर पत्रकार आते हैं तो खड़े हो जाएं.
न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक, रेवंत रेड्डी ने आगे कहा, "जब हम प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं तो वे (युवा पत्रकार) आगे की पंक्तियों में बैठते हैं और मुझे ऐसे देखते हैं जैसे मैं उनका अभिवादन नहीं कर रहा हूं और अपना सिर झुका रहा हूं. कभी-कभी मेरा मन करता है कि उन्हें थप्पड़ मार दूं, लेकिन हालात और पद बीच में आ जाता है."
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, "कुछ ही मीडिया संस्थान ऐसे हैं, जो लगातार जनता के साथ खड़े रहते हैं. आज, कई मीडिया संस्थानों पर अपनी विश्वसनीयता खोने का खतरा मंडरा रहा है. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, समाचार पत्रों ने देश के लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी."
'कुछ न्यूजपेपर्स...'
न्यूजपेपर्स के योगदान की बात करते हुए रेवंत रेड्डी ने कहा, "किसान संघर्षों और सामाजिक सुधार आंदोलनों में, कम्युनिस्ट नेतृत्व वाले समाचार पत्रों ने जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. राजनीतिक दल अपनी विचारधाराओं को जनता तक पहुंचाने के लिए समाचार पत्र प्रकाशित करते थे. लेकिन मौजूदा वक्त में पार्टी से जुड़े न्यूजपेपर्स अजीब तरीके से काम कर रहे हैं. कुछ राजनीतिक दलों द्वारा समर्थित न्यूजपेपर्स का इस्तेमाल निजी हितों और गलत कामों को छिपाने के लिए किया जा रहा है."
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मुख्यमंत्री ने कहा, "अब सच्चे पत्रकारों को सेमिनार आयोजित करने और पत्रकार शब्द के वास्तविक अर्थ को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है. पहले, हम प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गहन विषय-आधारित सवालों के लिए पत्रकारों पर निर्भर रहते थे, लेकिन आज, अजीबोगरीब प्रथाएं पनप रही हैं. दुर्भाग्य से, राजनीतिक दलों ने इन प्रवृत्तियों को बढ़ावा दिया है."
रेवंत रेड्डी ने कहा, "पत्रकारिता संस्था को ही कमज़ोर और नष्ट करने की साज़िश चल रही है. जिस तरह सियासी लोग तेज़ी से अपनी विश्वसनीयता खो रहे हैं, पत्रकार भी उसी संकट का सामना कर रहे हैं. इसलिए अब वक्त आ गया है कि सच्चे पत्रकारों के लिए एक लक्ष्मण रेखा खींची जाए. असली पत्रकारों को पत्रकारिता का मुखौटा पहने ढोंगियों से खुद को अलग करना होगा."
'चौथे स्तंभ का अपमान...'
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि रेवंत रेड्डी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का अपमान कर रहे हैं. पहले भी वह ऐसे बयान दे चुके हैं. 4-5 दिन पहले उन्होंने कहा था कि जो लोग इंदिरा गांधी के बारे में नहीं जानते, वह उन्हें पीटेंगे.
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