फेक न्यूज कैंसर जैसा है, सर्जरी की जरूरत है: सुब्रमण्यम स्वामी

नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने रिपोर्टर को बताया, 'फेक न्यूज एक तरह का कैंसर बन गया है और हमें कुछ तरह की सर्जरी करनी है. एक लोकतांत्रिक देश में संविधान की दी जाने वाली अभिव्यक्ति की आजादी और प्रदत्त रोक-टोक के बीच संतुलन होना चाहिए. यहीं लकीर खींचना सरकारों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है.'

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बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी

अमित कुमार दुबे

  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST

बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि फेक न्यूज 'कैंसर' के जैसा हो गया है और इससे निपटने के लिए 'सर्जरी' करने की जरूरत है. नेता सुब्रमण्यम स्वामी हरियाणा स्थित कोलंबिया बिजनेस स्कूल में आयोजित 14 वें वार्षिक भारतीय व्यापार सम्मेलन को संबोधित करने के लिए आए थे. इस 14 वें वार्षिक भारतीय व्यापार सम्मेलन को साऊथ एशिया बिजनेस एसोसिएशन ने आयोजित करवाया था.

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नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया, 'फेक न्यूज एक तरह का कैंसर बन गया है और हमें कुछ तरह की सर्जरी करनी है. एक लोकतांत्रिक देश में संविधान की दी जाने वाली अभिव्यक्ति की आजादी और प्रदत्त रोक-टोक के बीच संतुलन होना चाहिए. यहीं लकीर खींचना सरकारों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है.'

उन्होंने कहा, 'मीडिया अब सही मायने में मास मीडिया बन गया है. साइबर दुनिया ने तत्काल समाचार प्राप्त करना संभव बना दिया है लेकिन तेजी से फैलने वाली विरोधाभासी सूचना पर नजर रख पाना बहुत मुश्किल हो गया है.

हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दिशा-निर्देश का भी स्वामी ने हवाला दिया. मंत्रालय के अनुसार इसमें कहा गया था कि अगर इसकी फेक न्यूज की पुष्टि हो जाती है तो उनकी पत्त्रकारिता की मान्यता रद्द हो जाएगी. इस दिशा-निर्देश को बाद में वापस ले लिया गया था.

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स्वामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सही उल्लेख किया है कि इस संबंध में निर्णय लेने का अधिकार पहले ही भारतीय प्रेस परिषद को दिया गया है.

उन्होंने कहा कि मीडिया में प्रतिस्पर्धा काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है. उन्हें नहीं लगता है कि पत्रकार 'नकारात्मकता' के चलते फेक न्यूज चलाते हैं बल्कि वे एक राजनेता के दुश्मनों के इशारे पर राजनेता को बदनाम करने के लिए इसे एक सही खबर के रूप में पेश करने के लिए प्रेरित होते हैं.

स्वामी के मुताबिक, फेक और गलत खबरों से एक परिष्कृत तरीके से निपटा जाना चाहिए.

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दरअसल, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने बीते सोमवार को पत्रकारों की मान्यता का संशोधित गाइडलाइन जारी किया. इसमें 'फेक न्यूज' से निपटने के लिए कई नए प्रावधानों को शामिल किया गया है. इसमें पत्रकारों की मान्यता खत्म करने जैसे कड़े प्रावधान भी शामिल हैं.

फेक न्यूज मामले में मंत्रालय की ओर से जारी इन दिशा-निर्देशों के खिलाफ मीडिया में माहौल बिगड़ने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रालय से इन दिशा-निर्देशों को वापस लेने की बात कही. उन्होंने मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह अपने दिशा-निर्देशों को वापस ले लें और इस मामले को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया पर ही छोड़ दिया जाए.

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