रिश्वतखोरी मामले में CBI ने दो और NHAI अधिकारियों को पकड़ा, अबतक 2 करोड़ से ज्यादा की बरामदगी

एनएचआई रिश्वतखोरी मामले में फिर दो अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई है. इस तरह अब तक कुल आठ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. दरअसल, सोमवार को मध्य प्रदेश के भोपाल और विदिशा में पोस्टेड डिप्टी जेनरल मैनेजर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर को घूस लेने के मामले में गिरफ्तार किया गया है.साथ ही घूस देने वाली भोपाल स्थित कंपनी के भी कुछ निदेशकों और कर्मियों को कस्टडी में लिया गया है.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 8:24 PM IST

सीबीआई ने NHAI के दो और अधिकारियों को घूसखोरी के मामले में सोमवार को गिरफ्तार किया है. इसमें एक डिप्टी जेनरल मैनेजर भी शामिल है जो मध्यप्रदेश में पोस्टेड था. इस तरह रिश्वतखोरी के मामले में अबतक NHAIके कुल आठ अधिकारी गिरफ्तार हो चुके हैं. सोमवार को गिरफ्तार होने वाले में भोपाल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभालने वाले  डिप्टी जेनरल मैनेजर  राजेंद्र कुमार गुप्ता और विदिशा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर हेमंत कुमार शामिल हैं. 

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एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि  मध्यप्रदेश से गिरफ्तार दोनों अधिकारियों के तार नागपुर के एनएचएआई के अधिकारियों के  भोपाल स्थित बंसल कंस्ट्रक्शन वर्क्स के साथ रिश्वतखोरी के मामले से जुड़ा हुआ है.  मालूम हो कि रविवार को CBI ने एनएचआई में घूसखोरी के मामले का खुलासा किया था. इसके तहत एनएचएआई के नागपुर में तैनात जेनरल मैनेजर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर अरविंद काले और मध्य प्रदेश के हरदा में पोस्टेड डिप्टी जेनरल मैनेजर बृजेश कुमार साहू को 20 लाख रुपये घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था. 

9 मार्च तक पुलिस हिरासत में रहेंगे सभी आरोपी 
सीबीआई के अधिकारियों के अनुसार मामले की जांच और छापेमारी के दौरान इस पूरे रैकेट का विदिशा और डिंडोरी तक विस्तार का पता चला. साथ ही अब तक रिकवरी का दायरा 2 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. इसमें कैश और गहने दोनों शामिल हैं. अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों को भोपाल के विशेष अदालत में भेजने से पहले 9 मार्च तक के लिए पुलिस हिरासत में भेजा जाएगा. वहीं कंपनी के दो निदेखक अनिल बंसल और कुणाल बंसल सहित चार कर्मियों को भी पुलिस हिरासत में भेजा जाएगा. 

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नियमित रूप से दी जारी थी रिश्वत 
एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई को जानकारी मिली थी कि कंपनी के निदेशक नियमित रूप से मध्यप्रदेश और नागपुर में तैनात एनएचएआई के अधिकारियों को घूस पहुंचाते थे. इसके बदले में एनएचएआई के अधिकारी उनके बिल की प्रोसेसिंग और अन्य कार्यों को सुविधाजनक बनाए रखने का काम करते थे. ऐसा रविवार को दर्ज एफआईआर में लिखा गया है. 

रिश्वत के भुगतान के लिए कंपनी ने लगा रखे दो-दो कर्मचारी
दर्ज एफआईआर में सीबीआई ने आरोप लगाया कि कंपनी के निदेशकों ने नागपुर और मध्य प्रदेश में एनएचएआई अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए दो-दो कर्मचारियों को तैनात कर रखा था. सी कृष्णा और जयंत कुमार नागपुर में पदस्थापित एनएचएआई के पदाधिकारियों को रिश्वत पहुंचाने का काम करते थे. वहीं नितिन रजक और टीएमएस राव मध्य प्रदेश में तैनात अधिकारियों को गैर कानूनी तरीके से सुविधाएं और अन्य लाभ पहुंचाते थे.  

किस्तों में होता था एनएचआई के डायरेक्टरों को रिश्वत का भुगतान 
एजेंसी ने बताया कि ऐसा इनपुट मिला था कि रविवार को गिरफ्तार काले ने अपनी पेंडिंग पड़ी घूस की राशि जो कि 45 लाख रुपये थी, उसे कृष्णा से अविलंब भुगतान करने को कहा था. कृष्णा अनिल बंसल के संपर्क में था और मामले को तुरंत रफा दफा किया जाना था. इसके लिए दो किस्तों में 20 लाख और 25 लाख रुपये देने की बात फाइनल  हुई थी. लेकिन, पहले किस्त के भुगतान के बाद ही सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कर लिया. 

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सीबीआई के पास यह भी सूचना थी कि बंसल भोपाल के एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और डिप्टी जेनरल मैनेजर राजेंद्र कुमार गुप्ता को भी रजक के माध्यम से रिश्वत दे रहा था. एजेंसी को पता चला कि रजक ने गुप्ता को 8 लाख रुपये का भुगतान किया था. एफआईआर में आरोप है कि राव ने विदिशा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर हेमंत कुमार को उसके आवास पर 27 फरवरी को रिश्वत दिया था. वहीं दूसरे दिन  20.5 लाख रुपये हराद के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बृजेश कुमार साहू को किया था. 

भोपाल और नागपुर में पांच ठिकानों पर हुई छापेमारी
केंद्रीय एजेंसी के प्रवक्ता ने बताया कि सीबीआई भोपाल और नागपुर के पांच जगहों पर तलाशी अभियान चलाया. इसमें आरोपियों के आवासीय परिसर और कार्यालय शामिल थे. इस दौरान 1.1 करोड़ रुपये बरामद किये गए. इसमें 20 लाख रुपये घूस की राशि भी शामिल है. इस मामले में सीबीआई ने 11 लोगों पर मामला दर्ज किया है. इसमें चार एनएचएआई के अधिकारी और  बाकी कंपनी के निदेशक और कर्मी शामिल हैं. साथ ही यह भी पाया है कि भोपाल स्थित कंपनी एनएचएआई के कई कर्मियों को अपने कर्मचारियों के माध्यम से रिश्वत पहुंचा रहा था.

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